हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार के पेड़ पौधों को औषधि का रूप बताया गया है! कटेरी एक प्रकार का कांटेदार पौधा होता है जो जमीन में फैला होता है। कटेरी के पत्ते हरे रंग के, फूल नीले और बैंगनी रंग के और फल गोल और हरे रंग के सफेद धारीदार होते हैं। इस कांटेदार पौधे के इतने गुण हैं कि आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधि के रुप में किया जाता है। चलिये इस अनजाने जड़ी-बूटी के बारे में विस्तार से जानते हैं कि ये कैसे और किन-किन बीमारियों के लिए उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।कटेरी का पौधा झाड़ी के रूप में जमीन पर फैला हुआ होता है। इसको देखने से ऐसा लगता है, जैसे कोई क्रोधित नागिन शरीर पर अनेकों कांटो का वत्र ओढ़े गर्जना करती हुई मानो कहती हो, मुझे कोई छूना मत। कटेरी में इतने कांटे होते हैं कि इसे छूना दुष्कर है, इसीलिए इसका एक नाम दुस्पर्शा है।
कटेरी की कई प्रजातियां होती है परन्तु मुख्यतया तीन प्रजातियों 1. छोटी कटेरी, 2. बड़ी कटेरी तथा 3. श्वेत कंटकारी का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
छोटी कटेरी के दो भेद होते हैं एक तो बैंगनी या नीले रंग के पुष्प वाली जो कि सभी जगह मिल जाती है। दूसरी सफेद पुष्पवाली जो हर जगह नहीं मिलती है। इस दूसरी प्रजाति को सफेद कण्टकारी कहते हैं। इस प्रजाति को श्वेतचन्द्रपुष्पा, श्वेत लक्ष्मणा, दुर्लभा, चन्द्रहासा, गर्भदा आदि नामों से जाना जाता है।
सफेद कांटा वाल पौधा वर्षायू, छोटा एवं हल्के रंग का होता है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं तथा फूलों के भीतर की केसर सफेद या पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ छोटी, पतली तथा शाखायुक्त होती है। यह पौधा शीत-ऋतु में पैदा होता है तथा वर्षा-ऋतु में गल जाता है।
गर्म प्रकृति की होने के कारण कटेरी पसीना पैदा करने वाली होती है तथा कफ वात को भी कम करने में मदद करती है। कटेरी का पौधा कटु, कड़वा और गर्म तासिर का होने के कारण खाना हजम करने में सहायता करता है। भूख कम लगने और पित्त संबंधी बीमारी को दूर करने के में यह औषधि बड़ी प्रभावशाली तरीके से काम करती है। यह मूत्र संबंधी बीमारी और बुखार को कम करने में फायदेमंद होती है। मूत्रल होने के कारण शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाकर सूजन में, सूजाक या गोनोरिया, मूत्राघात और मूत्राशय की पथरी में भी यह औषधि लाभकारी सिद्ध हुई है। यह खून को साफ करने वाली, सूजन कम करने वाली और रक्तभार को कम करती है। यह सांस संंबंधी नलिकाओं तथा फेफड़ों से हिस्टेमीन को निकालती है। यह आवाज को बाघ या व्याघ्र के समान तेज करती है इसलिए इसको व्याघी कहते हैं।
श्वेत कंटकारी प्रकृति से कड़वी, गर्म, कफवात कम करने वाली, रुचि बढ़ाने वाली, नेत्र के लिए हितकर, भूख बढ़ाने वाली, पारद को बांधने वाली तथा गर्भस्थापक होती है। इसके बीज भूख बढ़ाने में मदद करते हैं। इसकी जड़ भूख बढ़ाने तथा हजम शक्ति बढ़ाने में मदद करती है।
श्वेत कंटकारी के फल भूख बढ़ाने वाली, कृमिरोधी; सांस की तकलीफ, खांसी, बुखार या ज्वर, मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्या, अरुचि या खाने की कम इच्छा, कान में सूजन आदि बीमारियों के उपचार में हितकारी होती है। श्वेत कंटकारी के फल का काढ़ा बुखार से राहत दिलाती है।
कंटकारी की जड़ से प्राप्त रस में स्टेफीलोकोक्कस औरीयस एवं एस्चरीशिया कोलाई रोधी गुण पाए जाते हैं।
अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो कटेरी का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
-कटेरी का काढ़ा, गोखरू का काढ़ा तथा लाल धान के चावल से बने ज्वरनाशक पेय का थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन-चार बार सेवन करने से बुखार होने पर जो सिर दर्द होता उसमें आराम मिलता है।
-कटेरी के फल के रस को माथे पर लेप करने से सिर दर्द कम होता है।
अक्सर किसी बीमारी के कारण बाल झड़कर गंजेपन की अवस्था आ गई है तो कटेरी का इलाज फायदेमंद साबित हो सकता है-
-20-50 मिली कटेरी पत्ते के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सिर में चंपी करने से इन्द्रलुप्त (गंजापन) में लाभ होता है।
-श्वेत कंटकारी के 5-10 मिली फल के रस में मधु मिलाकर सिर में लगाने से इन्द्रलुप्त में लाभ होता है।
दिन भर बाहर धूल मिट्टी या धूप में काम करने पर अक्सर बालों में रूसी की समस्या हो जाती है। इससे निजात पाने के लिए कटेरी फल के रस में समान मात्रा में मिलाकर सिर में लगा सकते है।
आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में कटेरी से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। कटेरी के 20-30 ग्राम पत्तों को पीसकर उनकी लुगदी बनाकर आंखों पर बांधने से (आंखों का दर्द ) दर्द कम होता है।मौसम के बदलने पर नजला, जुकाम व बुखार हो जाता है, उसमें पित्तपापड़ा, गिलोय और छोटी कटेरी सबको समान मात्रा में (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर एक चौथाई भाग का काढ़ा पिलाने से बहुत लाभ मिलता है।दांत दर्द की परेशानी दूर करने में कटेरी मदद करती है।
-अगर दांत बहुत दुखती हो तो कटेरी के बीजों का धुआं लेने से तुरन्त आराम मिलता है। कटेरी की जड़, छाल, पत्ते और फल लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से भी दांतों का दर्द दूर होता है।
-श्वेत कंटकारी के बीजों का धूम्रपान के रूप में प्रयोग करने से दाँतों का दर्द तथा दंतकृमि कम होता है।