हरियाणा हमेशा से ही महिलाओं के लिए अच्छी सोच नहीं रखता है! हरियाणा में अक्सर दीपिका शर्मा जैसी अपराध की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन कुछ घटनाएं इतनी दर्दनाक होती हैं जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो जाती हैं। हरियाणा की पृष्ठभूमि से एक दशक पहले ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा। यह पॉलिटिक्स, पावर, सेक्स और मर्डर का ऐसा कॉकटेल था जो सालों तक खबरों में अपनी जगह बनाता रहा। क्योंकि इसमें नाम जुड़ा एक बड़े नेता का, क्योंकि इसमें लड़की ने दी जान, क्योंकि ये बना उस वक्त की सुर्खी, तो इसलिए इस मामले को हमने शामिल किया है अपनी सीरीज ‘तौबा! नेता जी का प्यार’ में। तो चलिए जानते हैं क्या थी बादलों को छूने वाली इस लड़की और नेताजी की कहानी।
18 अक्टूबर 2006,एमडीएलआर एयरलाइन्स का गुड़गांव का ऑफिस… 17 साल की एक खूबसूरत सी लड़की इंटरव्यू के लिए इस ऑफिस में आती है। कई और भी लोग यहां इंटरव्यू के लिए पहुंचे हैं। ये लड़की अपनी बारी इंतजार करती है और फिर थोड़ी देर में इंटरव्यू शुरू होता है। इस लड़की का नाम है गीतिका शर्मा। गीतिका एयर होस्टेस बनना चाहती है। गीतिका का इंटरव्यू होता है, कई तरह के सवाल उससे पूछे जाते हैं लेकिन गीतिका की उम्र महज 17 साल है, इसलिए वो इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हो पातीं। इंटरव्यू लेने वाले उन्हें वापस जाने के लिए बोलते हैं। कंपनी के मालिक गोपाल कांडा ये पूरा इंटरव्यू अपने सीसीटीवी में देखते हैं और कंपनी के दूसरे लोगों से अलग गीतिका को नौकरी पर रखने का फैसला करते हैं। ये बात खुद उस वक्त कंपनी में वाइज प्रेसिडेंट पद पर रही नूपुर मेहता बताती है।
जब भी गोपाल कांडा और गीतिका केस की बात होती है चर्चा के लिए ज्यादा किस्से गोपाल कांडा के ही होते हैं लेकिन बावूजद इसके हम शुरूआत करते हैं गीतिका शर्मा से जिन्होंने छोटी सी उम्र में बड़े बड़े ख्वाब देखे, लेकिन वो ख्वाब पूरे होते उससे पहले ही मुश्किलों ने उनकी ज़िंदगी को घेर लिया । 5 अगस्त 2012 को महज़ इक्कीस साल की उम्र में गीतिका ने दिल्ली के अशोक नगर स्थित अपने घर में जान दे दी। गीतिका ख्वाब देखती थी एयरहोस्टेस बनने का, वो उड़ना चाहतीं थीं। एमडीएलआर कंपनी की तरफ से जैसे ही उन्हें ऑफर मिला, खुशी-खुशी गीतिका कंपनी ज्वाइन कर ली। गीतिका उस वक्त सिर्फ साढ़े सतरा साल की थीं। यानी बालिग होने में उन्हें अभी भी छह महीने बाकी थे। इसलिए कंपनी ने छह महीने के लिए गीतिका को ट्रेनिंग में रखा और उसके बाद उन्हें केबिन क्रू में शामिल कर लिया गया।
बस ऐसा लग रहा था कि गीतिका के सपने पूरे हो रहे हैं। जैसे जैसे कंपनी में गीतिका का समय बढ़ता जा रहा था, उनकी कंपनी के मालिक गोपाल कांड से करीबियां भी बढ़ती जा रही थीं। कहा जाता है कि गीतिका को एक के बाद एक प्रमोशन मिल रहे थे। गीतिका बेहद खुश थीं। पहले जुनियर क्रू मेंबर फिर सीनियर और फिर कोऑर्डिनेटर, चार साल में ही गीतिका अच्छी ग्रोथ कर रहीं थीं। कंपनी की पार्टीज़ में भी वो अक्सर नज़र आती थीं। कहा जाता है कि गीतिका को हमेशा खास तरह का ट्रीटमेंट दिया जाता था। कहते हैं गीतिका का जन्मदिन भी गोपाल कांडा के फार्महाउस में बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। सबकुछ ठीक चल रहा था, बिल्कुल वैसा ही जैसा गीतिका चाहती थीं। लेकिन फिर कुछ सालों बाद अचानक खबर आई की एमडीएलआर कंपनी की एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा ने सुसाइड कर लिया है और सुसाइड नोट में नाम लिखा गया गोपाल कांडा का।
