सामन्यतौर पर सभी औषधियां हमारे लिए उपयोगी होती है! केवांच एक लता है। केवांच को किवांच या कौंच भी बोला जाता है। आमतौर पर लोग केवांच को बहुत ही साधारण-सी लता समझते हैं लेकिन असलियत कुछ और है। केवांच एक औषधि है। केवांच का प्रयोग कई रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि औषधि के रूप में केवांच की पत्तियां, बीज, जड़, रोम आदि का उपयोग किया जाता है।
आपने भी शायद केवांच या किवांच या कौंच को देखा होगा, लेकिन हो सकता है कि शायद आप केवांच से होने वाले फायदे के बारे में जानकारी ना रखते हों। अगर वास्तव में ऐसा है तो यह जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवांच का उपयोग कर आप घाव को ठीक कर सकते हैं। टीबी की बीमारी में लाभ पा सकते हैं। इतना ही नहीं, कुष्ठ रोग, योनि और खून से संबंधित बीमारियां, सूजन और पार्किन्सन (कम्पवात) रोग आदि को ठीक करने के लिए भी केवांच का प्रयोग कर सकते हैं।
पुराने आयुर्वेदीय ग्रंथों में केवांच के बारे में जानकारी मिलती है। केंवाच की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं। एक प्रजाति जो सामान्यतया जंगलों में पैदा होती है। इस पर बहुत अधिक रोएं होते हैं। इसकी दूसरी प्रजाति जिसकी खेती की जाती है। वह कम रोएं वाली होती हैं।
जंगली केंवाच पर घने और भूरे रंग के बहुत अधिक रोएं होते हैं। अगर यह शरीर पर लग जाए तो बहुत तेज खुजली, जलन करते हैं। इससे सूजन होने लगती है। केंवाच की फलियों के ऊपर बन्दर के रोम के जैसे रोम होते हैं। इससे बन्दरों को भी खुजली उत्पन्न होती है। इसलिए इसे मर्कटी तथा कपिकच्छू भी कहा जाता है।
केवाँच की पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है।1-2 ग्राम केवाँच की बीज के चूर्ण को मधु तथा घी के साथ मिलाकर चाटने से सांस की बीमारी में लाभ मिलता है।बराबर मात्रा में बला, बड़ी कटेरी, शालपर्णी, केवाँच मूल तथा मुलेठी का पेस्ट बना लें। इसको घी में पका लें और इसकी 5 ग्राम मात्रा में मधु मिलाकर सेवन करने से शूल वाले दस्त में लाभ मिलता है।5-10 ग्राम केवाँच की जड़ के पेस्ट को तण्डुलोदक (चावल के धोवन) के साथ पिएं। इससे पेचिश ठीक होता है।
केवाँच की जड़ से बने क्षीर को पका लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में पीने से वात दोष के कारण होने वाली दस्त में लाभ होता है।
केवाँच के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से कब्ज की समस्या तथा पेट के कीड़े खत्म होते हैं।केवाँच की जड़ को पीसकर पेट पर लगाने से जलोदर रोग में लाभ होता है।केवाँच की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से किडनी के विचार, पेशाब संबंधित समस्या (मूत्र रोग) और हैजा में लाभ होता है।
कौंच के बीजों को छाया में सुखा लें। इसे पीस लें और 5 ग्राम बीज के चूर्ण को दूध में पकाकर पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।1-2 ग्राम कौंच की बीज (कौंच बीज) के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकारों (पेशाब संबंधित रोग) में लाभ होता है और शरीर स्वस्थ बनता है।
केवाँच की जड़ के काढ़ा से योनि को धोने तथा पिचु धारण करने से योनि संकुचित होती है तथा योनि शैथिल्य का शमन होता है।1-2 ग्राम केवाँच की बीजों को खाएं। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है।
बराबर मात्रा में उड़द, केवाँच बीज (कौंच बीज), एरण्ड की जड़ तथा बलामूल के काढ़ा (10-30 मिली) लें। इसमें हींग तथा सेंधा नमक मिलाकर पीने से लकवा (पक्षाघात) में बहुत लाभ होता है।
केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के पत्ते रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे ग्रीवा, बाहु (भुजा या कंधे से लेकर कोहनी तक), स्कन्ध (कन्धे) रोग ठीक होते हैं।
एक माह तक नियमित केवाँच की बीज के रस (10-20 मिली) का पान करने से अवबाहुक रोग ठीक होता है।
बराबर भाग में गूलर, केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के रस में हींग मिला लें। इसकी 1-2 बूंद नाक में डालने से अवबाहुक रोग में लाभ होता है।
केवाँच के रस को पिलाने से अवबाहुक रोग मिटता है।क्रौंच के बीजों (कौंच बीज) की खीर बनाकर खिलाने से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है।
2 ग्राम कौंच की बीज के चूर्ण में 1 ग्राम गोखरू की बीज का चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
बराबर मात्रा में केवाँच बीज, गोक्षुर, अपामार्ग बीज, छिलका-रहित जौ तथा उड़द को लें। इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर गाय के दूध में मिलाकर या पकाकर सेवन करें। इससे सेक्सुअल स्टेमना में बढ़ोतरी होती है।
केवाँच बीज (कौंच बीज) तथा तालमखाना के (2-4 ग्राम) चूर्ण में शर्करा मिला लें। इसे तुरंत का दुआ हुआ दूध के साथ सेवन करें। इससे शुक्राणु रोग ठीक होता है।
20-30 मिली उड़द के सूप में 1-2 ग्राम केवाँच बीज का चूर्ण मिलाकर पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
2 ग्राम कौंच बीज तथा 2 ग्राम गोखरू में बराबर भाग मिश्री मिलाकर पीस लें। इसकी 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद तथा दूध के साथ खिलाने से कामशक्ति में बढ़ोतरी होती है!