डिप्रेशन आज के यूथ की सबसे बड़ी समस्या है, इसके माध्यम से आज का यूथ अपने विनाश की ओर जाता जा रहा है! डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जो सबको सामान्य लगती है, किंतु ध्यान न देने पर यह समस्या आगे चलकर मानसिक बीमारी के रूप में परिवर्तित हो जाती है। आपको बता दे, डिप्रेशन के बारे में लोग जानकर भी अनजान बनने लगते है और कुछ लोग तो बाते भी नहीं करना चाहते है। क्योंकि उनको लगता है डिप्रेशन की समस्या बिना किसी उपचार के अपने आप ठीक हो जाएगी, यह सोचकर लोग एक दूसरे से बात नहीं करते है। हालांकि ऐसे लोगो को लगता है बात करने से दुसरो के सामने शर्मिंदगी महसूस करना पड़ सकता है। इसके अलावा कुछ सलाह देने लगते है चिंता अधिक नहीं करना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए। लेकिन शरीर के किसी भी भाग में चोट लगती है तो केवल सलाह से उपचार नहीं होता बल्कि आपको अच्छे चिकिस्तक से संपर्क कर उपचार करवाना चाहिए। उसी तरह डिप्रेशन की समस्या को ठीक करने के लिए आपको चिकिस्तक की सहायता लेनी चाहिए।
जब से कोरोना महामारी ने अपना पैर पसारा है, तब से लोगो को अपने घरो में आइसोलेटेड रहकर सारे काम करने पड़ रहे है। इस कारण लोग बहुत उदास से रहने लगे है, क्योंकि बहुत से लोगो को अपने घर, परिवार, दोसो और रिश्तेदारो से दूर रहना पड़ रहा है। इसके अलावा कुछ लोग अपनी नौकरी, परिवार की सुरक्षा एव आर्थिक स्तिथि खराब होने के डर से चिंतित रहते है। लेकिन क्या परेशान होने से सारी समस्या दूर हो जाती है। यही कारण है लोग अपने डिप्रेशन के चलते अधिक बीमार पड़ रहे है। आजकल लोगो में अवसाद को लेकर अधिक बातें की जा रही है।
बहुत लोगो के मन में सवाल आता है क्या आयुर्वेदिक उपचार से डिप्रेशन को ठीक किया जा सकता हैं ? या क्या कोई आयुर्वेदिक उपचार उपलब्ध हैं ? तो आपको बता दे, हमारे देश में पुराने समय से आयुर्वेदिक उपचार का अधिक महत्व रहा है, क्योंकि कई तरह की स्वास्थ्य समस्या को दूर करने में आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग किया जाता है!
रसायन – रसायन जड़ी बूटी का उपयोग शरीर की ऊर्जा बढ़ाने, आयु बढ़ाने व जीवन के सरल बनाने के लिए किया जाता है। इससे शरीर की प्रतिशा प्रणाली में बढ़ोतरी होती है और व्यक्ति की मानसिक, रसायनिक कार्य प्रणाली को संतुलित करता है, इसलिए उपचार में रसायन का प्रयोग होता है। अवसाद से पीड़ित मनुष्य को आमलकी रसायन व शिलाजीत रसायन कल्प, पंचगव्य रसायन का उपयोग किया जा सकता हैं।
वमन पेट से विषाक्त पदार्थो और नाड़ियो से बलगम बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा साइनस रोग, सिर, जी मिचलाना, सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या को दूर करता है। डिप्रेशन के उपचार में तेल व धी का उपयोग होने के बाद नेनुआ का प्रयोग कर वमन की सलाह दी जाती है।
बस्ती – बस्ती का उपचार में उपयोग खासतोर पर पेट के कार्यो को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। इस उपचार से शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाला जाता है। इसके अलावा टॉनिक के रूप में उपयोग करते है ताकि अनेक रोगो को ठीक कर सके। अवसाद को ठीक करने के लिए यपन बस्ती और शिरोबस्ती की सलाह दी जाती है।
नास्य – अवसाद का उपचार में नास्य गुणों से युक्त जड़ीबूटियों का उपयोग किया जाता है। जैसे हींग धृत और पंच धृत का उपयोग करना आदि। हालांकि आयुर्वेद में नास्य कर्म की सलाह दी जाती है। इसमें सिर के इंद्रियों को प्रभावित करने की क्षमता होती है, ऐसे में ऐंठन, लकवा, माइग्रेन और अवसाद जैसी समस्या ठीक होने में मदद मिलती है। इंद्रियों व सिर को मजबूत करने की विधि को नस्य थेरेपी कहते है।
विरेचन अवसाद के उपचार में लाभदायक होता है क्योंकि इसमें जड़ीबूटियों का उपयोग कर शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाला जाता है। इसमें विरेचन कर्म जड़ीबूटी जो ब्लीडिंग रोग, दर्द, बुखार, मल में रुकावट जैसी समस्या को कम करता है। हालांकि अवसाद को ठीक करने के लिए विरेचन के साथ त्रिवृत का उपयोग किया जाता है।
शिरोधरा चिकित्सा – शिरोधारा पंचकर्म चिकित्सा का भाग है, इसका उपयोग कान, नाक, दिमाग और आंखो से जुडी समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है। शिरोधारा अवसाद के लक्षण को कम करता है और अनिद्रा का उपचार करता है। इस प्रक्रिया में गर्म तेल को सिर पर डाला जाता है, इससे मनुष्य को अलग तरह की अनुभूति होती है। इस थेरेपी में हल्के रंग, अगरबत्ती की खुसबू मन शांत करने व संगीत का प्रयोग किया जाता है, ताकि वातावरण अच्छा बना रहे। अवसाद से पीड़ित लोगो के लिए शिरोधारा में औषधीय तेलों और छाछ का उपयोग किया जाता हैं। इसके अलावा सिर मालिश भी किया जाता है।