पीएम मोदी ने आने वाले चुनावों के लिए एक एजेंडा तैयार कर लिया है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 2024 आम चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया। भोपाल से देशभर के भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम ने एक तरफ पसमांदा मुसलमानों की चर्चा करते हुए तुष्टिकरण पर कांग्रेस की पिछली सरकारों को घेरा। दूसरी तरफ बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता का मुद्दा भी छेड़ दिया। UCC का मुद्दा इसलिए भी अहम है क्योंकि यह भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का एक ऐसा बचा हुआ वादा है जिसे पूरा किया जाना अभी बाकी है। आज का कार्यक्रम लाइव था। अलग-अलग राज्यों से भाजपा कार्यकर्ता पीएम से बातचीत कर रहे थे। इसी क्रम में आए 2-3 सवालों के जवाब में पीएम ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की तरफ से बड़ा इशारा दे दिया। जी हां, यूपी की रानी चौरसिया के सवाल पर पीएम ने समान नागरिक संहिता पर सारा भ्रम दूर कर दिया। उन्होंने संकेत दे दिया कि अगले चुनाव में जाने से पहले मोदी सरकार की प्राथमिकता लिस्ट में यूनिफॉर्म सिविल कोड टॉप पर है और उस दिशा में जल्द फैसला हो सकता है। रानी ने सवाल पूछते हुए कहा था कि कुछ लोग यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कर रहे हैं, जिससे मुस्लिम भाई-बहन को काफी भ्रम हो रहा है। भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने पूछना चाहा कि लोगों को कैसे समझाएं। इसके बाद पीएम ने जो कहा वह 2024 से पहले कांग्रेस समेत सारे विपक्षी खेमे में खलबली मचाने के लिए काफी है। मोदी ने सबसे पहले समान नागरिक संहिता का सवाल पूछने के लिए भाजपा कार्यकर्ता को बधाई दी। पीएम ने आगे कहा कि भारत के मुसलमान भाई-बहनों को समझना होगा कि कौन से दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजकल समान नागरिक संहिता के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। पीएम ने साफ कहा, ‘आप मुझे बताइए, एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो तो क्या वह घर चल पाएगा क्या?’ पीएम ने कहा कि फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। लोग हम पर आरोप लगाते हैं लेकिन सच ये है कि यही लोग मुसलमान-मुसलमान करते हैं, अगर ये उनके सही मायने में हितैषी होते तो अधिकांश मुस्लिम परिवार शिक्षा, रोजगार में पीछे नहीं रहते।
पीएम ने आगे कहा कि जो भी तीन तलाक के पक्ष में बातें करते हैं। तीन तलाक की वकालत करते हैं, ये वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। कुछ लोगों को लगता है कि तीन तलाक है तो सिर्फ महिलाओं की बात हो रही है। लेकिन नुकसान सिर्फ बेटियों को नहीं होता। 8-10 साल बाद अगर तीन तलाक दे दिया और बेटी घर वापस आती है तो सोचिए उस मां-बाप पर क्या बीतती है। उस भाई का क्या होगा। तीन तलाक से पूरा परिवार तबाह हो जाता है। पीएम ने कहा कि इसका इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया का कोई मुस्लिम देश तीन तलाक खत्म नहीं करता। मुस्लिम बहुल देशों में भी तीन तलाक बंद कर दिया गया है।
पीएम ने हाल के अपने दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मिस्र में 90 प्रतिशत सुन्नी मुसलमान समाज है और वहां 80-90 साल पहले तीन तलाक की प्रथा को समाप्त कर दिया गया। अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है तो पाकिस्तान में क्यों नहीं होता, इंडोनेशिया में क्यों नहीं होता, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में इसे बंद क्यों कर दिया गया? मोदी ने कहा कि मुसलमान बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। यही लोग तीन तलाक का समर्थन भी करते हैं इसलिए मुस्लिम बहन-बेटियां भाजपा के साथ खड़ी रहती हैं।
पीएम ने आगे पसमांदा मुसलमानों की चर्चा छेड़ दी। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमांदा मुसलमानों का जीना मुश्किल कर रखा है। वे तबाह हो गए, उन्हें कोई फायदा नहीं मिला है। वे कष्ट में गुजारा करते हैं। उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का इतना शोषण किया है, लेकिन देश में इस पर चर्चा नहीं हुई। पसमांदा को आज भी बराबरी का हक नहीं मिलता। उन्हें नीचा और अछूत समझा जाता है। पसमांदा मुसलमान पिछड़े होते हैं। पीएम ने एक-एक करके पसमांदा मुसलमानों की जातियां गिनाईं। इस भेदभाव का नुकसान पसमांदा की कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा। लेकिन भाजपा सबका विकास की भावना से काम कर रही है। घर हो या स्वास्थ्य, मुसलमानों भाई-बहनों को भी पूरी सुविधा मिल रही है। पीएम ने यूं ही पसमांदा मुसलमानों की बात नहीं की। दरअसल, देश के 80 फीसदी से ज्यादा मुसलमान पसमांदा हैं। ये आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकत में पीछे रह गए हैं और भाजपा 2024 से पहले उन्हें अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि आज देश में जहां भी भाजपा की सरकारें हैं वहां हम संतुष्टिकरण के अभियान में लगे हैं। यह रास्ता मेहनत वाला रास्ता होता है। अगर बिजली मिलेगी तो सबको मिलेगी। अगर नल से जल का अभियान चलेगा तो हर एक को पहुंचाने का प्रयास होगा। इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा। जाति, बिरादरी, काका, भतीजा कुछ नहीं। पीएम ने कहा कि कैसे तुष्टिकरण वाली गंदी सोच ने कुछ राज्यों के लोगों के बीच खाई पैदा कर दी। हमने देखा है कि यूपी में पासी भाई-बहन, कोयरी, खटिक भाई बहन राजनीति के शिकार हुए और विकास से वंचित रह गए। बिहार में दलित, महादलितों के साथ ऐसा ही हुआ। कुछ जातियों पर विशेष ध्यान, कुछ की उपेक्षा। दक्षिण भारत में भी नेताओं ने समाज को बर्बाद करके रखा है। पीएम ने केरल की कई जातियों का उदाहरण दिया, जिन्हें विकास के क्रम में पीछे छोड़ दिया गया। वोटबैंक की राजनीति में घुमंतू जनजातियों की कोई परवाह नहीं की गई।
इस तरह से देखिए तो पीएम ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले छोटी जातियों को भाजपा के साथ लाने की पहल की है। समान नागरिक संहिता की काफी समय से देश में मांग हो रही है। इसके अलावा पीएम ने पसमांदा मुसलमानों, दलितों, महादलितों की बात छेड़कर ‘सबका साथ सबका विकास’ वाला एजेंडा सामने रखा है।