एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल की अलग ही कहानी है! आप एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल के बारे में तो जानते ही होंगे! 5जी की लॉन्चिंग के मौके पर ली गई एक तस्वीर काफी वायरल हो रही है। इस तस्वीर में देश के तीन बड़े उद्योगपति प्रधानमंत्री मोदी का हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे हैं। तस्वीर इसलिए अहम है, क्योंकि देश की तीन दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के मालिक पीएम मोदी के साथ एक ही फ्रेम में हैं। इन तीनों में से पहले रिलायंस जियो के मालिक मुकेश अंबानी हैं। दूसरे एयरटेल की मूल कंपनी भारती एंटरप्राइजेज के फाउंडर और चेयरपर्सन सुनील भारती मित्तल हैं। वहीं, सबसे आखिर में आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला हैं। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड आदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन ग्रुप की पार्टनरशिप में है।
पीएम से मिल रहे इन दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के मालिकों में एक कुछ अलग है। हम सुनील भारती मित्तल की बात कर रहे हैं। मुकेश अंबानी और कुमार मंगलम बिड़ला दोनों ही देश के बड़े कारोबारी घरानों से आते हैं। इन दोनों के पिता देश के बड़े बिजनसमैन रहे। लेकिन सुनील भारती मित्तल के साथ ऐसा नहीं है। आइए जानते हैं कि सुनील भारती मित्तल किस फैमिली से आते हैं और उन्होंने कैसे अपना कारोबार शुरू किया।भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल दुनिया के दिग्गज टेलीकॉम उद्यमियों में गिने जाते हैं। इनकी कंपनी एयरटेल का कारोबार दुनिया के करीब 19 देशों में है। मित्तल का जन्म साल 1957 में लुधियाना में हुआ था। उनके पिता सतपाल मित्तल कोई उद्योगपति नहीं, बल्कि एक राजनेता थे। वे दो बार लोकसभा से और एक बार राज्य सभा से सांसद रहे। सुनील की शुरुआती पढ़ाई मसूरी के विनबर्ग एलन स्कूल से हुई। इसके बाद उनकी स्कूलिंग ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से हुई। वे पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं।
सुनील को बचपन में पढ़ने-लिखने में कोई खास रुचि नहीं थी। वे अपना बिजनस करना चाहते थे। उन्होंने सिर्फ 18 साल की उम्र में ही बिजनस शुरू कर दिया। मित्तल ने अपने पिता से 20 हजार रुपये मांगे और इससे एक साइकिल पार्ट्स बनाने की यूनिट लगाई। तीन साल में ही उन्होंने एक की तीन यूनिट्स कर लीं। वे 16 से 18 घंटे तक कड़ी मेहनत करते थे। साल 1980 में वे नया कारोबारी विकल्प तलाशने लगे और मुंबई चले गए।
सुनील ने अपना साइकिल का कारोबार बेच दिया और इलेक्ट्रिक पावर जनरेटर का काम करने लगे। साल 1983 में सरकार ने जेनरेटर के निर्यात पर रोक लगा दी। इससे सुनील के कारोबार को बड़ा झटका लगा। इसके बाद वे बीटल नाम का फोन लेकर आए। वे इसे ताइवान से आयात करते थे।साल 1992 में सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस दे रही थी। उस समय सुनील ने भी सेलुलर सर्कल का लाइसेंस प्राप्त कर लिया।
सुनील को बचपन में पढ़ने-लिखने में कोई खास रुचि नहीं थी। वे अपना बिजनस करना चाहते थे। उन्होंने सिर्फ 18 साल की उम्र में ही बिजनस शुरू कर दिया। मित्तल ने अपने पिता से 20 हजार रुपये मांगे और इससे एक साइकिल पार्ट्स बनाने की यूनिट लगाई। तीन साल में ही उन्होंने एक की तीन यूनिट्स कर लीं। वे 16 से 18 घंटे तक कड़ी मेहनत करते थे। साल 1980 में वे नया कारोबारी विकल्प तलाशने लगे और मुंबई चले गए।सुनील ने अपना साइकिल का कारोबार बेच दिया और इलेक्ट्रिक पावर जनरेटर का काम करने लगे। साल 1983 में सरकार ने जेनरेटर के निर्यात पर रोक लगा दी। इससे सुनील के कारोबार को बड़ा झटका लगा। इसके बाद वे बीटल नाम का फोन लेकर आए। वे इसे ताइवान से आयात करते थे।
साल 1992 में सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस दे रही थी। उस समय सुनील ने भी सेलुलर सर्कल का लाइसेंस प्राप्त कर लिया। इसके बाद साल 1995 में सुनील ने भारती सेलुलर लिमिटेड (BCL) की स्थापना की। इसमें वे एयरटेल ब्रांड लेकर आए।
इसके बाद साल 1995 में सुनील ने भारती सेलुलर लिमिटेड (BCL) की स्थापना की।पीएम से मिल रहे इन दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के मालिकों में एक कुछ अलग है। हम सुनील भारती मित्तल की बात कर रहे हैं। मुकेश अंबानी और कुमार मंगलम बिड़ला दोनों ही देश के बड़े कारोबारी घरानों से आते हैं। इन दोनों के पिता देश के बड़े बिजनसमैन रहे। लेकिन सुनील भारती मित्तल के साथ ऐसा नहीं है। आइए जानते हैं कि सुनील भारती मित्तल किस फैमिली से आते हैं और उन्होंने कैसे अपना कारोबार शुरू किया।भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल दुनिया के दिग्गज टेलीकॉम उद्यमियों में गिने जाते हैं। इसमें वे एयरटेल ब्रांड लेकर आए। साल 2008 आते-आते एयरटेल के ग्राहकों की तादात काफी बढ़ गई थी। इसके साथ ही एयरटेल दुनिया की टॉप टेलीकॉम कंपनियों में से एक हो गई। हालांकि, रिलायंस जियो के आने के बाद कंपनी को कड़ी प्रतिस्पर्धा मिली है। इस तरह एक राजनेता का पुत्र होने के बावजूद सुनील भारती मित्तल ने कारोबारी दुनिया में अपना बड़ा नाम कमाया है।