दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर कई नियमों का पालन करना पड़ सकता है! मोदी सरकार की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं इस साल पूरी होने जा रही हैं। इस साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होंगे। इसलिए अगले एक साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित कर सकते हैं। इनमें सबसे पहले नंबर पर है दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे। देश की राजधानी दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है और इसे देश की इकॉनमी के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है। इसके सोहना-दौसा स्ट्रेच का काम पूरा हो चुका है और प्रधानमंत्री मोदी 12 फरवरी को इसे हरी झंडी दिखाई हैं। वैसे तो देश में कई एक्सप्रेसवे बनाए जा चुके हैं लेकिन इसकी बात ही कुछ और है। आखिर इस एक्सप्रेसवे में ऐसा क्या खास है कि पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है? दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा और इसकी कुल लंबाई लगभग 1,390 किलोमीटर है। इसे जर्मन तकनीक से बनाया जा रहा है और अगले 50 साल तक इसमें कोई टूटफूट नहीं होगी। इसमें कुल 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल हो रहा है जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है। साथ ही इस प्रोजेक्ट में 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और करीब 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल हो रहा है। देश का पहला इलेक्ट्रिक हाइवे भी इस पर ही बन रहा है। इसमें गाड़ियां चलते-चलते रिचार्ज होंगी। अभी यह एक्सप्रेस आठ लेन का है लेकिन भविष्य में इसे बढ़ाकर 12 लेन का किया जा सकता है। इस एक्सप्रेसवे पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चलेंगी और दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा होगा। अभी इसमें 24 घंटे का समय लगता है। इसके निर्माण पर 1.1 लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
यह छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगा। यह एशिया का पहला ऐसा हाइवे है जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का भी विकास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे सही मायनों में देश की प्रगति का एक्सप्रेसवे साबित होगा। इस एक्सप्रेसवे को भारतमाला परियोजना के पहले चरण के हिस्से के रूप में बनाया जा रहा है। एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
यह पूरा एक्सप्रेसवे अगले साल मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में कहा था कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के सोहना-दौसा खंड का उद्घाटन इस महीने के अंत तक होगा। इसके साथ ही दिल्ली और जयपुर के बीच सफर का समय घटकर लगभग दो घंटे हो जाएगा। दिल्ली और जयपुर के बीच की दूरी लगभग 270 किमी है। सोहना- दौसा खंड दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का पहला चरण है। सोहना-दौसा स्ट्रेच को दिसंबर 2021 तक पूरा होना था मगर कोरोना महामारी के कारण इसका काम प्रभावित हुआ। NHAI ने इस पूरे स्ट्रेच पर करीब डेढ़ लाख पौधे लगाए हैं। पूरे स्ट्रेच पर सीसीटीवी सर्विलांस है जिसके जरिए ट्रैफिक उल्लंघन से लेकर किसी तरह के हादसे और क्राइम पर नजर रखी जा सकेगी।
इस एक्सप्रेसवे पर हैलीपैड भी बनाने की योजना है। इससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला नौ मार्च 2019 को रखी गई थी। यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है। इसका मतलब है कि हाइवे के बीच में एक तरफ से दूसरी तरफ कोई भी आ जा नहीं सकेगा। एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी। साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा। हाइवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेसटिंग सिस्टम होगा। साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है।
इस एक्सप्रेसवे पर टोल वसूलने के लिए भी खास तरीका अपनाया गया है। इस पर आपको केवल उतना ही टोल का भुगतान करना होगा जितने किलोमीटर आपकी गाड़ी चलेगी। हालांकि इस पर कितना टोल होगा, इस बारे में अभी आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस पर दूसरे एक्सप्रेसवेज की तुलना में कम टोल देना होगा। पैसेंजर गाड़ियों के लिए इसका रेट दो रुपये प्रति किलोमीटर होगा जबकि कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह सात रुपये प्रति किलोमीटर हो सकता है। इसमें एक खासियत यह है कि एंट्री करते समय कोई टोल नहीं लगेगा। इससे एग्जिट करते समय टोल का भुगतान करना होगा।
एक्सप्रेसवे पर 93 स्थानों पर रेस्ट एरिया बनाए जाएंगे। यानी हर 50 किलोमीटर पर रेस्ट एरिया होगा। इनमें पेट्रोल पंप, मॉटेल, रेस्ट एरिया, रेस्टोरेंट्स और दुकानें होंगी। बच्चों के खेलने के लिए फन पार्क और झूले लगे रहेंगे। यानी आप पिकनिक मनाते हुए दिल्ली से मुंबई का सफर कर सकते हैं। इस एक्सप्रेसवे पर गाड़ियां 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भरेंगी। लेकिन आप कहीं भी तकनीकी खामी के बिना गाड़ी नहीं रोक सकते हैं। ऐसा करने पर आपका चालान कट जाएगा। गाड़ी को केवल रेस्ट एरिया में ही रुकने की अनुमति होगी। ओवरस्पीड पर नजर रखने के लिए जगह-जगह स्पीड गवर्नर लगाए गए हैं। अगर कोई तेज स्पीड में गाड़ी चलाएगा तो उसका ऑनलाइन चालान कट जाएगा। मोबाइल पर मैसेज आ जाएगा और तुरंत जुर्माना भी वसूल कर लिया जाएगा।
हाइवे के दोनों तरफ बैरिकेडिंग की गई है ताकि आवारा जानवर सड़क पर ना जा पाएं। यह एशिया का पहला ऐसा हाइवे हैं जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी। इसके अंतर्गत आठ लेन की दो सुरंग बनाई जाएगी। इनमें से एक सुरंग पहले राजस्थान के मुकुंदरा सेंक्चुरी के नीचे से बनाई जा रही है। दूसरी सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान ईको सेंसिटिव जोन में बनाई जाएगी। इसकी लंबाई भी चार किलोमीटर है। इस एक्सप्रेसवे का 160 किमी हिस्सा हरियाणा में, 374 किमी हिस्सा राजस्थान में, 245 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में और 423 किमी लंबा हिस्सा गुजरात में है।