हमारे वैदिक शास्त्र में कई औषधीय और दवाइयों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है! कलम्बी को हिन्दी में करमी साग भी कहते हैं। करमी साग या कलंबी साग के फायदे इतने हैं कि आयुर्वेद में सदियों से इसका प्रयोग कई आम बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। कलंबी एक ऐसा साग है जो पानी मिलने पर ही कहीं भी उगने लगता है और पानी नहीं मिलने पर सूख जाता है।
कलम्बी पूरे साल उगता है बशर्ते की उसको मिट्टी से पानी मिलता रहे। कलंबी साग मीठा और ठंडे तासीर का होता है। ये सेक्स संबंधी बीमारियों से लेकर सर्दी-खांसी के लिए भी फायदेमंद होता है। चलिये कलंबी साग के अन्य अनजाने फायदों के बारे में जानते है।
कलम्बी या करमी साग के कोमल कलियों एवं पत्तियों का साग बनाया जाता है। इसका पुष्पकाल मई से जुलाई तथा फलकाल अगस्त से दिसंबर तक होता है।
करेमु या कलम्बी साग मीठी और थोड़ी कड़वी, प्रकृति से ठंडे तासीर की, हजम करने में भारी होती है और संरचना में थोड़ी रुखी होती है। कलम्बी वात और कफ को कम करने वाली, ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने में, शुक्र या स्पर्म का काउन्ट बढ़ाने में मदद करती है। कलम्बी देर से पचने वाली होती है।कलमी का फल मधुर, कषाय, ठंडे तासीर का तथा पित्त को कम करने में सहायता करता है।
आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं के साथ अभिष्यंद भी में कलंबी से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। कलमी के पत्ते का रस आँखों के चारो ओर यानि बाहर की ओर लगाने से अभिष्यंद ठीक होता है।
अगर किसी कारणवश सांस लेने में समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए कलम्बी का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। 1-2 ग्राम कलम्बी साग पञ्चाङ्ग चूर्ण का सेवन करने से सांस की तकलीफ में लाभ होता है।अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो कलमी साग से इसका इलाज किया जा सकता है।10 मिली कलमी के पत्ते का काढ़ा दिन में दो बार सेवन करने से खांसी में फायदा मिलता है।
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स या अर्श होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें कलमी शाक का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 2 चम्मच करेमु के पत्ते के रस में 1 बादाम गिरी को पीसकर मिलाकर, प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करने से अर्श या पाइल्स में लाभ होता है।
अगर किसी एलर्जी के कारण दाद हुआ है तो इसको ठीक करने के लिए कलंबी का इस्तेमाल ऐसे करने से जल्दी लाभ मिलेगा। करेमु के नये खिले हुए फूल के कलियों को पीसकर दाद के प्रभावित स्थान में लगाने से लाभ होता है।
गलसुआ संक्रामक रोग होता है। यह रोग होने पर पेरोटिड ग्रंथि में सूजन होता है। कलंबी का घरेलू नुस्ख़ा आजमाने पर जल्दी राहत मिलती है। एक चम्मच करेमु पत्ते के रस को बादाम के साथ मिलाकर प्रतिदिन दो बार सेवन करने से गलगण्ड, श्लैष्मिक शोफ, राइटर्स क्रेम्प तथा अत्यधिक पसीना में लाभ होता है।
मूत्राशय में पथरी होने पर इसके कष्ट से तभी निजात मिलेगा जब वह निकल जायेगा। प्राकृतिक तरीके से पथरी निकालने में कलंबी के पत्ते असरदार तरीके से काम करते हैं। 10 मिली करेमु के पत्ते के काढ़े का सेवन करने से मूत्राश्मरी टूट-टूट कर निकल जाती है।अगर लंबे बीमारी के कारण या पौष्टिकता की कमी के वजह से कमजोरी महसूस हो रही है तो कर्मी का साग का इस तरह से सेवन करने पर लाभ मिलता है। करेमु पञ्चाङ्ग का सेवन करने से सामान्य दुर्बलता तथा तंत्रिका कमजोरी (नर्व) में लाभ होता है!
प्रसव बाद यदि मां के स्तन में दूध की कमी होती है तो शिशु के लिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वह पूरी तरह माँ के दूध पर ही निर्भर करता है। इस समस्या के समाधान में कलम्बी मदद कर सकती है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार कलम्बी में स्तन्यवर्धक का गुण पाया जाता है जो कि माँ के दूध की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होता है।
गर्मी के कारण होने वाले रोग के लक्षणों को कम करने के लिये आप कलम्बी का उपयोग कर सकते है, क्योंकि कलम्बी में शीत का गुण पाया जाता है जो कि गर्मी को शांत करने में मदद करती है।
आर्सेनिक के विष के प्रभाव को कम करने में करमी साग बहुत सहायता करती है।
-वामक होने से पत्ते के रस का प्रयोग अपांप्म तथा संखिया विषाक्तता की चिकित्सा में किया जाता है अथवा 2 चम्मच पत्ते के रस में दो चम्मच बैंगन पत्ते का रस मिलाकर इसका प्रयोग किया जाता है।
-करेमु पत्रों का शाक बनाकर खाने से अपांप्म का विष शान्त होता है।