क्या है जोशीमठ के ट्विन होटल की कहानी?

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जोशीमठ में भी ट्विन होटल पाए जाते हैं! जोशीमठ में घुसते ही सड़क के बाएं छोर पर खड़ी दो इमारतें सिहरन पैदा करती हैं। दोनों एक दूसरे के ऊपर झुकती जा रही हैं। इसमें एक होटल माउंट व्यू है और दूसरा है होटल मलारी इन। दोनों होटलों के ठीक नीचे काफी घर हैं। जोशीमठ में भूधंसाव के बाद बेहद खतरनाक ढंग से झुक रहे इन्हीं दो होटलों को सबसे पहले गिराने का काम चल रहा है। शुक्रवार सुबह भी दोनों होटलों से जरूरी सामान निकालने का सिलसिला जारी रहा। आसपास के बिजली के पोल हटा दिए गए हैं। होटल को खाली करवाने के बाद उन्हें गिराया जाएगा। एक दूसरे के ऊपर झूलते जा रहे इन होटलों का गिराने का काम इतना आसान नहीं है। पहाड़ी ढलान पर होने के कारण यह नोएडा के ट्विन टावरों को ढहाने से ज्यादा पेचीदा काम हो गया है। इमारत में पल-पल बढ़ रही दरारों की लाइव जानकारी के लिए 2 करोड़ रुपये के उपकरण लगाए जा रहे हैं। रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट के चीफ साइंटिस्ट देवी प्रसाद कानूनगो को इस काम में लगाया गया है। उन्होंने इससे पहले नोएडा के ट्विन टावरों को ढहाने में अहम रोल निभाया था। हर बढ़ते दिन के साथ ये दोनों होटल टाइम बम की बनते होते जा रहे हैं। बारिश, बर्फ और धंसती जमीन के बीच इन होटलों को सुरक्षित तरीके से गिराना बहुत बड़ी चुनौती हैं। प्रशासन ने तीन दिन पहले इन दोनों होटलों का गिराने का काम शुरू करने की कोशिश की थी। होटल मालिकों की विरोध और मुआवजे की मांग को लेकर काम टालना पड़ा था। अब समझौते के बाद इस होटल को तोड़ने का रास्ता साफ हो गया है।

जोशीमठ में होटल माउंट व्यू और मलारी इन हर दिन झुक रहे हैं। उनकी दीवारों में दरारे हैं। गुरुवार को होटल मलारी इन में दरारें अचानक बढ़ी हुई दिखाई दी थीं। चिंता की बात यह है कि अगर इन दोनों होटलों को समय रहतेगिराया नहीं गया, तो वे अचानक ढह भी सकते हैं। ऐसे में उनकी जद में कई मकान आ जाएंगे। दोनों होटलों के नीचे कई घर हैं। उन्हें खाली करवा दिया गया है।

जोशीमठ का मौसम बदल रहा है। शुक्रवार दोपहर भी कुछ देर के लिए बूंदाबांदी हुई। इससे पहले रात में हल्की बारिश हुई थी। औली में भी कुछ बर्फवारी हुई थी।गुरुवार को होटल मलारी इन में दरारें अचानक बढ़ी हुई दिखाई दी थीं। चिंता की बात यह है कि अगर इन दोनों होटलों को समय रहतेगिराया नहीं गया, तो वे अचानक ढह भी सकते हैं। ऐसे में उनकी जद में कई मकान आ जाएंगे। दोनों होटलों के नीचे कई घर हैं। उन्हें खाली करवा दिया गया है। अगर तेज बारिश आती है, जैसा कि मौसम विभाग का अनुमान भी है, तो ये होटल ‘टाइम बम’ की तरह फट सकते हैं। इनकी जद में आकर नीचे के कई मकान भी तबाह हो सकते हैं। ऐसे में प्रशासन की कोशिश जल्द से जल्द इन होटलों को गिराने की है।

कानूनगो के मुताबिक मलारी इन जमीन छोड़ रहा है। उसने अपना वजन दूसरे होटल पर डाल दिया है। दोनों इमारतों को चरणवार सुरक्षति ढंग से ढहाया जाएगा। उनके मुताबिक बिल्डिंग में ऐसे उपकरण लगाए जाएंगे, जो तोड़फोड़ के दौरान खतरनाक कंपन की हर जानकारी देंगे। इसके लिए डीटेल प्लान बनाया गया है। कानूनगो के मुताबिक बिल्डिंग बहुत खतरनाक जगह पर है। ऐसे में बिल्डिंग के हिस्सों को काटकर टुकड़ों को दूसरी जगह पर शिफ्ट कराया जाएगा। इसके लिए ब्लास्ट या फिर बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। उनके मुताबिक सबसे बड़ा खतरा बारिश का है। अगर तेज बारिश आती है, तो चुनौती बहुत बढ़ जाएगी।

दोनों होटलों को ढहाने का काम कितना जटिल है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि 100 से ज्यादा लोग इस मुहिम में जुटेंगे।गुरुवार को होटल मलारी इन में दरारें अचानक बढ़ी हुई दिखाई दी थीं। चिंता की बात यह है कि अगर इन दोनों होटलों को समय रहतेगिराया नहीं गया, तो वे अचानक ढह भी सकते हैं। ऐसे में उनकी जद में कई मकान आ जाएंगे। दोनों होटलों के नीचे कई घर हैं। उन्हें खाली करवा दिया गया है। इस मिशन के लिए 80 एसडीआरएफ के जवानों, CBRI के एक्सपर्ट्स और हर स्टेज में 20 मजदूरों की जरूरत होगी। कानूनगो ने आईआईटी रुड़की से एमटेक और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उनके पास इस का काम 30 साल का अनुभव है।