क्या है आम आदमी पार्टी का नया सपना?

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आम आदमी पार्टी अब नया सपना देखने का विचार कर रही है! आम आदमी पार्टी के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव के परिणाम कई मायनों में महत्वपूर्ण होने वाले हैं। जीत-हार और सरकार बनाने या मुख्य विपक्षी दल बनने की होड़ के इतर आप के पास इन दो राज्यों के चुनावों से एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने का मौका है। वह है ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ का दर्जा प्राप्त करने का। अभी भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय कांग्रेस, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्टी पार्टी-मार्क्सवादी, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी, यानी कुल आठ दलों को राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा मिला हुआ है। एनपीपी को पूर्वोत्तर के चार राज्यों में ‘प्रादेशिक राजनीतिक दल’ का दर्जा हासिल होने के कारण 2019 में राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा दिया गया। तब से अब तक राष्ट्रीय दलों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं आया है। अब 8 दिसंबर के चुनाव परिणाम बताएंगे कि क्या आप अपना ताकत दिखाकर इस लिस्ट को बदल पाएगी या नहीं।

दरअसल, राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलना किसी पार्टी के लिए बड़ा स्टेटस सिंबल तो होता ही है, कई बड़े फायदे भी मिलते हैं। राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलते ही पार्टी को अपना आरक्षित चुनाव चिह्न मिल जाता है जिसका इस्तेमाल उसके देशभर के उम्मीदवार कर सकते हैं। यह इसलिए बहुत जरूरी है कि भारतीय मतदाताओं की बड़ी संख्या अशिक्षित है जिस कारण वो चुनाव चिह्न को देखकर ही वोट देते हैं।

 दूसरी बात यह है कि राष्ट्रीय दल के उम्मीदवार को नामांकन के वक्त सिर्फ एक प्रस्तावक की ही जरूरत होती है।इसके साथ ही, राष्ट्रीय दलों को लोकसभा चुनाव के दौरान सरकारी टेलीवीजन दूरदर्शन और सरकारी रेडियो ऑल इंडिया रेडियो पर चुनाव प्रचार का स्लॉट दिया जाता है। राष्ट्रीय दलों को लोकसभा चुनाव में स्टार कैंपेनरों की अधिकतम संख्या 40 रखने की अनुमति होती है। राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक सरकारी बंगला आवंटित होता है। साथ ही, सस्ते दर पर पार्टी दफ्तर की जगह उपलब्ध करायी जाती है।

निर्वाचन आयोग के मुताबिक, राजनीतिक दलों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- राष्ट्रीय दल, प्रादेशिक दल और पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त दल। चुनाव चिह्न आरक्षण एवं आवंटन आदेश, 1968 में राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने की शर्तें बताई गई हैं। इसके मुताबिक, तीन शर्तों में किसी एक को पूरा करने पर राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है। ध्यान रहे कि समाज सेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए लोकपाल आंदोलन के 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया गया था। इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं। अगले वर्ष 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तब उसने कांग्रेस पार्टी के समर्थन से पहली बार दिल्ली की सरकार बनाई थी। हालांकि, वह सरकार 49 दिनों में ही गिर गई थी। दो साल बाद 2015 में फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए और आप को 70 में 67 सीटें मिल गईं। उसने अपने दम पर दिल्ली में सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गए। आगे आप ने पंजाब, गुजरात और राजस्थान के चुनावों में भी अपनी किस्मत आजमाई लेकिन कहीं कोई खास सफलता नहीं मिली। 2017 के पंजाब चुनाव में आप को 24 प्रतिशत वोट और 117 में 20 सीटें मिलीं। 2020 में दिल्ली में आप की दोबारा सरकार बनी। इसी वर्ष 2022 में आप ने पंजाब में सरकार बनी और आप दो राज्यों में सरकार वाली नई पार्टी बन गई।

अगस्त में आप को गोवा में प्रादेशिक पार्टी का दर्जा मिल गया। यानी अब वो दिल्ली, पंजाब और गोवा के साथ तीन राज्यों में प्रादेशिक पार्टी बन गई। आगे आप ने पंजाब, गुजरात और राजस्थान के चुनावों में भी अपनी किस्मत आजमाई लेकिन कहीं कोई खास सफलता नहीं मिली। 2017 के पंजाब चुनाव में आप को 24 प्रतिशत वोट और 117 में 20 सीटें मिलीं। 2020 में दिल्ली में आप की दोबारा सरकार बनी। इसी वर्ष 2022 में आप ने पंजाब में सरकार बनी और आप दो राज्यों में सरकार वाली नई पार्टी बन गई।गोवा में उसे 6.77 प्रतिशत वोट मिले थे जो एक प्रादेशिक पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी शर्त है। अब अगर हिमाचल प्रदेश और गुजरात या फिर दोनों में किसी भी एक प्रदेश में 6 प्रतिशत वोट हासिल हो गए तो वह चौथे राज्य में भी प्रादेशिक पार्टी का दर्जा हासिल कर लेगी। इसके साथ ही, राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने की तीन तरह की शर्तों में एक को पूरी कर देगी।