रेवंदचीनी क्या है? जानिए इसके फायदे!

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सामान्य तौर पर रेवंदचीनी का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है! क्या आप जानते हैं कि रेवंदचीनी क्या है, और रेवंदचीनी के फायदे क्या-क्या हैं? रेवंदचीनी को रेवतिका भी कहते हैं। यह एक जड़ी-बूटी है। आप रेवंदचीनी से लाभ लेकर अनेक रोगों का इलाज कर सकते हैं। पेट की गड़बड़ी हो या पाचनतंत्र से सम्बन्धित अन्य रोग। सभी में आप रेवंदचीनी के फायदे ले सकते हैं।आयुर्वेद के अनुसार. रेवतिका (रेवंदचीनी) तेज सिर दर्द, रक्त विकार, दस्त, डायबिटीज आदि में लाभ पहुंचाता है। भूख न लगना, पाचन धीमा होना, पेशाब में जलन, गांठ, घाव, इत्यादि रोग में भी रेवतिका (रेवंदचीनी) से लाभ ले सकते हैं। आइए रेवंदचीनी से होने वाले सभी लाभ के बारे में जानते हैं।

रेवातिका स्वाद में कडवी और तीखी होती है। इसकी तासीर ठंडी होती है। रेवंदचीनी एक पहाड़ी वनस्पति है, जिसकी जड़ चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाई जाती है। रेवंदचीनी की जड़ सख्त लकड़ी जैसी और मोटी होती है। इसकी जड़ भूरे पीले रंग की होती है। जड़ का कोई निश्चित आकार नहीं होता है। रेवंदचीनी हिमालयी वनों में पायी जाने वाली औषधि है। यहां आपके लिए बहुत ही आसान भाषा में रेवंदचीनी के फायदे बताए गए हैं।

जानिए इसके फायदे!

अनेक लोगों को दांतों से जुड़ी कई तरह की परेशानियां होती है। दांतों में दर्द, मुंह से बदबू आना दांतों के रोगों में आम है। ऐसे में रेवंदचीनी का प्रयोग करना लाभ दिलाता है। दांतों के दर्द से जल्द राहत पाने के लिए रेवंदचीनी की जड़ को कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दांतों पर मंजन की तरह मलने से दर्द दूर होता है। इससे दांत-मुंह के अन्य रोग, दुर्गन्ध आदि से भी मुक्ति मिलती है।

कब्ज से परेशान है तो रेवंदचीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। घृतकुमारी (एलोवेरा) का गूदा, सनाय के पत्ते तथा शुण्ठी के चूर्ण 12-12 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 6-6 ग्राम काला नमक और सेंधा नमक मिलाएं। इसमें 3-3 ग्राम की मात्रा में विडङ्ग तथा रेवंदचीनी का चूर्ण मिलाकर मिश्रण बनाएं। इस मिश्रण चूर्ण को 1-2 ग्राम लेकर उसमें मधु मिलाकर सेवन करने से कब्ज की परेशानी खत्म होती है।बवासीर के रोगी को यदि खून आता हो तो इसमें रेवंदचीनी तुरंत राहत दिलाती है। रेवंदचीनी की जड़ को पीसकर इसका लेप बवासीर के मस्सों पर लगाएं। इससे बवासीर का दर्द कम होता है और खून आना बंद होता है।

रेवतिका का उपयोग योनि संबंधी कई बीमारियों में कर सकते हैं। योनि में खुजली होने पर रेवंदचीनी के चूर्ण को गेहूँ के आटा मिला लें। इस मिश्रण को जल में घोल कर हल्का गुनगुना कर लें। योनि में इसका लेप करने से खुजली की परेशानी ठीक होती है और योनि की शिथिलता तथा अन्य योनि के विकारों का भी नाश होता है।

जल्दी घाव सुख नहीं रहा है तो आप रेवतिका का इस्तेममाल कर सकते हैं।  इसके लिए रेवातिका की जड़ को पीसकर घाव पर लगाएं। ऐसा करने से घाव जल्दी भरता है।

रेवंदचीनी एक अच्छी औषधि है और यहां आपके लिए बहुत ही आसान भाषा में रेवंदचीनी के फायदे बताए गए हैं, लेकिन इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करें।

रेवंदचीनी के नुकसान!

रेवंदचीनी का उपयोग चिकित्सक की सलाह से ही किया जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से नुकसान होने या न होने का आकलन चिकित्सक ही परिस्थितियों के अनुसार कर पाते हैं। हालाँकि इसके प्रयोग ये नुकसान होने की संभावना रहती हैः-

पतला दस्त

पेट दर्द की शिकायत

महिलाओं में गर्भाशय का संकुचन

रेवंदचीनी भारत में यह हिमालय के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पायी जाती है। खासकर यह कश्मीर, आसाम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड एवं सिक्किम में लगभग 3350-3650 मी तक की ऊँचाई पर पायी जाती है।कब्ज से परेशान है तो रेवंदचीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। घृतकुमारी (एलोवेरा) का गूदा, सनाय के पत्ते तथा शुण्ठी के चूर्ण 12-12 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 6-6 ग्राम काला नमक और सेंधा नमक मिलाएं। इसमें 3-3 ग्राम की मात्रा में विडङ्ग तथा रेवंदचीनी का चूर्ण मिलाकर मिश्रण बनाएं। इस मिश्रण चूर्ण को 1-2 ग्राम लेकर उसमें मधु मिलाकर सेवन करने से कब्ज की परेशानी खत्म होती है।बवासीर के रोगी को यदि खून आता हो तो इसमें रेवंदचीनी तुरंत राहत दिलाती है। रेवंदचीनी की जड़ को पीसकर इसका लेप बवासीर के मस्सों पर लगाएं। इससे बवासीर का दर्द कम होता है और खून आना बंद होता है।

रेवतिका का उपयोग योनि संबंधी कई बीमारियों में कर सकते हैं। योनि में खुजली होने पर रेवंदचीनी के चूर्ण को गेहूँ के आटा मिला लें। इस मिश्रण को जल में घोल कर हल्का गुनगुना कर लें। योनि में इसका लेप करने से खुजली की परेशानी ठीक होती है और योनि की शिथिलता तथा अन्य योनि के विकारों का भी नाश होता है।