हाल ही में पांच राज्यों में चुनाव हुए , जिनमें तीन राज्यों में बीजेपी जीत चुकी है! आज हम इसी जीत के मायने बताने वाले हैं! पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का पूरे देश को इंतजार था। सुपर संडे को चार राज्यों का रिजल्ट आ गया। मिजोरम के नतीजे सोमवार को आएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 3-1 से बाजी मार ली। उसने न केवल शानदार बैटिंग और बॉलिंग की। अलबत्ता, फील्डिंग सेट करने में भी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को कोसों पीछे छोड़ दिया। उसने अपनी ‘पिच’ पर मैच तो जीता ही, कांग्रेस के मैदान में घुसकर उसे ढेर कर दिया। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को स्पष्ट जनादेश मिला है। जनता ने बीजेपी को चुनने में ‘इफ एंड बट’ की गुंजाइश नहीं छोड़ी। ये चुनाव कई मायनों में बहुत अहम थे। इन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ‘सेमीफाइनल’ बताया जा रहा था। इस सेमीफाइनल में बीजेपी ने पीएम मोदी को चेहरा बनाया था। यानी उसने किसी भी राज्य में पहले से सीएम के चेहरे का ऐलान नहीं किया था। यहां तक पार्टी ने अपने कई केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया था। इसमें बहुत बड़ा रिस्क था। लेकिन, जोखिम लेना बीजेपी के पक्ष में साबित हुआ। 2024 से पहले इस जीत के काफी ज्यादा मायने हैं। आइए, यहां समझने की कोशिश करते हैं कैसे? पीएम मोदी ने दोबारा दिखाया है कि उनका मैजिक बना हुआ है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे के साथ उतरी थी। उसने सीएम का कैंडिडेट पहले से नहीं घोषित किया था। चुनावी नतीजे आने के बाद लगता है कि ऐसा करना बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर लोगों ने भरोसा जताया। चुनाव के दौरान भी बीजेपी किसी हवा-हवाई वादे करने से बची। अलबत्ता, वह अपने एजेंडे को समझाने में भी कामयाब साबित हुई। लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। विपक्ष और मोदी विरोधी बीते कुछ समय से इस बात का दावा करने लगे थे कि पीएम मोदी का अब वैसा मैजिक नहीं रह गया है जो 2014 के समय था। यह उन सभी को करारा जवाब है। लोगों ने इन राज्यों में सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर वोट दिया है। यानी यह किसी और से ज्यादा पीएम मोदी की जीत है।
कांग्रेस ने इन चुनावों में जाति जनगणना को बड़ा मुद्दा बनाकर पेश किया था। लेकिन, प्रधानमंत्री ने ‘नई’ जातियों बनाकर और बताकर विरोधी दल के इस हथियार को कुंद कर दिया। पीएम ने दो-टूक इन चार जातियों को फोकस में रखने का प्लान जाहिर कर दिया। इन जातियों में महिलाएं, किसान, गरीब और युवा शामिल हैं। इस तरह विधानसभा चुनावों ने यह भी दिखा दिया कि मंडल 2.0 को मुद्दा बनाकर अब चुनाव नहीं जीता जा सकता है। नब्बे का दौर कुछ और था। अब कुछ और। ऐसे में अगले साल लोकसभा चुनाव में विरोधी दलों को इसके आगे का कुछ सोचना होगा। पीएम ने एकसाथ देश के सबसे बड़े वर्ग की समस्या को एड्रेस करने की बात कह दी है।
बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया। इसी से समझा जा सकता है कि वह इन चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही थी। उसका यह दांव सफल भी साबित हुआ। इन दिग्गजों का न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी प्रभाव होता है। यह प्रभाव विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों को जीतने में मदद करता है। इसके जरिये बीजेपी ने अपने प्रबंधन कौशल के बारे में भी दिखा दिया। उसने साफ मैसेज दिया कि जरूरत पड़ने पर न कोई मंत्री और न कोई सांसद। जहां जिसकी जरूरत होगी, उसकी सेवाएं ली जाएंगी। बीजेपी के नेताओं में भी यह संस्कृति जज्ब कर गई है। वे किसी भी मैदान में उतरने के लिए तैयार रहते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इसने ‘टीम बीजेपी’ की बड़ी मजबूती को उजागर किया है।
बीजेपी ने यह चुनाव पीएम मोदी को चेहरा बनाकर लड़ा। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यह बहुत बड़ा रिस्क था। चुनाव परिणाम बीजेपी की अपेक्षा के उलट आते तो यह पीएम की छवि पर बड़े सवाल खड़े कर सकता था। लेकिन, बीजेपी वह जोखिम लेने से कतराई नहीं। छत्तीसगढ़ में जहां तकरीबन सभी एग्जिट पोल ने कांग्रेस की जीत के अनुमान जाहिर किए थे, वहां भी बीजेपी ने बाजी पलट दी। शहरी इलाकों के साथ बीजेपी ने आदिवासी बहुल इलाकों में भी जबर्दस्त प्रदर्शन किया।