फ्रांस में जाकर पीएम मोदी ने क्या-क्या किए वादे?

0
140

हाल ही में पीएम मोदी ने फ्रांस में जाकर कई वादे किए हैं! भारत ने गुरुवार फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक प्रारूपों और फ्रांस द्वारा डिजाइन की गयी तीन स्कॉर्पीन श्रेणी पनडुब्बियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद डीएसी ने उस दिन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय पेरिस यात्रा शुरू की और एक दिन बाद वह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से व्यापक बातचीत करेंगे। दोनों बड़ी खरीद परियोजनाएं 80,000 करोड़ रुपये से 85,000 करोड़ रुपये के बीच की हो सकती हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हथियार प्रणालियों और कलपुर्जों सहित संबंधित सहायक उपकरणों की खरीद के साथ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद एक अंतर-सरकारी समझौते आईजीए पर आधारित होगी और सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद फ्रांस सरकार के साथ कीमत तथा खरीद की अन्य शर्तों पर बातचीत की जाएगी।

मोदी और मैक्रों की शुक्रवार को होने वाली व्यापक बताचीत के बाद भारत और फ्रांस दोनों बड़ी परियोजना पर घोषणा कर सकते हैं। दोनों पक्ष पहले से मजबूत अपने रणनीतिक और रक्षा संबंधों को और विस्तार देना चाहते हैं। भारत और फ्रांस के अधिकारी इस दिशा में भी बातचीत कर रहे हैं कि फ्रांसीसी रक्षा विनिर्माता कंपनी साफरान भारत में एक लड़ाकू विमान इंजन बनाने के लिए किसी भारतीय रक्षा विनिर्माता के साथ हाथ मिलाए। यह इंजन भारत के अगली पीढ़ी के विमान और भविष्य के आधुनिक मध्यम लड़ाकू विमान के लिए तैयार किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने कहा डीएसी ने अंतर-सरकारी समझौते के आधार पर फ्रांस सरकार से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित सहायक उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर, कलपुर्जे, दस्तावेजीकरण, चालक दल प्रशिक्षण आदि के साथ 26 राफेल समुद्री विमानों की खरीद के लिए ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ एओएन प्रदान की।

उसने कहा कि विमानों की आपूर्ति, अनुबंध पर हस्ताक्षर के तीन साल के अंदर शुरू होगी। उसने कहा कि अंतिम करार होने में एक साल लग सकता है क्योंकि मूल्य पर विस्तृत बातचीत करनी है। मंत्रालय ने कहा कि अन्य देशों के ऐसे ही विमानों के तुलनात्मक खरीद मूल्य सहित सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद फ्रांस की सरकार के साथ मूल्य और खरीद की अन्य शर्तों पर बातचीत की जाएगी।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, आवश्यक बातचीत के बाद भारत द्वारा डिजाइन उपकरणों के एकीकरण को और अनुबंध दस्तावेज में अनेक प्रणालियों के लिए रख-रखाव, मरम्मत और परिचालन एमआरओ हब की स्थापना को शामिल किया जाएगा। रक्षा सूत्रों ने बताया कि 26 राफेल एम विमानों में से चार विमान प्रशिक्षक होंगे। राफेल-एम विमान इस डेक आधारित प्लेटफॉर्म का नौसैनिक प्रारूप है।

डीएसी रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है। उसने भारत में तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के विनिर्माण के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी। रक्षा खरीद बोर्ड डीपीबी ने एक सप्ताह पहले ही परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी थी। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसेना स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए 26 डेक-आधारित लड़ाकू विमानों की खरीद पर विचार कर रही है।

बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई से दो दिवसीय दौरे पर फ्रांस पहुंचें। पीएम गुरुवार को ला सीन म्यूजिकल में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन एलिसी पैलेस में अपने आधिकारिक आवास पर प्रधानमंत्री के लिए प्राइवेट डिनर होस्ट करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं के द्विपक्षीय वार्ता करने और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने की संभावना है।

पीएम मोदी की यात्रा से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यात्रा के दौरान पीएम मोदी 26 राफेल समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने के लिए अरबों डॉलर के सौदे की घोषणा कर सकते हैं। गुरुवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए विमान खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। रक्षा बलों द्वारा यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के समक्ष रखे गए थे। प्रस्तावों के अनुसार, भारतीय नौसेना को चार प्रशिक्षक विमानों के साथ 22 सिंगल सीटेड राफेल एम मिलेंगे। भारतीय नौसेना अपने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत पर पुराने मिग-29 के स्थान पर इन लड़ाकू विमानों को तैनात करेगी। राफेल एम सौदे के लिए भारत और फ्रांस द्वारा बातचीत करने के लिए एक संयुक्त टीम बनाने की उम्मीद है। जैसा 36 लड़ाकू विमानों के लिए पिछले राफेल सौदे के दौरान किया गया था। इन प्रस्तावों पर रक्षा मंत्रालय में पहले ही उच्च-स्तरीय बैठकों में चर्चा हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में रक्षा अधिग्रहण परिषद के समक्ष इसे रखा जा सकता है। इसके साथ ही फ्रांस में घोषणा से पहले सरकार द्वारा प्रस्ताव को आवश्यक स्वीकृति दिए जाने की उम्मीद है।