राजस्थान में गायों और मवेशियों के ऊपर लंपी का कहर आ चुका है! कोरोना और मंकीपॉक्स के बाद अब राजस्थान में ‘लंपी’ ने कोहराम मचा दिया है। पशुओं को निशाना बनाने वाले इस खतरनाक वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। लंपी एक संक्रामक स्किन की बीमारी है जिससे अब तक 4000 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। वहीं 90 हजार से अधिक मवेशी इससे संक्रमित बताए जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर गायें हैं। गोवंश में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को इस बीमारी की रोकथाम के लिए मिशन मोड पर काम करने का निर्देश दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र से इस वायरस के लिए आर्थिक मदद की अपील की है।
क्या है लंपी वायरस?
लंपी वायरस, पशुओं में फैलने वाला एक चर्म रोग है। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका संक्रमण बढ़ा है। जानकारी के मुताबिक, इस वायरस की देश में एंट्री पाकिस्तान के रास्ते हुई है। इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर पर सैकड़ों की संख्या में गांठे उभर आती हैं। साथ ही तेज बुखार, मुंह से पानी टपकना शुरू हो जाता है। इससे पशुओं को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। उसे चारा खाने और पानी पीने में भी परेशानी होती है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छर, मक्खी और जूं आदि के काटने या सीधा संपर्क में आने से फैलती है। कम प्रतिरोधक क्षमता वाली गायें शीघ्र ही इस वायरस की शिकार हो जाती है। बाद में यह वायरस एक से दूसरे पशुओं में फैल जाता है।
खास तौर से गायों में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं। राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है। सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं। यह बीमारी लाइलाज है। ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है।
- इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें। इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें।
- बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें।
- रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें।
- जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके।
- पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें। इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं।
- जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें।
- मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें।
- संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं।
पशुपालन विभाग में सचिव पीसी किशन ने बताया कि लंपी का संक्रमण राज्य के 16 जिलों में फैल गया है। बाड़मेर, जोधपुर और जालौर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जबकि गंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों में इसका असर कम हो रहा है। लंपी वायरस पर लगाम के लिए राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कई फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में जरूरी दवाएं खरीदने के लिए अजमेर, बीकानेर और जोधपुर में संभाग स्तर के कार्यालयों में 8-12 लाख रुपये की धनराशि वितरित की गई है। अन्य प्रभावित जिलों के लिए भी 2 से 8 लाख रुपये की राशि वितरित की गई है। आपात स्थिति को देखते हुए अन्य जिलों के दवा भंडारों में उपलब्ध दवाओं को प्रभावित जिलों में भेज दिया गया है। प्रभावित जिलों के लिए अन्य जिलों से 29 पशु चिकित्सक और 93 पशुधन सहायकों को तैनात किया गया है। पशुओं में फैल रही बीमारी पर लगातार नजर रखने के लिए प्रभावित जिलों के साथ-साथ जयपुर मुख्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।पशुपालन विभाग में सचिव पीसी किशन ने बताया कि लंपी का संक्रमण राज्य के 16 जिलों में फैल गया है। बाड़मेर, जोधपुर और जालौर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जबकि गंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों में इसका असर कम हो रहा है। लंपी वायरस पर लगाम के लिए राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कई फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में जरूरी दवाएं खरीदने के लिए अजमेर, बीकानेर और जोधपुर में संभाग स्तर के कार्यालयों में 8-12 लाख रुपये की धनराशि वितरित की गई है।