आज हम आपको भारत के ग्रिड सिस्टम के बारे में बताने वाले हैं! पाकिस्तान दो दिन से भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है। कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप हैं। बताया जा रहा है कि राजधानी इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर और क्वेटा सहित कई बड़े शहरों में अंधेरा है। बलूचिस्तान के 22 जिलों में बिजली गुल है। हालत यह है कि करीब 23 लाख से ज्यादा आबादी वाले कराची शहर में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा। दरअसल, वहां पानी के पंप बिजली से ही चलते हैं। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में इस तरह का संकट पैदा हुआ है। पिछले साल भी बिजली वितरण प्रणाली में तकनीकी खामी के चलते 12 घंटे बत्ती गुल थी। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली है, महंगाई और आटे की किल्लत के बीच बिजली संकट ने पाकिस्तानियों को गुस्से से भर दिया है। भारत में भी पाकिस्तान के अंधेरे में डूबने की काफी चर्चा है। टीवी चैनलों पर ‘कंगाली फुल, बत्ती गुल’, आटे के बाद बिजली का महासंकट जैसी बातें कही जा रही हैं। लेकिन लोगों के मन में एक सवाल ये भी है कि क्या भारत में कभी ऐसा हो सकता है? और क्या पहले कभी इतना बड़ा ब्लैकआउट भारत में हुआ था। क्या भारत में भी पावर ग्रिड फेल हो सकता है? पहले समझिए पाकिस्तान में हुआ क्या है?
पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री खुर्रम दस्तगीर ने मीडिया के जरिए देशवासियों को समझाने की कोशिश की कि आखिर हुआ क्या। उन्होंने बताया कि ईंधन का खर्च बचाने के एक उपाय के रूप में बिजली उत्पादन इकाइयों को सर्दी के मौसम में रात के समय अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है। 23 जनवरी की सुबह जब सिस्टम एक-एक करके चालू किए गए, तो देश के दक्षिणी हिस्से में फ्रीक्वेंसी में बदलाव की सूचना मिली। वोल्टेज में उतार-चढ़ाव हुआ और बिजली उत्पादन इकाइयां एक-एक करके बंद हो गई! निराशा और हताशा इस कदर हावी है कि पाकिस्तान के ऐंकर ट्विटर पर लिख रहे हैं, ‘पाकिस्तान के दुश्मनों को बधाई। उन्हें हमें तबाह करने की जरूरत नहीं है। हम पहले से ही बर्बाद हैं। बिजली नहीं, पानी नहीं, गैस नहीं, ईंधन नहीं, इंटरनेट नहीं, फोन सिग्नल नहीं।’
इसे 2012 India Blackouts के नाम से जाना जाता है। लगातार दो दिनों तक भारत में पावर ब्लैकआउट देखने को मिला था। पहले दिन 30 जुलाई 2012 को 40 करोड़ लोग अंधेरे में डूब गए थे। कुछ समय के लिए यह सबसे बड़ा ब्लैकआउट था। इससे पहले जनवरी 2001 में उत्तर भारत में हुए ब्लैकआउट में 23 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। हालांकि 31 जुलाई 2012 को इतिहास का सबसे बड़ा पावर आउटेज देखा गया। दुनिया की करीब 9 फीसदी आबादी और 62 करोड़ लोगों के घरों में अंधेरा छा गया था। उस समय आधे भारत की बत्ती गुल हो गई थी। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब से लेकर, दिल्ली, यूपी, बिहार, ओडिशा और पूर्वोत्तर भारत के कुल 22 राज्यों में अंधेरा छा गया था। बताया गया था कि 32 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता ठप पड़ गई थी। हालांकि 32 करोड़ आबादी को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई थी क्योंकि उनके पास बिजली का इंतजाम था। 1 अगस्त 2012 को बिजली बहाल हो गई। अमेरिका और चीन के बाद भारत सबसे बड़ा बिजली का कंज्यूमर है। हालांकि उस समय तक इलेक्ट्रिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर उतना मजबूत नहीं था। उत्तरी इलेक्ट्रिकल ग्रिड 2001 में भी ठप हो गया था।
2012 में पावर ग्रिड फेल होने के बाद कई एक्सपर्ट ने कहा था कि डिमांड और सप्लाई में बड़ा गैप होने से पावर ग्रिड कोलैप्स हुआ। बिजली क्षेत्र और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की जरूरत है जिससे बढ़ती अर्थव्यवस्था की नई चुनौतियों का सामना किया जा सके। दरअसल, बिजली की आपूर्ति 49-50 हर्ट्ज की फ्रिक्वेंसी पर होता है और इसके कम या ज्यादा होने पर पावर ग्रिड फेल होने का खतरा पैदा हो जाता है।
तो क्या भारत में भी पावर ग्रिड फेल हो सकता है? कई महीने पहले पता चला था कि चीन ने कई बार भारतीय ग्रिड को हैक करने की कोशिश की थी। तब ऐसा डर पैदा हुआ कि क्या चीन के हैकर्स भारत को अंधेरे में डाल सकते हैं? दरअसल, बिजली तैयार होने से लेकर हमारे घरों तक पहुंचने में यह तीन चरणों से गुजरती है। पावर जनरेशन यानी बिजली बनती है, उसके बाद पावर ट्रांसमिशन होता है फिर उसका वितरण होता है। बिजली पैदा होने से लेकर हमारे घर की बत्ती जलने में जिस नेटवर्क का इस्तेमाल होता है उसे ही पावर ग्रिड कहते हैं। देश में इस समय पांच पावर ग्रिड हैं। ये अपने-अपने क्षेत्र के राज्यों में बिजली की लगातार सप्लाई सुनिश्चित करते हैं। दिलचस्प यह है कि जरूरत के हिसाब से एक ग्रिड से दूसरे क्षेत्र में भी बिजली पहुंचाई जा सकती है। चीन ने कोशिश करके देख लिया लेकिन उसकी एक नहीं चली। आज भारत में मजबूत पावर ग्रिड सिस्टम है। 24 घंटे बिजली की फ्रिक्वेंसी पर नजर रखी जाती है। पांचों ग्रिड पर 24×7 निगरानी के लिए लोड डिस्पैच सेंटर बनाए गए हैं। अचानक अप्रिय घटना को छोड़कर भारत में ग्रिड फेल होने की संभावना नहीं है। ‘कंगाल’ हो रहे पाकिस्तान के हालात को छोड़िए, भारत में बिजली का व्यवस्थित तंत्र है।