क्या है भ्रामरी प्राणायाम? जाने इसके फायदे!

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योगासन हमारे शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायी होते हैं! शरीर के बेहतर ढंग से काम करते रहने के लिए मस्तिष्क का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। हालांकि चिंता और तनाव की बढ़ती समस्याओं ने मस्तिष्क की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मस्तिष्क पूरे शरीर के संचालन का काम करता है ऐसे में इस अंग में होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली पर देखा जा सकता है।

मस्तिष्क के साथ-साथ संपूर्ण शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने के लिए सभी लोगों को नियमित योग और व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। प्राणायाम का अभ्यास आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।

प्राणायाम आपके शरीर और मन के बीच संतुलन बनाए रखने का सबसे कारगर तरीका माने जाते हैं। इसमें भी भ्रामरी प्राणायाम को अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह प्राणायाम आपके  मस्तिष्क को री-बूट करके तंत्रिकाओं को आराम देने, हार्मोन्स के स्तर को ठीक बनाए रखने और तनाव-चिंता जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करने में फायदेमंद हो सकता है। भ्रामरी प्राणायाम के समय मधुमक्खियों को गुंजन जैसी आवाज आती है। यह नसों को शांत करने और विशेष रूप से मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाए रखने का अभ्यास है।

भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास काफी सरल और अत्यंत प्रभावी है। सभी उम्र के लोग आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी शांत और जगह पर बैठें। अपनी आँखें बंद करके उंगलियों से कान और आंखों को बंद कर लें। अपना मुंह बंद रखते हुए नाक से सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं। ऐसा करने से मस्तिष्क की तंत्रिकाओं में कंपन होता है जिसका मस्तिष्क के कार्यों पर विशेष प्रभाव देखा गया है।

भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास आपके शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत के लिए विशेष लाभकारी हो सकता है। 

तनाव, क्रोध और चिंता से राहत दिलाने के साथ उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए यह अभ्यास काफी लाभदायक है।

माइग्रेन की समस्या को कम करने में यह अभ्यास मदद करता है।

प्राणायाम से एकाग्रता और याददाश्त में सुधार होता है।

आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में यह योगासन काफी फायदेमंग है।

मन को शांत करने में भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास को काफी फायदेमंद माना जाता है।

पढ़ाई करने वाले बच्चों में याददाश्त को ठीक करने का काफी कारगर अभ्यास है।

भ्रामरी प्राणायाम को वैसे तो काफी लाभकारी माना जाता है पर कुछ स्थितियों में इसके लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगली कान के अंदर नहीं बल्कि कार्टिलेज पर लगाकर रखें। गुनगुनाते समय अपना मुंह बंद रखें, अपने चेहरे पर दबाव न डालें। किसी योग विशेषज्ञ से इस अभ्यास के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।

तनाव कम करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही लाभदायक होता है। इसके अलावा में आत्मविश्वास की भावना बढती है और नियमित अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।

इस प्राणायाम से अनिद्रा, क्रोध, चिंता दूर तो होती ही है वहीं सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इन सभी रोगों से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम सबसे बेहतर प्राणायाम है इसके नियमित अभ्यास से हम इन सभी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

हाई ब्लडप्रेशर रोगियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही उपयोगी माना जाता है। हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है उन लोगों के लिए भी भ्रामरी प्राणायाम काफी लाभकारी होता है।

थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है। हाइपोथायराइडिज्म ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है, ऐसी स्थिति में भी यह योगासन काफी लाभदायक होता है।

माइग्रेन और साइनोसाइटिस से पीड़ितों के लिए भी यह प्राणायाम लाभदायक है। इसके नियमित अभ्यास से मस्तिष्क में रक्त जमाव की स्थिति में राहत मिलती है और बेवजह सिरदर्द के शिकार को इस प्राणायाम का अभ्यास करके हम इस बिमारी से छुटकारा मिल सकता है।

आमतौर पर तनाव में रहना कोई बढ़ी बात नहीं है, लेकिन यदि यह ज्यादा देर तक बना रहे तो परेशानी की वजह बन सकती है। डिप्रेशन और तनाव से निजात पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका योग होता है। योग हमारे स्वास्थ्य और मन की शांति के लिए बेहद जरूरी है। योग में ऐसे बहुत से आसन है जिनके अभ्यास से लाभ मिलता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे योगासन के बारे में बता रहे हैं जो न सिर्फ तनाव दूर करता है बल्कि नींद न आना, थकान महसूस करना और याददाश्त के कमजोर होने में काफी कारगर है। हम बात कर रहे हैं भ्रामरी प्राणायाम की। भ्रामरी शब्द ‘भ्रमर’ से निकला जिसका अर्थ होता है एक गुनगुनाने वाली काली मधुमक्खी। इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय नाक से एक गुनगुनाने वाली आवाज निकलती है,जो काली मधुमक्खी की आवाज से मिलती-जुलती है, इसलिए इसका नाम भ्रामरी पड़ा है।