नीतीश कुमार के हटने के बाद INDIA गठबंधन का क्या होगा नया रुख?

0
71

यह सवाल उठना लाजिमी है कि नीतीश कुमार के हटने के बाद INDIA गठबंधन का नया रुख क्या होगा! लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के I.N.D.I.A गठबंधन के लिए एक के बाद एक बुरी खबर आ रही है। बंगाल में ममता बनर्जी और पंजाब में AAP पहले ही लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कर चुके हैं। ऐसे में नीतीश कुमार ने आज एनडीए का दामन थामकर इंडिया गठबंधन को बहुत बड़ा झटका दे दिया है। जेडीयू ने बिहार में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के टूटने के लिए कांग्रेस की हठ और अहंकार को जिम्मेदार ठहराया है। जेडीयू ने कहा कि कांग्रेस नेता अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे थे, विपक्षी गठबंधन को नहीं। नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें ‘इंडिया’ और ‘महागठबंधन’ में चीजें ठीक नहीं लग रही थीं, इसलिए उन्होंने बीजेपी के साथ नया गठबंधन और नई सरकार बनाने का निर्णय लिया। हालांकि यूपी से इंडिया गठबंधन के लिए राहत की खबर है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीट देने की घोषणा की है। जेडीयू के प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा कि कांग्रेस के भीतर का एक गुट ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व हथियाना चाहता था और साजिश के तहत मल्लिकार्जुन खरगे का नाम गठबंधन के अध्यक्ष के तौर पर प्रस्तावित किया गया। इस महीने की शुरुआत में ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में खरगे के बारे में लिए गए निर्णय से जेडीयू को झटका लगा था। उधर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नीतीश कुमार को देश में ‘आया राम-गया राम’ का प्रतीक बता दिया तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने नीतीश कुमार को गिरगिट तक कह दिया। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने की जगह इंडिया गठबंधन के वजूद को बचाना कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उन दावों को खारिज कर दिया कि नीतीश कुमार के बाहर निकलने से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे गठबंधन केवल मजबूत होगा, जैसा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी कहा है। उन्होंने कहा, ‘कुछ दिनों तक सुर्खियों में रहने के अलावा इसका कोई असर नहीं होगा। अगर बीजेपी की सरकार बरकरार रहती है तो हमारे देश-भारत का भविष्य दांव पर है, लेकिन विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का भविष्य दांव पर नहीं है।’ ‘इंडिया’ के गठन में कुमार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रमेश ने पिछले वर्ष 23 जून को कुमार द्वारा बुलाई गई 18 विपक्षी दलों की बैठक का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यात्रा 23 जून को पटना से शुरू हुई थी और जिस व्यक्ति ने इस यात्रा को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसने ही धोखा दे दिया। हमें नहीं पता कि उनकी राजनीतिक मजबूरियां क्या थीं, लेकिन बिहार के लोग उन्हें और बीजेपी को करारा जवाब देंगे।’

जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश में खुद को डुबो दिया जिसमें कोई योग्यता नहीं है और विपक्षी गठबंधन को नुकसान पहुंचाता है। माना जा रहा है कि उनका निशाना राहुल गांधी पर था। जेडीयू के प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा कांग्रेस ने उन राज्यों में कभी सहयोगियों की मदद नहीं की जहां उसकी स्थिति मजबूत है। त्यागी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस का एक धड़ा इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को हड़पना चाहता है और 19 दिसंबर को अशोका होटल में हुई गठबंधन की बैठक में एक साजिश के तहत गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम सुझाया गया, जबकि इससे पहले मुंबई की बैठक में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि यह गठबंधन किसी भी नेता का चेहरा आगे रखे बिना ही काम करेगा।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और पाला बदलने के लिए नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए उन्हें विश्वासघात करने में माहिर करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया बनाने में अहम भूमिका निभाने वाला ही उसे ‘धोखा देकर’ एनडीए में शामिल हो रहा है। रमेश ने टिप्पणी की कि राजनीतिक रंग बदलने की कुमार की प्रवृत्ति गिरगिट को भी मात देती है। उन्होंने कहा कि बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल सोमवार को राज्य में प्रवेश करने वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से ध्यान भटकाने की एक रणनीति है। उन्होंने कहा, ‘बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि वह समय-समय पर राजनीतिक रंग बदलते रहे हैं और रंग बदलने में तो वह गिरगिटों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बिहार की जनता उन्हें और उनके इस कदम के लिए जिम्मेदार दिल्ली में बैठे लोगों को करारा जवाब देगी।’ रमेश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी ने यह ‘राजनीतिक नाटक’ रचा है।

चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका देते हुए अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ममता ने कहा है कि वह बंगाल में अकेली चुनाव लड़ेंगी। ममता बनर्जी ने पहले कांग्रेस को दो सीटें देने को कहा था लेकिन अब ममता ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देंगी। पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटे हैं और ममता बनर्जी ने सभी 42 सीटों पर एकला चलो के साथ आगे बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि टीएमसी के गढ़ बीरभूम जिले में ममता बनर्जी ने एक बंद कमरे में संगठनात्मक बैठक की। इस दौरान ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं से अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि वह बंगाल में सीटों के बंटवारे का मसला सुलझा लेगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी पंजाब में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है। भगवंत मान ने कहा कि वो पंजाब की 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। वो किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। पंजाब में आप 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हम समझौता नहीं करेंगे। ममता बनर्जी का अपना फैसला है और हमारा अपना। भगवंत मान ने कहा कि हमने 40 उम्मीदवारों की लिस्ट बना ली है। इन्हीं 40 में से 13 उम्मीदवारों को शार्ट लिस्ट किया जाएगा। भगवंत ने वहीं पंजाब की 13 जीतने का दावा किया। भगवंत मान ने कहा कि इस बार पंजाब में 13-0 से जीतेगी।

एनडीए ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब इसमें बीजेपी, जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी एलजेपी शामिल थीं। अब नीतीश कुमार वापस एनडीए में आ गए हैं तो बीजेपी की बिहार में वही प्रदर्शन दोहराने की उम्‍मीद बढ़ गई है। बीजेपी के लिहाज से यह एक और कारण से अहम है। भगवा पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 का आंकड़ा पार करने का टारगेट सेट किया है। बिहार में पिछला प्रदर्शन दोहराए बगैर यह लक्ष्‍य हासिल कर पाना मुश्किल होगा।