आज अमिताभ बच्चन का जन्मदिवस है. आज वह 80 वर्ष के हो गए हैं. देश भर से लोग अमित जी को विश कर रहे है. आइए इस लेख में पढ़ते हैं कि किसने बिग बी को कैसे बधाई दी.
किसने कैसे दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमिताभ बच्चन को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि, ‘अमिताभ बच्चन जी को 80वें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई. वह भारत की सबसे उल्लेखनीय फिल्मी हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने पीढ़ियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध और मनोरंजन किया है. वह लंबा और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें.
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, ‘आपका जुनून और अद्वितीय समर्पण सभी के लिए एक प्रेरणा है, बच्चन जी! आपको 80वें जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. ईश्वर आपको उत्तम स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं दीर्घायु प्रदान करें.
साउथ के सुपरस्टार चिरंजीवी ने ट्वीट किया कि 80वां जन्मदिन मुबारक हो मेरे प्यारे गुरु जी श्री बच्चन सर ! ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य, शक्ति और आपकी हर इच्छा प्रदान करें. आप हम कलाकारों में एवरेस्ट हैं और हम आपकी प्रतिभा और आपकी उपलब्धियों के लिए हमेशा के लिए विस्मय में हैं. आपको और शक्ति अमित जी!
फिल्ममेकर अविनाश दास ने लिखा कि, ‘आज एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन अस्सी साल के हो गये. हिंदुस्तानी सिनेमा के इतिहास में वह अकेले नाम हैं, जो इस उम्र में भी सबसे बड़े स्टार हैं और सबसे ज़्यादा सक्रिय हैं. मेरी छवियों में अमिताभ बच्चन गिरफ़्तार, अंधा क़ानून और मर्द वाले अमिताभ बच्चन हैं, जब हम अपने कैशोर्य-काल में किराये पर वीसीपी मंगवा कर रात रात भर ये फिल्में देखा करते थे. शहंशाह के लिए लहेरियासराय (दरभंगा) के लाइट हाउस सिनेमा हॉल में टिकट काउंटर की सलाख़ों से कलाई का छिल जाना अब भी स्मृतियों में है. हर रंग, हर रूप में अमिताभ बच्चन निखरते रहे हैं और उत्तर भारत से हजार हजार सपने लेकर मुंबई आये संघर्षशील नौजवानों को प्रेरित करते रहे हैं.
आठ अक्टूबर से पीवीआर पूरे देश में बिग बी का सिनेमा सप्ताह मना रहा है. उनकी फ़िल्में दिखा रहा है. ज़ाहिर है, आपको टिकट ख़रीदना पड़ेगा. लेकिन अगर आप ख़र्च करने की किसी भी ज़हमत से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए पीवीआर जुहू में बॉलीवुड सिनेमा के सबसे बड़े संग्राहक एसएमएम आसूजा साहब के सौजन्य से एक प्रदर्शनी भी लगायी गयी है. यह मुद्रा-फ़्री प्रदर्शनी है. प्रदर्शनी के उदघाटन के मौक़े पर हम भी थे. मेरे लिए शहंशाह के जैकेट को निहारना एक अलौकिक अनुभव था. मुंबई के सिनेमाप्रेमी रहनिहारों को एक बार वहां टहल लेना चाहिए. अमित जी को उनके अस्सीवें जन्मदिन की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं. तस्वीरें मित्र रामकुमार सिंह के सौजन्य से साझा की जा रही हैं.
फेसबुक यूजर अपूर्व भारद्वाज ने अमिताभ बच्चन को जन्मदिन की बधाई देते हुए लिखा,
मैं आज भी फेंके हुए पैसे नही उठाता !!!
तारीख याद नही पर महीना ऑक्टोम्बर ही था सड़क पर दो बच्चे आपस मे लड़ रहे थे दोनो मैं इस बात का झगड़ा था कि नाना के दिए हुए 25 पैसे किसे मिलना चाहिए बात इतनी बड़ी की हाथापाई हो गई और इतने मैं नाना आते है और सिक्के को थोड़ी दूर फेक देते है और बोलते है जो पहले ले आएगा सिक्का उसका है एक बच्चा झट से दौड़कर उठा लेता है दूसरा वाला वंही खड़ा रहता है
नाना बोलते है तू तो खूब लड़ रहा था फिर क्यो नही दौड़ा तो बच्चा बोलता है मैं फेके हुए पैसे नही उठाता हूँ आप आश्चर्य करेंगे कि वो बच्चा मैं था उस समय तक मैंने दीवार नही देखी थी क्योंकि तब मेरा जन्म ही नही हुआ था औऱ टाकीज में पुरानी फ़िल्म लगती नही थी पर अमिताभ का इतना बड़ा फेन था की मर्द को देखने 5 बार टाकीज गया था जब बडे होकर दिवार देखी थी तो यह किस्सा याद आया और लगा यह तो मैं हूँ जो आज भी किसी के सामने हाथ नही फैलाता है.
सलीम जावेद के लिखे गए डायलॉग आम ज़िंदगी मे बोले जाने वाले डायलाग थे जिसे एक गुस्सेल बागी नायक ने परदे पर जीवंत कर दिया था जो व्यवस्था से नाराज था उसको अपने दम पर बदलना चाहता था कहते है सिस्टम से हारे हुए एक असफल युवा को उसमें अपना प्रतिबिंब दिखता था पर आज वो नायक और सिनेमा दोनो ही सत्त्ता के गुलाम बने हुए है.
सिनेमा समाज का दर्पण होता है पर जब समाज से कटा दोयम दर्जे का मुख्यधारा का सिनेमा देखता हूँ तो मूझे इस सबसे मजबूत माध्यम पर दया आती है जिसमे किसानों, युवाओं और गरीबों के संघर्ष को दिखाता हुआ व्यवस्था से लड़ता कोई महानायक नही दिखता है जो आज भी अपनी ताकत से सिस्टम को झुका सकता है.
आज हिंदी सिनेमा साउथ के सिनेमा से इसलिए पिछड़ रहॉ है कि क्योकि उसमें सिस्टम से लड़ता हुआ नायक दिखाया जा रहा है उसमें वो एटीट्यूड और बागीपन है जो आज के युवा को की वेवलेंथ से मैच करता है वो नायक इनके डायलाग बोलता है मुझे पूरा विश्वास की आज भी बहुत से युवाओं ने दीवार नही देखी होगी पर वो यह डायलॉग जरुर बोलते होंगे …
“मैं आज भी फेंके हुए पैसे नही उठाता”