यदि आपके शरीर में मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आते हैं, तो जल्दी से कुछ उपाय जरूर कर ले! कोरोना वायरस के बाद अब भारत समेत दुनिया के 78 देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण फैल रहा है। अब तक वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। भारत में भी मंकीपॉक्स के मरीज मिले हैं। हालांकि मंकीपॉक्स के मामले में भारत की स्थिति फिलहाल गंभीर नहीं हैं लेकिन अगर इसे लेकर सतर्कता नहीं बरती गई, तो कोरोना वायरस की तरह की मंकीपॉक्स भी तेजी से फैल सकता है। मंकीपॉक्स कोई नया संक्रमण नहीं है लेकिन भारत में लोगों को मंकीपॉक्स के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। संक्रमण की जानकारी, इसके लक्षण, बचाव के तरीके और उपचार के बारे में जानकारी होने पर ही आप इस रोग से बच सकते हैं। मंकीपॉक्स भले कोरोना जैसे फैल रहा है लेकिन ये कोविड जितना घातक नहीं है। मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आएं तो घबराएं नहीं। लक्षणों से मंकीपॉक्स की स्थिति को समझते हुए इलाज कराएं। खुद से घरेलू नुस्खे अपनाने के बजाए केंद्र सरकार द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन करें।
मंकीपाॅक्स के लक्षण
विशिष्ट देशों से वापस आने वाले लोगों और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों में पिछले 21 दिनों में लक्षण नजर आ सकते हैं, इसमें,
बुखार
सिर दर्द
शरीर दर्द
कमजोरी
लिम्प नोड्स में सूजन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स के लक्षण 6 से 13 दिन के अंदर दिखाई देने लगते हैं। हालांकि कई बार 5 से 21 दिन का समय भी ले सकता है। संक्रमित होने पर अगले 5 दिन के अंदर बुखार, सिरदर्द, थकान और पीठ में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। बुखार होने के तीन दिन के अंदर त्वचा पर दाने आने लगते हैं।
संक्रमण का संचरण न हो, इसके लिए खुद को आइसोलेट कर लें।
डॉक्टर को तुरंत दिखाएं
इस दौरान जो लोग संक्रमित के संपर्क में आए हैं, उनकी भी निगरानी हों और सतर्कता बरतने की सलाह दें।
मंकीपॉक्स का इलाज और दवा
मंकीपॉक्स की अब तक कोई खास दवा नहीं खोजी जा सकी है। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स में एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं। मंकीपॉक्स का इलाज करते समय चिकित्सकों की प्राथमिकता लक्षणों को कम करना होता है। वहीं मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तरह के होते हैं। ऐसे में मंकीपॉक्स के इलाज में चेचक की दवा का इस्तेमाल किया जाता है। चेचक की दवा एक एंटीवायरस डोज है, जिसका नाम टेकोविरीमेट है। इस दवा को यूरोपियन मेडिकल एसोसिएशन ने मान्यता दी है। लेकिन ये दवा दुनियाभर में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा मंकीपाॅक्स से बचाव के लिए चेचक का टीका लगवा सकते हैं।
मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर शरीर को हाइड्रेट रखें। भरपूर मात्रा में पानी पीएं ताकि पानी की कमी न हो।
जल्द रिकवरी के लिए पोषक तत्वों की कमी न होने दें। पौष्टिक आहार का सेवन करें।
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है। हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा, ”मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं। ” साहू ने कहा, ”अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं। मामले गंभीर भी हो सकते हैं। हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है। संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है।
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है।