मुलायम सिंह यादव ने एक बार बाहुबली विजय मिश्रा को उनकी पत्नी के सिंदूर का वास्ता दिया था! कभी पुलिस से फरार, तो कभी जेल की चारदीवारी, कभी विधानसभा की कुर्सी, इस शख्स को अगर आपको समझना तो उसके लिए चलना होगा भदोही। उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा कस्बा जिसे कालीन नगरी भी कहा जाता है। भदोही हमेशा से अपराध और अपराधियों की शरणस्थली रहा है और यहां एक परिवार हमेशा सुर्खियों में रहा वो परिवार है बाहुबली नेता विजय मिश्रा का। वो विजय मिश्रा जिनका नाता अपराध से वक्त-वक्त पर जुड़ता ही रहा। जो राजनीति में तो आ गए, लेकिन अपराध से दामन न छुड़ा पाए।
विजय मिश्रा को अगर भदोही का डॉन बोला जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। चार बार तक भदोही की ज्ञानपुर सीट में अपना कब्जा जमाने वाले विजय मिश्रा का जो दबदबा इस इलाके में है वो शायद किसी और नेता यहां कभी बन पाए। इनका जन्म तो भदोही में नहीं हुआ, लेकिन आज से करीब 40 साल पहले वो इस कालीन नगरी में आए और फिर वहीं के होकर रह गए। सबसे पहले उन्होंने एक पेट्रोल पंप अपनी शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने कई ट्रक भी यहां चलवाने शुरू किए। बिजनेस के अलावा भी उनक इलाके में उनकी अच्छी खासी धाक थी और राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के साथ उनका उठना-बैठना था।
विजय कांग्रेस पार्टी के करीब आने लगे और वजह थी कांग्रेस के नेता कमलापति त्रिपाठी। विजय मिश्रा और कमलापति त्रिपाठी दोनों ही ब्राह्मण थे और कमलापति के कहने पर ही उन्होंने राजनीति में पहला कदम रखा। अपनी ब्राह्मण छवि को हमेशा बनाए रखने वाले विजय मिश्रा सबसे पहले ब्लॉक प्रमुख बने और फिर राजनीति में ऐसे रमे कि अच्छे-अच्छों ने उनके सामने घुटने टेक दिए। हत्या, हत्या की साजिश, लूट, बूथ कैप्चरिंग, मारपीट, जैसे कई मामलों में आरोपी होने के बावजूद विजय मिश्रा भदोही से से लगातार विधायक बनते रहे। हालांकि कांग्रेस के साथ विजय का नाता ज्यादा लंबा न चला, लेकिन वो नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के खासमखास जरूर बन गए। खास भी इतने की भरी रैली में वो मदद की गुहार के लिए मुलायम सिंह यादव के पास पहुंच गए।
बात 2009 की है, तब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी। कहते हैं, भदोही उपचुनाव के दौरान मायावती विजय मिश्रा को बीएसपी में लाना चाहतीं थीं, लेकिन वो तैयार न हुए। कहते हैं इसके बाद ही उनके अपराधिक मामलों को लेकर राज्य सरकार ने उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस लगा दी। मुलायम सिंह पास ही एक जनसभा कर रहे थे, विजय मिश्र पुलिस से बचते हुए उनकी सभा में पहुंच गए और स्टेज में पहुंचकर बड़े ही फिल्मी अंदाज में मुलायम सिंह से मदद मांगी। “आपको मेरी पत्नी के सिंदूर का वास्ता, मुझे बचा लीजिए”… हाथ जोड़कर विजय मिश्रा ने मुलायम सिंह से विनती की। नेताजी ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया – “जिसकी हिम्मत पकड़ के दिखाए” और फिर वो विजय मिश्रा को अपने साथ हेलिकॉप्टर में लेकर वहां से उड़ गए।
खैर ये तो एक सिर्फ एक किस्सा है, विजय मिश्रा की करीबियां समाजवादी पार्टी से कितनी थी ये जानने के लिए हमें उनके राजनीतिक करियर को जानना होगा। ब्लाक प्रमुख बनने के बाद विजय मिश्रा राजनीति में उतरने का मन बना चुके थे। भदोही में उनके रौब से हर कोई वाकिफ था। साल 2000 की बात है। एक बार विजय मिश्रा की मुलाकात पहली बार मुलायम सिंह से हुई। उस वक्त जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर शिव करण यादव थे। मुलायम सिंह शिव करण को किसी भी कीमत पर हराना चाहते थे और विजय मिश्रा ने भरोसा दिलाया कि वो शिव करण हरा देंगे और हुआ भी ठीक वैसा ही। शिव करण को हराने के बाद विजय मिश्रा ने नेताजी के दिल में अपनी जगह बना ली और फिर भदोही के इस दबंग की सियासी गाड़ी दौड़ने लगी।
विजय मिश्रा साल 2021से एक बार फिर जेल में बंद हैं। इस बार उनके एक रिश्तेदार ने ही उनपर जबरदस्ती कुछ ट्रक छीनने के आरोप लगाए। दरअसल बीजेपी के साथ भी विजय मिश्रा के रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहे, वजह है उनकी अपराधिक छवि। जब उनके एक रिश्तेदार ने उनपर 13 ट्रक छीनने के आरोप लगाए तो योगी सरकार ने तुरंत एक्शन लिया। इसी दौरान विजय मिश्रा के प्रयागराज में मौजूद एक अवैध घर पर बुल्डोजर चला दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस भेजी गई लेकिन वो फरार हो गए लेकिन करीब एक साल बाद 2020 में उन्हें आगरा से पकड़ लिया गया और अब वो फिलहाल आगरा की जेल में बंद हैं। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने एक बार फि भदोही से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उनकी पत्नी रामलाली और उनकी दोनों बेटियों ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया। कई सभाओं में वो रोती हुई भी नज़र आईं, लेकिन इन सब के बावजूद इस बार विजय मिश्रा को करारी शिकस्त मिली।