Friday, March 14, 2025
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कांग्रेस सांसदों के वॉकआउट से क्या खड़े नहीं होंगे सवाल?

आपने कुछ दिनों से नोटिस किया होगा कि कांग्रेस सांसद लोकसभा से लगातार वकआउट करते जा रहे हैं! मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सही तरीके से नहीं चल पाई थी। सोमवार लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति बनने के बाद कांग्रेस के चार सदस्यों का निलंबन वापस हुआ जिसके साथ ही सदन में गतिरोध खत्म हुआ। लोकसभा में महंगाई पर चर्चा हुई और इस दौरान कांग्रेस और दूसरे विपक्षी सांसदों समेत सत्ता पक्ष के सांसदों ने भी अपनी बात रखी। चर्चा के बाद बारी थी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब देने की। महंगाई और भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर वह जवाब दे ही रहीं थीं कि थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस सांसद लोकसभा से वॉकआउट कर गए।महंगाई, जीएसटी को लेकर लगातार कांग्रेस सदन के बाहर सरकार पर हमलावर थी लेकिन आज चर्चा के दौरान सांसद बाहर चले जाते हैं। पहले यह आरोप कि सरकार चर्चा को राजी नहीं हो रही और जब चर्चा हो रही है उसके बाद ऐसे कदम पर क्या सवाल नहीं खड़े होंगे। वह भी तब जब सदन चलाने का खर्च हर घंटे डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक आता है और मानसून सत्र में अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक बर्बाद हो चुका है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार कहा कि हम सभी लोग यहां देश के आम लोगों की चर्चा के लिए आते हैं। हम जनता के मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान का आकर्षित करने के लिए यहां हैं। आम लोगों की तकलीफों का निवारण करने के लिए जिस हद तक प्रयास होना चाहिए, वह हम कर रहे हैं। अधीर रंजन चौधरी ने यह बातें सुबह कही और शाम चर्चा के बीच ही कांग्रेस सांसद लोकसभा से बाहर चले जाते हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष की ओर से यह बार-बार आम पब्लिक की बात कही जाती है लेकिन क्या इस बारे में कोई नहीं सोचेगा कि उसी आम पब्लिक का पैसा सदन नहीं चलने से कैसे बर्बाद हो रहा है।

करोड़ों बर्बाद

18 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत हुई और पूरा जुलाई का महीना बीत गया लेकिन दोनों ही सदनों की कार्यवाही एक दिन भी ठीक ढंग से नहीं चल सकी। जुलाई के दो हफ्तों में हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों को मिलाकर जुलाई के महीने में 60-60 घंटे का काम होना था। कुल 120 घंटे लेकिन इन दो हफ्तों में लोकसभा में 15 घंटे से थोड़ा अधिक और राज्यसभा में 11 घंटे से थोड़ा अधिक काम हुआ। लोकसभा सचिवालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक सदन चलाने में प्रति घंटे 1 करोड़ 60 लाख रुपये का खर्च आता है। इसी रिपोर्ट के अनुसार एक दिन का खर्च करीब दस करोड़ रुपये आता है और मिनट के हिसाब से देखा जाए तो ढाई लाख से अधिक।

इस हिसाब से देखा जाए तो जुलाई के महीने के दो हफ्तों में दस दिन की कार्यवाही पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए। मानसून सत्र में लोकसभा में केवल 15.7 घंटे ही काम हुआ। राज्यसभा सचिवालय की ओर से बताया गया कि अब तक हुई 10 बैठकों में राज्यसभा में 11 घंटे और आठ मिनट काम हुआ जबकि 51 घंटे और 35 मिनट का कामकाज निर्धारित था। इसक मतलब है कि 40 घंटे और 45 मिनट हंगामा और व्यवधान में बर्बाद हो गए। अभी तक इस सत्र में एक भी विधेयक पारित नहीं कराया जा सका है।

चर्चा का जवाब देना अभी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुरू ही किया था कि कांग्रेस के सदस्य लोकसभा से बाहर चले गए। उनके बाहर जाने पर निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस को निशाने पर लिया और कहा कि मुझे दुख लग रहा है कि बाहर यही लोग चिल्ला रहे थे कि सरकार महंगाई पर चर्चा से भाग रही है। जब चर्चा हो रही है तो कांग्रेस जवाब सुनने को तैयार नहीं। इनमें जवाब सुनने की क्षमता नहीं है। इनकी ओर से जब चर्चा की बात की गई तो संसदीय कार्यमंत्री की ओर से कहा गया कि जब मुझे (निर्मला सीतारमण) कोविड से ठीक होकर आएंगी तो चर्चा होगी। जब मैं आ गई और चर्चा हो रही है तो कांग्रेस भाग गई। उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पर भी हमला बोला और कहा कि मुझे जल्द स्वस्थ होने की शुभकामना देने वाले अधीर रंजन चौधरी भी जवाब सुनने को राजी नहीं। इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र स्पष्ट होता है।

कांग्रेस ने महंगाई के मुद्दे पर लोकसभा में हुई चर्चा का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जवाब दिए जाने के बाद सोमवार को उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सीतारमण की बात से ऐसा लगा कि देश में कोई समस्या ही नहीं है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि पूरे देश के लोग वित्त मंत्री से असहमत होंगे। उन्होंने ट्वीट किया करते हुए लिखा कि दो सप्ताह तक जिद और हठ के बाद आज मोदी सरकार विपक्ष के लगातार दबाव की वजह से लोकसभा में महंगाई पर चर्चा के लिए तैयार हुई। अपेक्षा के अनुरूप वित्त मंत्री जी के जवाब से ऐसा लगा जैसे कोई समस्या ही नहीं है। देशभर के लोग वित्त मंत्री जी से असहमत होंगे। मंगलवार राज्यसभा में चर्चा है।

सांसदों का वॉकआउट और सवाल

महंगाई का मुद्दा ऐसा है जो सीधे-सीधे आम आदमी से जुड़ा है। यह बात सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को ही पता है। हाल ही में कई जरूरी सामानों पर जीएसटी बढ़ाए जाने का मुद्दा कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल उठा रहे हैं। कांग्रेस जो इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की अगुवाई कर रही थी आज वो वित्त मंत्री का जवाब सुने बिना ही सदन के बाहर चली गई। ऐसे में क्या सवाल उस पर नहीं खड़े होंगे। कांग्रेस जिस महंगाई को मुद्दा बनाकर सरकार पर प्रहार कर रही थी उसके बाहर जाने से उसका पक्ष कमजोर नहीं होगा। अब तक उसकी ओर से महंगाई पर चर्चा न कराए जाने को लेकर सरकार से सवाल पूछा जा रहा था लेकिन क्या अब सत्ता पक्ष की ओर से सवाल नहीं होगा।

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