बॉडी शेमिंग पर भारतीय कानून क्या है आज हम आपको यही बताने वाले हैं! कभी मजाक में तो कभी किसी को चिढ़ाने के लिए। कई लोग दूसरों के लिए अक्सर इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ये शब्द बोलना आपके लिए एक बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है। आपको ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के लिए सजा हो सकती है या फिर आप पर लाखों का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।सबसे पहले आपको एक केस बताते हैं जिसमें एक लड़की को मोटी कहना उसके बॉस के लिए काफी भारी पड़ गया। ऑफिस में काम कर रही अपनी एक महिला कर्मचारी को बॉस अक्सर मोटी कहकर बुलाता था। ये बात उस लड़की को इतनी बुरी लगी कि वो इसके खिलाफ कोर्ट में पहुंच गई। अदालत में जब इस लड़की ने अपनी बात रखी तो इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने बॉस के ऊपर 18 लाख का जुर्माना लगाया।
ये खबर स्काटलैंड की है। ग्लासगो में रहने वाली आएशा जमानी ने अपने बॉस शहजाद युनिस पर थोड़े समय पहले ये आरोप लगाए थे। डेरोगेटरी यानी भद्दी टिप्पणी के खिलाफ कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और शहजाद को जुर्माने के तौर पर आयशा को 18 लाख देने के आदेश दिए। खबर सामने आई है कि अब तक शहजाद ने आयशा को जुर्माने की रकम नहीं दी है जिसके बाद एक बार फिर आयशा ने कोर्ट का सहारा लिया है। बहरहाल ये मामला तो विदेश का था और कई दिनों से वायरल हो रहा है, लेकिन हमारा मकसद यहां ये बताना है कि इस तरह की भद्दी टिप्पणियां भारत में भी कानून के दायरे में आती हैं। न सिर्फ बॉस बल्कि अगर कोई दोस्त, रिश्तेदार या कोई भी किसी को बॉडी शेमिंग का शिकार बनाता है तो उस शख्स के पास कानून की मदद लेने का पूरा अधिकार है। बॉडी शेमिंग में हर चीज शामिल होती हैं, जैसे किसी का रंग, रूप, उसका बॉडी लुक, उसके कपड़े पहनने का स्टाइयल को लेकर टिप्पणी करना।
बॉडी शेमिंग पर वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से कोई कानून हमारे देश में नहीं बना है, लेकिन इसे कानून की गई धाराओं के तहत शामिल किया गया है। लेबर एक्ट के तहत बॉडी शेमिंग के खिलाफ कोर्ट में अपनी बात रखी जा सकती है। ये कानून कहता है कि किसी की शरीर की बनावट के हिसाब से कर्माचारी की नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ता। आर्टिकल 14 यानी समानता का अधिकार, इसके तहत भी बॉडी शेमिंग के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार है। ये कानून किसी भी शख्स को समानता का अधिकार देता है। ये दोनों कानून महिला या पुरुष दोनों के केस में लागू होते हैं। द सेक्सुअल ह्ररैसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्क प्लेस 2013 के तहत भी महिलाओं को बॉडी शेमिंग के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार है। ये कानून सिर्फ महिलाओं के लिए ही लागू होता है और इसमें कई और बातें भी शामिल हैं, लेकिन बॉडी शेमिंग भी इस कानून के दायरे में ही आता है और कोर्ट इस मामले में सजा भी दे सकती है।
कानून इस मामले में क्या कहता है ये तो हमने आपको बताया, लेकिन इसका एक ऐसा पहलू भी जिसे समझना हमारे लिए बेहद जरूरी है। कई बार हम मजाक में ही इस तरह की टिप्पणियां अपने दोस्तों या फिर सहकर्मियों के साथ कर बैठते हैं।आर्टिकल 14 यानी समानता का अधिकार, इसके तहत भी बॉडी शेमिंग के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार है। ये कानून किसी भी शख्स को समानता का अधिकार देता है। ये दोनों कानून महिला या पुरुष दोनों के केस में लागू होते हैं। द सेक्सुअल ह्ररैसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्क प्लेस 2013 के तहत भी महिलाओं को बॉडी शेमिंग के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार है। ये कानून सिर्फ महिलाओं के लिए ही लागू होता है और इसमें कई और बातें भी शामिल हैं, लेकिन बॉडी शेमिंग भी इस कानून के दायरे में ही आता है और कोर्ट इस मामले में सजा भी दे सकती है। बेशक हमारी उस टिप्पणी के खिलाफ वो कोर्ट में ना भी जाएं, लेकिन ऐसी स्थिती उनके लिए शर्मनाक जरूर बन जाती है। कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि कुछ लोग ऐसी बातों को इस कदर दिल पर लगा बैठे कि सुसाइड जैसे कदम उठा लिए। हमारे कहे शब्द जाने-अंजाने में किसी के दुख का कारण बने उससे बेहतर है ऐसी स्थिती से बचा जाए। कानूनी और सामाजिक दोनों ही रूप से इस तरह की टिप्पणियों को सही नहीं ठहराया जा सकता।