राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मन में आलाकमान के लिए बहुत कुछ चल रहा है! मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने करोड़ों रुपए के निवेश हासिल करने के लिए शुक्रवार को देश के शीर्ष औद्याेगिक घरानों से हाथ मिलाया। इनमें अडानी समूह के गौतम अडानी भी हैं। अडानी दुनिया के सबसे अमीर कोरोबारियों में से एक हैं और उनके व्यापार और बीजेपी सरकार को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अक्सर हमलावर रहते हैं। यहां तक कि गहलोत भी गौतम अडानी और अंबानी समूह और बीजेपी के संबंधों पर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके जयपुर में इन्वेस्ट राजस्थान समिट 2022 में गहलोत ने अडानी से न सिर्फ हाथ मिलाया बल्कि जमकर तारीफ भी की। इसी मुलाकात की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। बीजेपी के नेताओं के ताबड़तोड़ जुबानी हमलों के बाद देर रात गहलोत ने भी बयान जारी किया है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन्वेस्टमेंट के रास्ते कांग्रेस कौन सी मंजिल तक पहुंचाना चाह रही है? राहुल गांधी के उसूलों के उलट राजस्थान की कांग्रेस सरकार किस राह पर चल रही है?
अडानी हो या अंबानी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी या अशोक गहलोत बीजेपी की केंद्र सरकार को कटघरे में खड़े करते आए हैं। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभा रहे इन उद्योगपतियों से बीजेपी की सांठगांठ और गंभीर आरोपों के बावजूद गहलोत ने शुक्रवार को अडानी से हाथ मिला लिया। यह हाथ 65000 करोड़ रुपए के निवेश के लिए मिलाया गया था। इसके पीछे एक दो नहीं कई कारण हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों में पहले सबसे बड़ा कारण छिपा है। सितम्बर 2022 में सर्वाधिक बेरोजगारी दर के मामले में राजस्थान शीर्ष पर है। प्रदेश में 23.8 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है। इसलिए सरकार ने निवेशकों से हाथ मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार देने का प्लान बनाया है।
अशोक गहलोत सरकार अपने अब तक के कार्यकाल में रिकॉर्ड एक लाख 91 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। ये वो कर्ज है जो बिना गारंटी वाला है। राज्य पर अब तक की सरकारों का जितना कर्ज था उसका 30 फीसदी से अधिक कर्ज गहलोत सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में लिया है। अब राज्य पर कुल कर्ज करीब 4 लाख 77 हजार करोड़ से ज्यादा का हो चुका है। इसलिए इन्वेस्ट राजस्थान समिट 2022 के जरिए सरकार ने लगभग 11 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन किए हैं। ताकि सरकार के खजाने में कुछ धन आए और कर्ज कम हो।
राजस्थान में पिछले कई वर्षों से ये परिपाटी बन चुकी है कि एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनेगी। यही पांच साल की सरकार का कल्चर यहां के विकास और बहुउद्देश्यीय योजनाओं के लिए अभिशाप बन गया है। एक सरकार के समय शुरू हुए काम, योजनाएं दूसरी सरकार के समय ठंडे बस्ते में चली जाती है। इसी तरह दूसरी सरकार की विकास योजनाएं नई सरकार के कार्यकाल में ठप हो जाती हैं। दोनों ही दलों की सरकारें चुनावों से पहले लोकलुभावन घोषणाएं करती रही हैं। विकास का सपना और रोजगार की उम्मीद जगाती हैं। गहलोत सरकार भी अपने इस कार्यकाल के 4 साल पूरे कर चुकी है। अब अगला साल राज्य में चुनाव हैं। फिर से सत्ता में आने के लिए कांग्रेस सरकार अब कोई भी मौका नहीं गंवाना चाहती। और पहले से सत्ता में आने की तैयारी में जुटी बीजेपी को हर मोर्चें पर पटखनी देने को कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
यही कारण है कि सहकारी बैंकों के किसानों का किसान कर्जमाफी के नाम पर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। 50 यूनिट तक फ्री बिजली का तोहफा दिया। इससे भले ही राज्य पर करीब 6 हजार करोड़ का भार पड़ा हो लेकिन ऐसी लोक लुभावन योजनाएं अब भी जारी है।जल्द ही गहलोत सरकार अब 1.33 करोड़ महिलाओं को फ्री स्मार्ट फोन बांटने जा रही है। इसका बजट भी ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 12,500 करोड़ रुपये करने के कयास है। हालांकि खाली खजाने के इन योजनाओं का साकार होना संभव नहीं है। लेकिन यहा गहलोत का वो बयान भी याद होगा जिसमें वो कहते हैं कि जादुगर हूं, पैसा कहीं से भी आए खजाना खाली नहीं होगा। ऐसे में गहलोत के पास और अडानी-अंबानी से हाथ मिलाने के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता रहा नहीं था।
अडानी से हाथ मिलाने के साथ ही गहलोत ने देश के कई शीर्ष उद्योगपतियों से निवेश खींचा है। इन्वेस्ट राजस्थान समिट के जरिए अब तक करीब 11 लाख करोड़ रुपए के एमओयू साइन हो चुके हैं। इनमें 65000 करोड़ रुपए का निवेश तो अकेले अडानी ग्रुप से आ रहा है। इस निवेश के जरिए बेरोजगारी के दर में अव्वल प्रदेश के 10 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। साथ ही 76 औद्योगिक क्षेत्रों तथा इकाइयों का लोकार्पण और शिलान्यास करते हुए निवेशकों को आकर्षित किया है। साथ ही विभिन्न जिलों में औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार और राजस्व में इजाफा भी होगा।
गहलोत ने कहा, ‘मुझे ये समझ नहीं आया कि भाजपा ने इस कार्यक्रम का विरोध क्यों किया। आप अशोक गहलोत का विरोध करिए, कांग्रेस का विरोध करिए पर राजस्थान के युवाओं के भविष्य के मौकों का विरोध क्यों कर रहे हैं। क्या राजस्थान भाजपा हमारे इतने अंधविरोध में आ गई है कि वो प्रदेश के सुनहरे भविष्य के लिए हो रहे कामों का भी विरोध करेगी? क्या भाजपा अब अशोक गहलोत का विरोध करते करते राजस्थान का ही विरोध करने पर उतारू हो गई है? राजीव जी के समय इन्होंने कम्प्यूटर का विरोध बैलगाड़ी से चलकर किया था। आज पूरा प्रदेश देख रहा है कि जब राजस्थान में आने वाले निवेश और नौकरियों का विरोध कर भाजपा राजस्थान का अहित करने का प्रयास कर रही है।’