Friday, September 20, 2024
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क्या है 2024 के लिए प्रधानमंत्री मोदी का मास्टर स्ट्रोक?

प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 के लिए अपना मास्टर स्ट्रोक तैयार कर लिया है! 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी ने ये लाइन्स कहीं थीं। 2019 के चुनाव के वक्त देश की सत्ता में दूसरी बार काबिज होने वाले मोदी इन चुनावों में वडोदरा और वाराणसी की सीटों से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। लेकिन 2024 के चुनाव की आहट से पहले पीएम मोदी के इस भाषण के अर्थ खुलने लगे हैं। अब तक उत्तर और पश्चिम भारत के इलाकों में अपने सारे राजनीतिक जीवन को जीने वाले पीएम मोदी 2024 में दक्षिण भारत से दिल्ली फतह के रास्ते पर जाने को तैयार हो रहे हैं।बीते दिनों वाराणसी में तमिल समागम (काशी तमिल संगमम) आयोजित कराने वाले पीएम मोदी 2024 के चुनाव में तमिलनाडु की रामनाथपुरम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, पीएम मोदी को पार्टी यूपी के वाराणसी के अलावा तमिलनाडु से चुनाव लड़ाने की योजना पर काम कर रही है। पार्टी की मंशा ये है कि उत्तर भारत में नीतीश कुमार, सुखबीर बादल और अन्य छोटे दलों के ना होने से जो नुकसान हुआ है, वो दक्षिण भारत से पूरा किया जा सके। हालांकि बीजेपी की राजनीति को करीब से देखने वाले कई पत्रकार इस फैसले को अलग तरीके से देखते हैं।

रामनाथपुरम जिला तमिलनाडु के 38 जिलों में से एक है। ये इलाका पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मस्थान है। तमिलनाडु का सबसे महत्वपूर्ण देवस्थल और द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम इसी जिले में स्थित है। इसके अलावा यहां से ही उस रामसेतु की भी शुरुआत होती है, जिसके रास्ते भगवान राम ने लंका पर जीत हासिल की थी। 2024 के चुनाव में अगर यहां से पीएम मोदी की दावेदारी कराई जाती है, तो ये संदेश देने की कोशिश होगी कि रामसेतु के रास्ते पीएम मोदी दिल्ली के महायुद्ध को जीतने आ रहे हैं। रामनाथपुरम की सीट तमिलनाडु में आने वाली 39 लोकसभा सीटों में से एक है। इस सीट पर रामेश्वरम का पवित्र ज्योतिर्लिंग है, जिसे रामायण का सबसे महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु कहा जाता है। रामचरित मानस के अनुसार, लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने यहीं पर शिव की आराधना की थी। भगवान राम के जीवन के अध्यायों में पहला अध्याय अयोध्या कहा जा सकता है, दूसरा पंचवटी और तीसरा रामेश्वरम। ऐसे वक्त में जब नरेंद्र मोदी 14 जनवरी 2024 के रोज राम मंदिर का लोकार्पण करने की राह पर हैं, ऐसे में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की सीट पर उनका चुनाव लड़ना देश में एक और राम लहर बनाने का कारक बन सकता है।

अयोध्या में जिस राम मंदिर का लोकार्पण कर पीएम मोदी देश में सांस्कृतिक नवजागरण का बिगुल फूंकने जा रहे हैं, उसकी कारसेवाओं के हर दौर में दक्षिण भारतीय कारसेवकों का सबसे बड़ा योगदान रहा है। 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के समय भी दक्षिण भारत के तमाम मठों और मंदिरों से कारसेवकों का बड़ा जत्था अयोध्या पहुंचा था। अब 400 वर्षों के राम मंदिर आंदोलन की गाथा सिद्ध होने जा रही है। 2024 में राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के साथ ही पीएम मोदी का दक्षिण भारत की इस सीट से चुनाव लड़ना इस बात का संदेश देने वाला होगा कि भगवान राम के नाम पर सारा देश एक सूत्र में बंधने जा रहा है।

रामनाथपुरम की सीट पर फिलहाल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का कब्जा है। 2019 के चुनाव के वक्त इस सीट पर कनी के नवस सांसद बने थे। नवस को 4,69,943 वोट मिले थे। लेकिन बीजेपी ने दक्षिण भारत की इस सीट पर पहली बार 3 लाख 42 हजार वोट हासिल किए थे। इस सीट पर बीजेपी के एन. नागेंद्रन को दूसरा स्थान मिला था। इसके अलावा अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (AMMK) को तीसरे स्थान के लिए 1 लाख 41 हजार वोट मिले थे। बीजेपी इसी कैलकुलेशन को लेकर आगे बढ़ रही है और इस बात पर आशान्वित है कि अगर पीएम मोदी इस सीट पर चुनाव लड़ने आते हैं कि तो जीत बार का करीब 1 लाख 18 हजार वोट का अंतर मैनेज किया जा सकता है।

अगर 2014 के चुनाव की बात करें तो पीएम मोदी की प्रचंड लहर के दौरान इस सीट पर जयललिता की AIADMK ने एमके स्टालिन और करुणानिधि की डीएमके का किला तोड़ा था। जयललिता की पार्टी के ए.अनवर राजा इस सीट पर 4.05 लाख वोट के साथ सांसद बने थे। डीएमके के मोहम्मद जलील यहां दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें 2.86 लाख वोट मिल थे। वहीं बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर थी। पार्टी के प्रत्याशी डी. कुप्पूरामू को यहां 1.71 लाख वोट मिले थे।

बीजेपी इस उम्मीद में है कि 2014 में तीसरे से पार्टी 2019 में दूसरे स्थान पर आ चुकी है। वोटों का आंकड़ा भी करीब-करीब दोगुना हो चुका है। ऐसे में अगर 2024 में मोदी मुस्लिम वोटर्स वाली इस सीट पर जीत हासिल कर ले जाते हैं तो इसके दोहरे संदेश होंगे। पहला संदेश ये होगा कि पार्टी के लिए दक्षिण का दरवाजा खुल गया है। दूसरा ये कि मुस्लिम बहुल इलाके में पीएम मोदी की स्वीकार्यता हो गई है, जो कि ये बताती है कि बीजेपी अब सिर्फ हिंदू वोटर्स की पार्टी नहीं है। वहीं अयोध्या से रामलला के नाम पर हिंदू वोटर्स को साध रहे मोदी अगर रामनाथपुरम से जीतते हैं तो दक्षिण के कांग्रेसी गढ़ में एक बड़ी सेंधमारी भी हो जाएगी।

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