हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार के पेड़ पौधों को औषधि का रूप दिया गया है! सहजन की सब्जी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। यह एक मौसमी सब्जी है। आमतौर पर लोग सहजन का प्रयोग केवल उसकी सब्जी के लिए करते हैं क्योंकि लोगों को यह पता है कि सहजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। क्या आपको पता है कि सहजन का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है? नहीं ना!
जी हां, आपने सही पढ़ा है। सहजन का उपयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है। केवल सहजन के फल की ही नहीं बल्कि सहजन के पत्ते, छाल आदि का इस्तेमाल भी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। सहजन की छाल और पत्तों का लेप जलन कम करने वाला, सूजन नाशक और फोड़ों को नष्ट करने वाला है। सहजन के बीज का तेल दर्दनिवारक और सूजननाशक है।सहजन के लिए यह कहावत मशहूर है- ‘‘सहजन अति फूले-फले, तबहुं डारपात की हानि।’’ सहजन की फली हरे रंग की तथा अंगुली के समान मोटी होती है। जंगली वृक्षों की फलियाँ और लगाए हुए वृक्षों की फलियाँ सब्जी के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह स्वास्थ्यवर्धक आहार भी है और औषधि के रूप में प्रयोग भी की जाती है।
फूलों के रंग के भेद से शास्त्रकारों ने सहजन के सफेद और लाल दो भेद किए हैं। सफेद जाति कड़ुआ और लाल जाति मीठी होती है। कड़ुआ सहजन हर जगह मिल जाता है लेकिन मीठा सहजन कम ही पाया जाता है। सहजन के छोटे या मध्यम आकार के वृक्ष होते हैं। छाल और तना सुपाच्य होता है। जब वृक्ष फलियों से लद जाते हैं तो डालियां अक्सर टूट जाती हैं।सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ होता है।
सहजन के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या टॉयफाइड में लाभ होता है।
सहजन के 20 ग्राम ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पिलाने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।
कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में सहजन के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आंखों पर बांधने से लाभ होता है।
सहजन के पत्ते के 50 मि.ली. रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के धुंधलेपन जैसी सभी प्रकार के आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
सहजन के पत्तों के रस में समान मात्र में मधु मिला ले। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आँखों का दर्द कम होता है तथा लाभ होता है।20 मि.ली. सहजन की जड़ रस में एक चम्मच मधु और 50 मि.ली. तेल को मिला लें। इसे गर्मकर, छानकर, कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान का दर्द कम होता है।
सहजन की गोंद को तिल के तेल में गर्म कर छान लें। इसे कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान दर्द में लाभ होता है।
सहजन की छाल और राई को पीसकर लेप करें। इससे कान की जड़ में सूजन की परेशानी ठीक हो जाती है।सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से आवाज के बैठने (स्वरभंग) की परेशानी में लाभ होता है।सहजन और अदरक के रस को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 10-15 मि.ली. की मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से सांसों के रोग में लाभ होता है।सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इस 2-2 गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है।
सहजन के 10-20 मि.ली. काढ़े में 2 ग्राम सोंठ डालकर सुबह-शाम पिलाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
पेट की गैस या पेटदर्द की स्थिति में सहजन की जड़ की 100 ग्राम छाल में 5 ग्राम हींग और 20 ग्राम सोंठ मिला लें। इसे जल के साथ पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इनमें से 1-1 गोली दिन में 2-3 बार खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुनगुना गरम कर लें। इसे पेट पर लेप करने से भी पेट का दर्द ठीक होता है।
सहजन की फलियों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की आंत के कीड़ों का नाश होता है।
सहजन की 50 ग्राम की जड़ को 200 मि.ली. पानी में मिला लें। इसकी चटनी बनाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से जलोदर (पेट में पानी भर जाने की समस्या) में लाभ होता है।
सहजन की जड़ और देवदारू की जड़ को बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ पीसकर गुनगुना कर लेप करे। इसे अपच की समस्या ठीक हो जाती है।