Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the td-cloud-library domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u176094703/domains/mojopatrakar.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कदम्ब क्या है? जानिए इसके फायदे! | MojoPatrakar
Saturday, April 19, 2025
HomeFashion & Lifestyleकदम्ब क्या है? जानिए इसके फायदे!

कदम्ब क्या है? जानिए इसके फायदे!

सामान्य तौर पर कई प्रकार की औषधियों का वर्णन हमारे वैदिक विज्ञान में किया गया है! कदम्ब या कदम का पेड़ को देव का वृक्ष माना जाता है। कदम्ब आयुर्वेद में अपने औषधीय गुणों के लिए बहुत ही मशहूर है। कदम्ब का स्वास्थ्यवर्द्धक गुण बहुत सारे रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।कदम्ब की एक विशेष बात ये है कि इसके पत्ते बहुत बड़े होते है और इसमें से गोंद निकलता है। इसके फल नींबू की तरह होते हैं। कदम के फूलों का अपना अलग ही महत्व है। प्राचीन वेदों और रचनाओं में इन सुगन्धित फूलों का उल्लेख मिलता है।कदम्ब की एक विशेष बात ये है कि इसके पत्ते बहुत बड़े होते है और इसमें से गोंद निकलता है। इसके फल नींबू की तरह होते हैं। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्या है कदंब?

भारत में सुगन्धित पुष्पों में कदम्ब का बहुत महत्व है। इसके फूल भगवान् कृष्ण को अत्यन्त प्रिय थे। आयुर्वेद में कदम्ब की कई जातियों यानि राजकदम्ब, धारा कदम्ब, धूलिकदम्ब तथा भूमिकदम्ब आदि उल्लेख प्राप्त होता है। चरक, सुश्रुत आदि प्राचीन ग्रन्थों में कई स्थानों पर कदम्ब का वर्णन मिलता है।

इसके अतिरिक्त इसकी एक और प्रजाति पाई जाती है जिसे भूमि कदम्ब कहते हैं।

कदम्ब-

भूमि कदम्ब- भूमिकदम्ब का 10-20 मी ऊँचा पेड़ भारत के शुष्क वनों में पाया जाता है। इसके फूल मुण्डक कदम्ब के पुष्पमुण्डकों के समान परन्तु आकार में छोटे सफेद रंगों के होते हैं। जो सूखने पर भूरे-काले रंग के हो जाते हैं तथा पूरे साल वृक्ष पर लगे रहते हैं।

कदम्ब कड़वा होता है। यह तीन दोषों को हरने वाला, दर्दनिवारक, स्पर्म काउन्ट बढ़ाने के साथ ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने में भी मदद करता है।कदम्ब का फल खांसी, जलन, योनिरोग (वैजाइना संबंधित रोग), मूत्रकृच्छ्र (मूत्र संबंधी रोग), रक्तपित्त (नाक-कान से खून निकलना), अतिसार (दस्त), प्रमेह (डायबिटीज), मेदोरोग (मोटापा) तथा कृमिरोग नाशक होते हैं। कदम्ब के पत्ते कड़वे, छोटे, भूख बढ़ाने में सहायक तथा अतिसार या दस्त में फायदेमंद होते  हैं।इसके कच्चे फल एसिडिक, गर्म, भारी, कफ को बढ़ाने वाला तथा रुचिकारक होते हैं। इसका पका फल थोड़ा एसिडिक होता है और वात को कम करने वाला तथा कफपित्त को उत्पन्न करने वाला होता है। इसका अंकुर कड़वा, ठंडे तासीर का होने के साथ खाने की इच्छा बढ़ाता है, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) तथा दस्त में फायदेमंद होता है।

कदम्ब के फायदे

अक्सर दिन भर काम करने के बाद आँखों में दर्द होने की शिकायत होती है। कदम्ब के तने के छाल को पीस-छानकर, उससे प्राप्त रस को आँखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आँखों का दर्द कम होता है।कदम्ब के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुँह की बदबू तथा पूयदंत (पाइरिया)आदि बीमारियों में फायदा पहुँचता है।अक्सर शरीर में पोषण की कमी या असंतुलित खान-पान के कारण मुँह में छाले पड़ जाते हैं। कदम्ब के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुंह के छालों से राहत मिलती है।

मूत्र संबंधी बीमारी में मूत्र करते वक्त दर्द होना, जलन होना या रुक-रुक कर पेशाब आने जैसी समस्या होती है तो कदम्ब का सेवन बहुत काम आता है।विदारीकंद, कदंब छाल तथा ताड़ फल के पेस्ट एवं काढ़े में पकाए हुए दूध एवं घी को 5-10 मिली की मात्रा में  सेवन करने से  मूत्रकृच्छ्र (दर्द सहित मूत्र त्याग) में लाभ होता है।

अगर खाँसी से राहत नहीं मिल रहा है तो कदम्ब का इस तरह से सेवन बहुत लाभप्रद होता है। 5-10 मिली कदम्ब के तने के छाल का काढ़ा पीने से कास या खाँसी में लाभ होता है।आयुर्वेद में कदम्ब के पत्ते ,फूल , जड़ और तने के छाल के काढ़े का ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

बीमारी के लिए कदम्ब के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए कदम्ब का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।भारत में कदम्ब हिमालय के निचले भागों में तथा दक्षिण में उत्तरी-पश्चिमी घाट में पाया जाता है। सड़क के किनारे तथा बाग-बगीचों में सजाने वाले पेड़ के रुप में प्राय: इसको लगाया जाता है।मूत्र संबंधी बीमारी में मूत्र करते वक्त दर्द होना, जलन होना या रुक-रुक कर पेशाब आने जैसी समस्या होती है तो कदम्ब का सेवन बहुत काम आता है।विदारीकंद, कदंब छाल तथा ताड़ फल के पेस्ट एवं काढ़े में पकाए हुए दूध एवं घी को 5-10 मिली की मात्रा में  सेवन करने से  मूत्रकृच्छ्र (दर्द सहित मूत्र त्याग) में लाभ होता है।

अगर खाँसी से राहत नहीं मिल रहा है तो कदम्ब का इस तरह से सेवन बहुत लाभप्रद होता है। 5-10 मिली कदम्ब के तने के छाल का काढ़ा पीने से कास या खाँसी में लाभ होता है।आयुर्वेद में कदम्ब के पत्ते ,फूल , जड़ और तने के छाल के काढ़े का ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

बीमारी के लिए कदम्ब के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments