गुजरात के चुनाव में सीएम योगी की चर्चा बहुत मायने रखती है! गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान होने के साथ ही प्रदेश का राजनीतिक रण सज गया है। एक दिन बाद यानी 5 नवंबर से प्रदेश में पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही चुनावी संग्राम का आगाज हो जाएगा। तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। चुनाव के ऐलान के ठीक पहले कांग्रेस ने गुजरात चुनाव से पहले 8 सूत्री संकल्प पत्र जारी किया। वहीं, आम आदमी पार्टी शपथों के माध्यम से जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बने हुए हैं। चुनाव इन्ही चेहरों के सहारे और आसरे लड़ने और जीतने की तैयारी है। इनके बीच से गुजरात के चुनावी मैदान में एक बड़ा मुद्दा ऐसा है, जो सबसे अधिक जोर पकड़ रहा है, वह है यूपी मॉडल। चर्चा यूपी के केंद्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी हैं। गुजरात चुनाव 2017 में उनका परफॉर्मेंस इसके पीछे बड़ा फैक्टर बनता दिख रहा है।
गुजरात के चुनावी मैदान में सीएम योगी आदित्यनाथ की चर्चा का बड़ा कारण कानून व्यवस्था और दंगों से निपटने का नया बुलडोजर मॉडल है। पिछले दिनों गुजरात की भूपेश बघेल सरकार भी बुलडोजर के सहारे गुंडों और माफियाओं पर लगाम कसती नजर आई। यूपी में जिस स्तर से विकास को लेकर काम हुए और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया गया, उसकी भी चर्चा भी खासे तौर पर होने लगी है। वर्ष 2014 में गुजरात से चलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी पहुंचे थे तो उस समय गुजरात मॉडल यूपी में सबसे अधिक चर्चा में आया। जमीनी स्तर पर अमित शाह बूथ लेवल कमेटी बनाने में लगे थे। यानी गुजरात मॉडल को गांव और शहर के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था की गई। यूपी में हुए वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान इसका असर दिखा। यूपी में वर्ष 2017 में योगी सरकार बनने के बाद से स्थिति बदली तो समीकरण भी बदलता दिख रहा है। यूपी चुनाव में भारी सफलता के बाद योगी डिमांड में हैं। उनका बुलडोजर मॉडल भी। यूपी मॉडल भी। कमोबेश चर्चा घूम-फिरकर इसी तरह की हो रही है।
हिंदुत्व का मुद्दा एक बार फिर चुनावी मैदान में गरमा रहा है। भाजपा अपने इस मुद्दे को चुनावी मैदान में भुनाने के लिए योगी आदित्यनाथ का इस्तेमाल बड़ी खूबी से कर रही है। योगी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी डिमांड में थे और गुजरात में भी उनकी मांग है। सूत्रों के मानें तो वे गुजरात की कई रैलियों में भाग ले सकते हैं। पिछले दिनों योगी ने हिमाचल में एक दिन में तीन-तीन रैलियां की हैं। रैलियों में वे राम मंदिर की बात करते हैं। काशी कॉरिडोर की चर्चा करते हैं और मथुरा की भी। मथुरा और द्वारका कनेक्शन किससे छुपा है। ऐसे में भाजपा की तैयारी बड़े पैमाने पर इस समीकरण को भुनाने की है।
सीएम योगी आदित्यनाथ गुजरात चुनाव के मैदान में सीधे तौर पर हिंदू वोट वोट को पोलराइज करने का प्रयास करेंगे। उनकी आक्रामक शैली है। इससे वे वोटों को अपनी तरफ खींचते भी हैं। कानून व्यवस्था को लेकर बुलडोजर मॉडल का अपना ही अलग इतिहास रहा है। माफियाओं पर कार्रवाई के जरिए उन्होंने अपनी छवि अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति वाले नेता की बनाई है। मदरसा सर्वे, लाउडस्पीकर पर कार्रवाई, दंगों से निपटने का पोस्टर मॉडल, गुंडे, माफिया एवं अपराधियों के प्रति लगतार ऐक्शन उनके भाषण का हिस्सा रहा है। यूपी चुनाव में यह खासा कारगर रहा तो इसकी धमक उत्तराखंड में भी महसूस की गई।
गुजरात में पिछले दिनों कई मामलों में बुलडोजर ऐक्शन में दिखा है। वहीं, चुनाव से पहले कॉमन सिविल कोड की चर्चा शुरू हो गई है। इस मुद्दे को पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले छेड़ा था और इसका परिणाम भी मिला। लगतार दूसरी बार भाजपा करीब तीन-चौथाई सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। यूपी में योगी आदित्यनाथ ने भी तब कहा था कि देश संविधान से चलेगा। संविधान से ऊपर कुछ भी नहीं हो सकता है। अब गुजरात चुनाव में इसकी चर्चा ने माहौल को अलग ही रंग देना शुरू कर दिया है। अगर योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर गुजरात में कुछ भी बोलते हैं तो उसका असर बड़ा हो सकता है।
गुजरात के रण में योगी आदित्यनाथ की मांग बढ़ने का कारण उनका ट्रैक रिकॉर्ड है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात के 29 जिलों का दौरा किया था। 35 विधानसभा सीटों को कवर किया। इन स्थानों पर पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में वोट मांगे। इसमें से 20 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली। इस जीत के रिकॉर्ड ने सीएम योगी की डिमांड इस चुनाव में बढ़ा दी है। पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह बड़ी रैलियों के लिए डिमांड में दिख रहे हैं। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर उम्मीदवारों को अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ी। वे टारगेटेड वोटर्स के बीच उन्हें लेकर जाते हैं, इससे इंपैक्ट भी बेहतर पड़ने की उम्मीद होती है।
गुजरात विधानसभा चुनाव का रण सज चुका है। चुनाव आयोग ने गुरुवार 3 नवंबर को तारीखों का ऐलान कर दिया है। शनिवार को चुनाव तारीखों का ऐलान होने के साथ ही गुजरात के चुनावी मैदान की गर्मी बढ़ गई है। पहले चरण के लिए 5 नवंबर को अधिसूचना जारी होगी। इसी के साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पहले चरण के नामांकन की आखिरी तिथि 14 नवंबर है। 15 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 17 नवंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी। वहीं, दूसरे चरण की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी और इसी दिन से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। दूसरे चरण के नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है। 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 21 नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। 5 दिसंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा। 8 दिसंबर को दोनों चरणों के वोटों की गिनती की जाएगी।