आज हम आपको आपकी आर्थिक स्थिति के बारे में बताने जा रहे हैं! मिडिल क्लास, इन दो शब्दों से पीछा छुड़ाने के लिए लोग सालों एड़ियां घिसते हैं। भारत जैसे सांस्कृतिक विविधता वाले देश में आर्थिक असामनता भी कम नहीं। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत की 4 प्रतिशत आबादी ‘अमीर’ है तो 13 प्रतिशत जनसंख्या ‘गरीब’। PRICE People Research on India’s Consumer Economy का सर्वे कहता है कि साल में सवा लाख रुपये से कम कमाने वाला परिवार ‘गरीब’ है। यही सर्वे 2 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाले परिवारों को ‘सुपर रिच’ की कैटिगरी में रखता है। PRICE के अनुसार, साल में 5 लाख से 30 लाख रुपये सालाना आय वाले परिवार मिडिल क्लास में आते हैं। आबादी के लिहाज से देश की 31% आबादी मिडिल क्लास है। लो मिडिल क्लास फैमिली की सालाना आय का दायरा 1.25 लाख से 5 लाख रुपये के बीच रखा गया है। PRICE का अनुमान है कि अगले 25 सालों में मिडिल क्लास आबादी का प्रतिशत बढ़कर 64% तक पहुंच सकता है। इनकम के आधार पर क्लास तय करने के पैमाने अलग-अलग हैं। आइए समझते हैं कि विभिन्न सर्वे में कौन मिडिल क्लास है और कौन अमीर।
PRICE के अनुसार, 1994-95 में भारत के भीतर ‘सुपर रिच’ घरों की संख्या 98,000 थी। 2020-21 का डेटा बताता है कि देश में 18 लाख परिवार ‘सुपर रिच’ हैं। सबसे ज्यादा आय वाले परिवारों की लिस्ट में सूरत और नागपुर ने सबसे तगड़ी छलांग लगाई है।महाराष्ट्र के 6.4 लाख घर ‘सुपर रिच’ की कैटिगरी में आते हैं। 2021 में इन परिवारों की सालाना आय 2 करोड़ रुपये से ज्यादा रही। PRICE के ताजा सर्वे नतीजों के अनुसार, महाराष्ट्र सबसे अमीर राज्य है। दूसरे नंबर पर दिल्ली है जहां 1.81 लाख ‘सुपर रिच’ घर हैं। गुजरात में 1.41 ‘सुपर रिच’ घर हैं और तमिलनाडु में 1.37 लाख। PRICE की रिपोर्ट का नाम The Rise Of India’s Middle Class रखा गया है।
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि ‘गरीब’ घरों में कार दुर्लभ है। 2020-21 के आंकड़ों में हर 10 में से 5 ‘लो मिडिल क्लास’ घरों में एक वाहन था। 5 से 15 लाख रुपये सालाना आय वाले हर 10 में तीन घरों में कार है।1994-95 में भारत के भीतर ‘सुपर रिच’ घरों की संख्या 98,000 थी। 2020-21 का डेटा बताता है कि देश में 18 लाख परिवार ‘सुपर रिच’ हैं। सबसे ज्यादा आय वाले परिवारों की लिस्ट में सूरत और नागपुर ने सबसे तगड़ी छलांग लगाई है।महाराष्ट्र के 6.4 लाख घर ‘सुपर रिच’ की कैटिगरी में आते हैं। 2021 में इन परिवारों की सालाना आय 2 करोड़ रुपये से ज्यादा रही। PRICE के ताजा सर्वे नतीजों के अनुसार, महाराष्ट्र सबसे अमीर राज्य है। दूसरे नंबर पर दिल्ली है जहां 1.81 लाख ‘सुपर रिच’ घर हैं। गुजरात में 1.41 ‘सुपर रिच’ घर हैं और तमिलनाडु में 1.37 लाख। PRICE की रिपोर्ट का नाम The Rise Of India’s Middle Class रखा गया है। 30 लाख से ज्यादा सालाना इनकम वाले हर घर में कार है। ‘करोड़पतियों’ की लिस्ट में आने वाला हर परिवार औसतन तीन-तीन कारें रखता है। गरीबों के यहां एसी भी नहीं मिला। लो-मिडिल क्लास के हर 100 में से 2 घरों में एयरकंडीशनर है।
सर्वे के अनुसार, ‘सुपर रिच’ क्लास वाले आधे घरों में एसी है।प्राइस की रिपोर्ट के अनुसार, 2047 तक भारत में मिडिल क्लास आबादी 31% से बढ़कर 63% हो जाएगी।1994-95 में भारत के भीतर ‘सुपर रिच’ घरों की संख्या 98,000 थी। 2020-21 का डेटा बताता है कि देश में 18 लाख परिवार ‘सुपर रिच’ हैं। सबसे ज्यादा आय वाले परिवारों की लिस्ट में सूरत और नागपुर ने सबसे तगड़ी छलांग लगाई है।महाराष्ट्र के 6.4 लाख घर ‘सुपर रिच’ की कैटिगरी में आते हैं।
2021 में इन परिवारों की सालाना आय 2 करोड़ रुपये से ज्यादा रही। PRICE के ताजा सर्वे नतीजों के अनुसार, महाराष्ट्र सबसे अमीर राज्य है। दूसरे नंबर पर दिल्ली है जहां 1.81 लाख ‘सुपर रिच’ घर हैं।गुजरात में 1.41 ‘सुपर रिच’ घर हैं और तमिलनाडु में 1.37 लाख। PRICE की रिपोर्ट का नाम The Rise Of India’s Middle Class रखा गया है। 30 लाख से ज्यादा सालाना इनकम वाले हर घर में कार है। ‘करोड़पतियों’ की लिस्ट में आने वाला हर परिवार औसतन तीन-तीन कारें रखता है। गरीबों के यहां एसी भी नहीं मिला। लो-मिडिल क्लास के हर 100 में से 2 घरों में एयरकंडीशनर है। गुजरात में 1.41 ‘सुपर रिच’ घर हैं और तमिलनाडु में 1.37 लाख। PRICE की रिपोर्ट का नाम The Rise Of India’s Middle Class रखा गया है। रिपोर्ट तैयार करने वाले राजेश शुक्ला (PRICE के एमडी और सीईओ) कहते हैं कि ‘मिडिल’ क्लास की परिभाषा तय नहीं है इसलिए अलग-अलग सर्वे में अनुमान अलग-अलग रहते हैं।