आयुर्वेद विज्ञान में कम रखो एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है! कमरख एक प्रकार का फल है। प्राचीन काल से कमरख का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जा रहा है। पुराणों और कई आयुर्वेदिक ग्रन्थों में कमरख का वर्णन कर्मरंग नाम से देखने को मिलता रहा है। कमरख के उपयोग से कफ-वात, पित्त विकार को ठीक किया जा सकता है। कमरख भूख जगाने वाला और रुचिकारक होता है।आयुर्वेदिक ग्रंथों में कमरख के औषधीय गुणों के बारे में बहुत अच्छी बातें बताई गई हैं। यह बताया गया है कि कमरख स्वाद में मीठा और प्रकृति में अम्लीय होता है। इसकी तासीर गर्म और भारी होती है। यह तीखा भी होता है। इसका पका हुआ फल मीठा और ताकत देने वाला होता है। आइए जानते हैं कि औषधि के रूप में आप कमरख का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।
कमरख के फल खट्टे और मीठे दोनों किस्म के होते हैं। फल खुशबूदार और गूदेदार होते हैं। ये फल रसीले भी होते हैं। खट्टे और मीठे फलों के आधार पर कमरख की दो प्रजातियाँ होती हैं। इन दोनों का प्रयोग दवाओं के लिए होता है। कमरख के पत्तों का रस रक्तचाप कम करने में मदद प्रदान करता है।
कमरख का पेड़ 5 से 10 मीटर ऊँचा होता है। यह पेड़ काफी घना और सुन्दर होता है। इसमें कई शाखाएं-प्रशाखाएं होती हैं। इसके पत्ते साल भर हरे रहते हैं। इसकी शाखाएँ काफी घनी होती हैं। कमरख के फल 7.5 से 10 सेंटी मीटर लम्बे होते हैं। ये फल कच्चे रहने पर हरे और पाक जाने पर पीले रंग के होते हैं। इन फलों में 3 से 5 तक की संख्या में सिरे होते हैं। कई बार ये तारे के आकार के होते हैं।दमा के रोगियों को सांस में दिक्कत आती है और थोड़ी सी भी मेहनत करने पर सांस फूलने लगती है। यह रोग असाध्य होने की हालत में कमरख के बीज का 1 से 2 ग्राम चूर्ण का सेवन करें। इससे दमा पर नियंत्रण होता है और शीघ्र आराम मिलता है।
कमरख का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। खासकर, एन्जाइना नामक बीमारी में कमरख के पत्तों का का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इसका 10 से 20 मिली सेवन करने से लाभ होता है।उल्टी और दस्त होने की हालत में कमरख के फल बेहद लाभदायक होते हैं। इनके सेवन से अत्यधिक प्यास लगना भी रुकता है। कमरख के फल का 5 से 10 मिली रस का सेवन करने से खूनी पेचिश की बीमारी ठीक होती है।कमरख का सेवन पेट को अनेक फायदे पहुंचाता है। कमरख के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिली मात्रा में पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
कमरख के बीज के 1/2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।खूनी बवासीर के मरीज को कमरख के फल का 5 से 10 मिली रस रोजाना पिलाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। रस उपलब्ध नहीं हो तो 1 या 2 फल को रोज खाने से भी खून आना बंद हो जाता है।स्कर्वी विटामिन सी की कमी से होने वाली एक बीमारी है। स्कर्वी से पीड़ित व्यक्ति को खून की कमी, अपंगता, लगातार खून बहना, इत्यादि समस्याएं आती रहती हैं। ऐसा होने पर पर रोगी को कमरख के पके हुए फल खाने चाहिए। इससे रोगी को लाभ होता है।
कमरख फल का खाने से बुखार में लाभ होता है और कमजोरी भी दूर होती है। कमरख के सूखे फलों का चूर्ण बनाकर 1 से 2 ग्राम मात्रा में इसका सेवन करने से बुखार दूर हो जाता है। कमरख की जड़ का काढ़ा बनाकर 1 से 2 ग्राम तक लेने पर या हिम बनाकर पिलाने पर बुखार ख़त्म हो जाता है।
यदि बुखार के कारण शरीर में जलन महसूस हो रही हो तो कमरख के 2 से 5 ग्राम पत्तों को पीस लें। इसमें 125 से 250 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इस मिश्रण को जल के साथ घोंट लें। इस घोल को छान कर पिलाने से शरीर की जलन समाप्त हो जाती है।कमरख के अधिक सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-
कमरख के फलों का बहु ज्यादा सेवन करने से कब्ज पैदा हो जाती है।
कच्चे फल ज्यादा मात्रा में खाने से छाती में दर्द तथा जलन हो सकती है।
इसलिए बेहतर होता है कि उपचार के लिए इसका प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की राय ले ली जाए।
कमरख अपेक्षाकृत गर्म प्रदेशों में मिलता है। यह समस्त भारत के गर्म क्षेत्रों में तथा बाग बगीचों में मिलता है। यह उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1200 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।