सामान्य तौर पर कई प्रकार के पौधों का वर्णन हमारे वैदिक विज्ञान में मिल ही जाता है! क्या आप जानते हैं कि धातकी क्या है और धातकी का प्रयोग किस काम में किया जाता है? नहीं ना! आप जान लीजिए कि धातकी एक औषधि है जिसका प्रयोग रोगों का उपचार के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में धातकी के उपयोग से संबंधित कई अच्छी बातें बताई गई हैं।धातकी के पौधे से अनेक प्रकार की औषधियां बनाई जाती हैं। यह इतनी महत्वपूर्ण वनस्पति है कि प्रायः सभी आयुर्वेदिक अर्क या रस में धातकी के फूल का प्रयोग होता है। प्राचीन काल से धातकी का उपयोग शोध और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाता रहा है। आइए जानते हैं कि आप धातकी का इस्तेमाल कर कैसे बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।धातकी माध्यम उंचाई का पौधा होता है। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 3.6 मीटर होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। इसकी जड़, तने की छाल, लता, पत्ता, फूल, फल आदि सभी अंग गुणकारी होते हैं और विभिन्न रोगों के उपचार में काम आते हैं।
धातकी के पौधे हर साल जनवरी से अप्रैल के दौरान फूलों से भर जाते हैं। इसी वक्त इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके पौधों में नए पत्ते फरवरी से मार्च के बीच आते हैं।
आँखों के लिए धातकी बेहद गुणकारी औषधि है। इसके फूल और तिनिश सार को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दूध एवं शहद के साथ अच्छी तरह मिलाकर सेवन करें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है। कफ आदि के कारण पलक उठाने में हो रही परेशानी में भी धातकी लाभदायक साबित होती है।यदि नाक से खून आ रहा हो तो धातकी का फूल इसे रोकने में मदद कर सकता है। इसके फूल में मोचरस, पठानी लोध्र, आम की गुठली और मंजीठ को पीसकर चीनी के शरबत में मिलाएं। इसे कपड़े से छानकर निचोड़ लें। इस रस को 1-2 बूंद की मात्रा में नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।धातकी के पत्तों और फूल, दोनों को बराबर हिस्सा लेकर इसका काढ़ा बना लें। इसे गले में अटकाकर कुल्ला (गरारा) करने पर दांत के सभी तरह के रोगों में फायदा होता है।
जब छोटे बच्चों के दांत निकलते हैं तो प्राय: बच्चों को दर्द होता हैं। ऐसा होने पर आंवला, पिप्पली और धातकी के फूल, को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण के 1 ग्राम में शहद मिलाकर सुबह और शाम रोज बच्चों के मसूड़ों पर मालिश करें। ऐसा करने से दांत निकलते समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है। दांत आसानी से निकल जाता है।पेट में यदि कीड़े हो गए हो तो धातकी की मदद ली जा सकती है। इसके फल के 3 ग्राम चूर्ण को सुबह खाली पेट में ताजा पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।दस्त होने की स्थित में धातकी के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद या एक कप छाछ मिलाकर सेवन करें। इससे दस्त और पेचिश में काफी लाभ होता है। जिन्हें बार-बार शौच जाना पड़ता है, उन्हें इस दिव्य औषधि का सेवन कर जरूर लाभ उठाना चाहिए।
सोंठ, धातकी के फूल, मोचरस और अजमोदा को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रित चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा का सेवन छाछ के साथ करें। इससे दस्त और और पेचिश दोनों में लाभ होता है।पेचिश के उपचार के लिए धातकी के 10 ग्राम फूलों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में उबालें। पानी का एक चौथाई बच जाने पर उबालना बंद कर दें। इस काढ़ा का सुबह खाली पेट और शाम में भोजन से 1 घंटा पहले सेवन करें। दवा के इस्तेमाल के दौरान सुपाच्य भोजन का सेवन करें। कुछ समय के लिए दूध और घी नहीं खाएं। इसके सेवन ने निश्चित तौर पर फायदा होगा।
धातकी के फूल के 1-3 ग्राम चूर्ण को दही के साथ सेवन करने से पेचिश पर रोक लगती है।
सोंठ, धातकी के फूल, मोचरस और अजमोदा को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रित चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा का सेवन छाछ के साथ करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।धातकी के फूलों का शरबत पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। खूनी बवासीर या अन्य किसी कारण से खून बहने को रोकने के लिए धातकी के फूल के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाएं। इसे दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से खून आना बंद हो जाता है या धीरे धीरे कम हो जाता है।
धातकी के फूलों का 2-3 ग्राम चूर्ण लेकर इसे चित्रक की जड़ और हल्दी के चूर्ण के साथ मिलाएं। अगर इनमें से किसी एक का भी सेवन 50 ग्राम गुड़ के साथ किया जाए तो प्लीहा विकार जैसे तिल्ली के बढ़ने और प्लीहा के बढ़ने से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में सहायता मिलती है।