Thursday, December 19, 2024
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क्या थे अशरफ के अंतिम शब्द?

अशरफ के अंतिम शब्द भी कुछ बड़ा राज खोलना चाहते थे! प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल गेट से अंदर घुसते ही पुलिस जीप से उतरने ही अतीक और उसके भाई अशरफ से मीडियाकर्मी एक के बाद एक सवाल दागे जा रहे थे। पहले दोनों चुप रहे। इसी बीच एक सवाल आया कि अतीक बेटे असद के जनाजे में क्यों नहीं गए? अतीक ने कहा कि नहीं ले गए तो नहीं गए। अतीक चुप हुआ तो अशरफ ने बोला-‘मेन बात यह है कि गुड्डू मुस्लिम…’इसी दौरान अतीक अहमद को पहले शूटर ने पॉइंट ब्लैंक रेंज से सिर में गोली मार दी। फिर अगले 12 सेकेंड में जो हुआ, वह दुनिया ने देखा। अतीक और अशरफ की मौत के साथ ही वह ‘मेन बात’ एक पहेली बनकर रह गई कि आखिर अशरफ गुड्डू मुस्लिम से जुड़ा क्या बताने जा रहा था? अब इसकी भी तफ्तीश हो रही है। दरअसल उमेश पाल हत्याकांड में चार दिन की रिमांड पर लिए गए अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ से पूछताछ चल रही थी। रिमांड का दूसरा दिन खत्म होने वाला था, तभी दोनों की हत्या हो गई। इसके बाद चर्चाएं तेज हैं कि दो दिन के दौरान दोनों भाइयों ने पुलिस के सामने कई राज खोले हैं। ये राज उनके आपराधिक साम्राज्य के, उनके आर्थिक व सियासी मददगारों और कई सौ करोड़ की अवैध और बेनामी संपत्तियों से जुड़े हुए हैं। माना यह भी जा रहा है कि पूछताछ में दोनों ने फरार शूटर गुड्डू मुस्लिम, साबिर, अरमान और शाइस्ता के बारे में भी जानकारियां दी हैं। यह भी बताया है कि यह सब किस लोकेशन पर मिलेंगे?

प्रयागराज की सियासत और वहां के राजनीतिज्ञों से अतीक की नजदीकियों के काफी चर्चे रहे हैं। हर दल में उसके चाहने वाले थे। चाहे कीमती जमीनों में निवेश की बात हो या फिर ठेके-पट्टों से जुड़ा मामला…हर जगह अतीक और उसके गैंग का खासा दखल था। खासतौर पर प्रापर्टी के धंधे पर उसकी पूरी पकड़ थी। इसमें प्रयागराज और लखनऊ के कई बड़े सफेदपोश भी अतीक के साथ जुड़े थे। ये सफेदपोश अतीक के काले धन को सफेद करने का काम तो कर ही रहे थे, साथ ही विवादित जमीनों को हथियाने में भी अतीक की मदद लिया करते थे। कयास लग रहे हैं कि इन सफेदपोश लोगों के नाम भी अतीक ने खोले हैं। वह भी उसके दुश्मन बन गए थे।

योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद पुलिस प्रशासन तो अतीक की अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर ही रहा था। लेकिन 12 अप्रैल को ईडी द्वारा की गई छापेमारी में अतीक और उसके सफेदपोश मददगारों से जुड़े कई अहम राज सामने आए हैं। ईडी ने कई सौ करोड़ की 100 से ज्यादा ऐसी अवैध और बेनामी संपत्तियों को ट्रैक किया है, हर दल में उसके चाहने वाले थे। चाहे कीमती जमीनों में निवेश की बात हो या फिर ठेके-पट्टों से जुड़ा मामला, हर जगह अतीक और उसके गैंग का खासा दखल था। खासतौर पर प्रापर्टी के धंधे पर उसकी पूरी पकड़ थी। इसमें प्रयागराज और लखनऊ के कई बड़े सफेदपोश भी अतीक के साथ जुड़े थे। ये सफेदपोश अतीक के काले धन को सफेद करने का काम तो कर ही रहे थे, साथ ही विवादित जमीनों को हथियाने में भी अतीक की मदद लिया करते थे। कयास लग रहे हैं कि इन सफेदपोश लोगों के नाम भी अतीक ने खोले हैं। वह भी उसके दुश्मन बन गए थे।जो अतीक और उसके सफेदपोश साथियों ने प्रयागराज और लखनऊ के पॉश इलाकों में बनाई हैं। इसके साथ ही करोड़ों के लेन-देन के भी साक्ष्य मिले हैं, जिनकी कड़ियां कुछ बड़ों तक पहुंच रही थीं। ऐसी चर्चा है कि ये राज और सफेदपोशों के नाम कहीं बाहर न आ जाएं, इसलिए अतीक और अशरफ को ठिकाने लगा दिया गया?

पड़ताल इस बात की भी हो रही है कि विदेशी हथियारों के पंजाब और बॉर्डर पार पाकिस्तान और आईएसआई कनेक्शन की कड़ियां खुलने का डर था इसलिए उस नेटवर्क से जुड़े लोगों ने इस वारदात को अंजाम दे दिया। हालांकि यह सब सिर्फ कयास ही हैं क्योंकि मारने वाले शूटर्स का प्रोफाइल, उनकी पारिवारिक स्थिति और आपराधिक इतिहास से लग रहा है कि वे काफी लो प्रोफाइल होकर काम करने वाले हैं। उन्हें किसी ने वारदात के लिए हायर किया या वे सिर्फ उन लोगों ने नाम कमाने के इरादे से वारदात की, पुलिस दोनों ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रही है।

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