सामान्य तौर पर कई प्रकार के पौधों को हमारे वैदिक विज्ञान में औषधि का रूप दिया गया है! कोद्रव को कोदो भी कहते हैं। इसकी खेती की जाती है। कोदो का पौधा धान के जैसा ही होता है, लेकिन खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है। लोग कोदो या कोद्रव के बारे में इतना ही जानते हैं, लेकिन असलियत यह है कि कोदो एक बहुत ही गुणी औषधि है। कोदो (कोद्रव) के फायदे से रोगों का इलाज किया जा सकता है। रूसी की समस्या, घेघा रोग, पेट से संबंधित बीमारी और बवासीर आदि में कोदो (कोद्रव) से लाभ मिलता है। कोदो एक ऐसा अन्न है जिसे लम्बे समय तक रखने से भी यह खराब नहीं होता है। इसमें कीड़े नहीं लगते हैं। आप कफ-पित्त दोष, मल-मूत्र विकार में कोदो से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि कोदो (कोद्रव) से और क्या-क्या फायदे होते हैं।कोद्रव का पौधा 60-90 सेमी तक ऊँचा, सीधा, धान के पौधे जैसा होता है। इसके बीज चमकीले, गहरे बैंगनी रंग के, छोटे, सफेद, गोल सरसों के समान होते हैं। इसका रंग श्यामला होता है। यहां कोदो से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप कोदो से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
कोद्रव पंचांग को जलाकर भस्म बना लें। इसमें जल मिलाकर सिर पर लेप करने से दारुणक (रूसी की समस्या) में लाभ होता है।जलकुम्भी भस्म को गोमूत्र में पीसकर कपड़े से छान लें। इसे कोदो के भात (चावल) के साथ खाने से गले की गांठ (घेंघा) रोग ठीक होता है।कोद्रव के बीजों का भस्म बना लें। 1-2 ग्राम भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से सांसों के रोग और खांसी में लाभ होता है।
कोद्रव का भात (चावल) बनाकर दही के साथ खिलाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
कोद्रव की खीर बनाकर खिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
कोदो से बने अनाज का सेवन करना डायबिटीज में फायदा पहुंचाता है। बेहतर परिणाम पाने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।कोदो को पीसकर रोटी जैसा आहार बना लें। इसे नमक-रहित कम तेल में पका लें। इसे पत्ते वाली सब्जियों के साथ सेवन करना चाहिए। लकवा में लाभ मिलता है।
बेसन तथा हल्दी के साथ कोद्रव के चूर्ण को मिलाकर लगाने से त्वचा की सुन्दरता बढ़ती है।कोद्रव के आटे की मोटी रोटी बना लें। इसमें एक तरफ हल्दी लगाकर हल्का गर्म करके बांधें। इससे सूजन ठीक हो जााती है।
यहां कोदो से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप कोदो से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में कोद्रव का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
आप पतंजलि के कोद्रव से बने उत्पाद बाजार से खरीद सकते हैं। यह आसानी से मिल जाता है।कोद्रव के इस्तेमाल से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
कोद्रव का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से वातदोष तथा कब्ज की समस्या हो सकती है।
कोद्रव का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से किसी-किसी को उल्टी तथा बुखार हो सकता है।
इसके साथ ही बेहोशी, मैनिया, गतिविधियों में अनियमितता आदि लक्षण होने लगते हैं।
इन लक्षणों को दूर करने के लिए कद्दू के रस में गुड़ मिलाकर या हरसिंगार के पत्तों का रस पिलाना चाहिए।
कोदो रक्त को शुद्ध करने, प्रतिरोधक में सुधार लाने में मदद करता है।
यह मधुमेह और कब्ज को ठीक करने में मदद करता है।
कोदो का सेवन अच्छी नींद लाने में मदद करता है।
यह अस्थि मज्जा के कुशल कामकाज में और अस्थमा और गुदे की समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता है। प्रोस्टेट, रक्त कैंसर और आंत, थायराइड, गले, अग्नन्याशय या यकृत के कैंसर से संबंधित समस्याओं से छुिकारा पाने के लिए मदद करता है।
कोदो में उच्च पौष्टिक मूल्य होते हैं। इसीलिए यह बच्चों के लिए एक अच्छा भोजन है। इसमें विटामिन और खनीज प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह पाचन के लिए अच्छा होता है।
कोदो मिलेट में उच्च एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि है। यह रक्त में शकरा और कोलेस्रॉल के स्तर को जांच में रखता है।
Kodo Millet स्प्रिंट में भाग लेने वालों को अच्छी ऊर्जा प्रदान करता हैं।
अन्य दाल जैसे बंगाल चना या ग्वारपाठा के साथ लेते हैं तो हमें पयााप्त पोषक तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं।
कोदो में उच्च फाइबर होने के कारण यह वजन कम करने के लिए अच्छा होता है।
लंबे समय तक बिमारियों से राहत पाने और सूजन को कम करन के लिए यह एक अच्छा भोजन है।
कोदो मिलेट में उच्च एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि है। यह रक्त में शकरा और कोलेस्रॉल के स्तर को जांच में रखता है।
स्प्रिंट में भाग लेने वालों को अच्छी ऊर्जा प्रदान करता हैं।
यदि आप को अन्य दाल जैसे बंगाल चना या ग्वारपाठा के साथ लेते हैं तो हमें पयााप्त पोषक तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं।
कोदो में उच्च फाइबर होने के कारण यह वजन कम करने के लिए अच्छा होता है।
लंबे समय तक बिमारियों से राहत पाने और सूजन को कम करन के लिए यह एक अच्छा भोजन है। जोड़ों की सूजन, अनियमित पीरियड्स, मधुमेह के रोग और जिन लोगों की आंख की नसें कमजोर हैं, और महिलाओं के लिए अच्छा भोजन है।
कोदो के आटा का उपयोग सूंघने पर किया जाता है। यह उन मधुमेह रोगियों के लिए भी सहायक है जो पैरों में निचे चोट लगने के बाद गैंग्रीन विकसित करते हैं।
कोदो डेंगू, टायफाइड या वायरल बुखार से पीड़ित और कमजोर हो गए व्यक्तियों के ले लाभकारी हैं।