गीतिका और गोपाल कांडा की कहानी को आगे बढ़ाएं उससे पहले गोपाल कांडा को जानना बेहद ज़रूरी है। गोपाल कांडा जिनका पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है हरियाणा के सिरसा के बिलासपुररहने वाले हैं। उनके परिवार का थोक सब्जियों का कारोबार था लेकिन गोपाल कांड ने अपना अलग बिजनेस शुरू किया। जूते के बिजनेस से शुरूआत करने के बाद गोपाल कांड ने रियल स्टेट में हाथ अजमाने की सोची और वो उसमें बेहद कामयाब भी रहे। धीरे धीरे रीयल स्टेट बिजनेस में गोपाल कांडा ने अपना बड़ा नाम कर लिया। वो बड़े बिजनेसमैन बन चुके थे। अरबों रुपये की संपत्ति उनके नाम थी। गोपाल कांडा ने एयरलाइन्स के बिजनेस में भी काम शुरू किया और एमडीआरएल के नाम से एयरलाइन्स की शुरूआत की। ये वही कंपनी थी जिसमें गीतिका एयरहोस्टेस रहीं। गीतिका इस कंपनी में 2010 तक रहीं। उसके बाद गीतिका ने रिजाइन कर दिया और पहले मुंबई में फिर दूबई में दूसरी एयरलाइन्स से जुड़ गईं। ये खबर सामने आई कि गीतिका गोपाल कांडा के शारीरिक और मानसिक शोषण से इतनी ज्यादा परेशान थी कि उसने कंपनी को छोड़ दिया लेकिन दूसरी एयरलाइन्स ज्वाइन करने के बावजूद गोपाल कांडा ने गीतिका का पीछा नहीं छोड़ा।
गोपाल कांडा का कद हरियाणा में काफी बढ़ चुका था। 2008 तक वो खुद को हरियाणा के बड़े बिजनेसमैन के तौर पर स्थापित कर चुके थे और राजनैतिक दलों के साथ उनका उठना बैठना था और इसलिए वो खुद भी राजनीति में आने का मन बना लिया। 2009 में सिरसा से गोपाल कांडा ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसी दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी और गोपाल कांडा ने कांग्रेस को समर्थन दिया और मंत्रीमंडल का हिस्सा भी बन गए। यानी उनका कारोबार तो ऊंचाइयों को छू ही रहा था, राजनीति में भी उनकी किस्मत उनका साथ दे रही थीं। दुनिया की नज़रों में 2012 तक सबकुछ ठीक था। लेकिन पांच अगस्त 2012 के बाद गोपाल कांडा की ज़िंदगी में भी काफी कुछ बदला।
गीतिका शर्मा ने सुसाइड किया और उनके पास से एक नोट बरामद हुआ जिसपर गोपाल कांडा का नाम लिखा था। जैसे ही ये खबर सामने आयी हरियाणा की राजनीति में भूचाल आ गया। देश भर में गीतिका शर्मा और मंत्री गोपाल कांडा का नाम चर्चा का मुद्दा बन गया। गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट गोपाल कांडा पर शारीरिक शोषण करने और मानसिक प्रतारड़ना देने के आरोप लगाए। गीतिका शर्मा के सुसाइड नोट में गोपाल कांडा की एक सहयोगी अरुणा चड्ढा का नाम भी आरोपियों में लिखा। रोज़ अखबारों में गीतिका शर्मा और गोपाल कांडा का केस सुर्खियां बनने लगा। गीतिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। रिपोर्ट में गीतिका के साथ अप्राकृतिक सेक्स की बात सामने आई। इसके अलावा ये भी खबरें आईं कि गीतिका का कई बार अबॉर्शन भी करवाया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सुसाइड नोट के आधार पर दिल्ली की एक अदालत ने गोपाल कांडा को रेप और सुसाइड करने के लिए उकसाने का आरोपी बनाया।
2014 में गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी नाम से अपना राजैतिक दल बनाया और फिर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार वो सिरसा से जीत दर्ज नहीं करवा पाए। ऐसा लगा कि शायद उनका राजनैतिक जीवन खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2019 में एक बार फिर सिरसा से ही गोपालकांडा ने चुनाव लड़ा। इस बार वो जीत भी गए। राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और गोपाल कांड ने बीजेपी को समर्थन भी दिया। 2020 में तथ्यों के आभाव के आधार पर पुलिस ने केस की क्लोजर रिपोर्ट दर्ज करवाई। कोर्ट से भी गोपाल कांडा को क्लीन चिट मिल गई और गोपाल कांडा और गीतिका कांडा का केस महज़ चंद सालों की कहानी बन कर रह गया।