Friday, May 9, 2025
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जब देश के लिए मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को बना दिया गया डाकू!

एक ऐसी घटना जिसमें देश के लिए मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को डाकू बना दिया गया! कहते कोई भी इंसान जन्म से डाकू नहीं होता। उसे मजबूर किया जाता चंबल बीहड़ों को चुनने के लिए, उसे समाज ही हथियार उठाने के लिए उकसाता है। ऐसी ही कहानी है मशहूर डकैत पान सिंह तोमर की। सालों तक देश की सेवा करने के बाद पान सिंह तोमर ने भी जंगलों की दुनिया को चुना। पान सिंह तोमर ने भी समाज के गलत फैसलों के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की और बंद गए बीहड़ के डकैत। 1 जनवरी 1932 को पान सिंह तोमर का जन्म मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के भिदौसा गांव में हुआ। पान सिंह तोमर बचपन से दौड़ने में काफी तेज थे। गांव के लोग उनकी दौड़ को देखकर हैरान रह जाते थे। साल 1949 में पान सिंह तोमर ने इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली। देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा उस दौर में हर बच्चे के अंदर होता था। पान सिंह को उनकी दौड़ ने आसानी से आर्मी में एंट्री करवा दी और फिर शुरू हुई देश की सेवा।

आर्मी में रहते हुए ही पान सिंह तोमर ने दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और इसी दौरान 7 बार राष्ट्रीय बाधा दौड़ के चैंपियन बने। देशवासियों का सिर उन्होंने गर्व से ऊंचा कर दिया था। खुद मिल्खा सिंह ने भी उनकी तारीफ की। अपनी दौड़ की बदौलत पान सिंह तोमर काफी नाम कमा चुके थे। 1952 के एशियाई खेलों में पान सिंह तोमर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि वो यहां पर कोई पदक नहीं जीत पाए और वजह थी जूते पहनकर दौड़ना। पान सिंह तोमर ने हमेशा नंगे पैर ही रेस जीती थी, लेकिन यहां उन्हें नियम के मुताबिक जूते पहनकर दौड़ना पड़ा।

एक तरफ वो देश के लिए मेडल जीत रहे थे तो वही दूसरी तरफ उनके गांव में उनके परिवार को परेशान किया जा रहा था। गांव के दबंगों ने पान सिंह तोमर और उनके चाचा की जमीन पर कब्जा कर लिया था। फौज में रहते हुए पान सिंह अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे। परिवार की खातिर पान सिंह ने टाइम से पहले ही रिटायरमेंट लेने का मन बना लिया। वो फौज की नौकरी छोड़कर अपने गांव आ गए, लेकिन बावजूद इसके गांव के दबंगों ने उनकी जमीन पर कब्जा नहीं छोड़ा। पान सिंह तोमर ने पुलिस की मदद लेनी चाही, लेकिन पुलिस वालों ने भी दबंगों का साथ दिया। बड़े-बड़े ऑफिसर्स से उन्होंने मुलाकात की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

गांव के दबंगों ने पान सिंह तोमर के परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया था। इन लोगों ने पान सिंह तोमर की पिटाई भी की। ये सिलसिला चलता रहा। हद तो तब जब एक दिन पान सिंह तोमर की बूढ़ी मां को घर में अकेला देखकर इन दबंगों ने उन्हें भी अधमरा कर दिया। ये एक बेटे की सबसे बड़ी हार थी। बूढ़ी मां घर पर अधमरी हालत में पड़ी हुई थी। फौज के सूबेदार रह चुके पान सिंह तोमर खुद को बेहद कमजोर महसूस कर रहे थे। मां ने अपने बेटे से वचन लिया कि वो इन दबंगों से बदला लेगा और फिर उनकी मां की मौत हो गई।

अब पान सिंह तोमर का एकमात्र लक्ष्य था ऐसे लोगों को मौत देना। जो बंदूक कभी देश सेवा के लिए उठाई थी अब वहीं बंदूक पान सिंह तोमर ने इन लोगों को मारने के लिए उठाई। इन दबंगों के साथ-साथ गांव के थाने के दारोगा को भी पान सिंह ने मौत दी। एक ही दिन में 4 हत्या कर चुके पान सिंह तोमर के पीछे अब पुलिस पड़ चुकी थी। बस इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ बीहड़ का रुख किया। पुलिस से बचने के लिए जंगलों में शरण ली।

जंगल में पान सिंह ने अपना एक गैंग बनाया। इस गैंग में पान सिंह के परिवार के अलावा वो लोग भी शामिल थे जो उन्होंने फौज के समय से अपना आदर्श मानते थे। पान सिंह ने सबको हथियार चलाना सिखाया। बकायादा सभी लोगों को आर्मी ट्रेनिंग दी गई। करीब 30 लोगों का गैंग तैयार हो चुका था और ये लोग अब गांव-गांव में लूटपाट मचाने लगे थे। हत्या, अपहरण, मारपीट पान सिंह तोमर पर अब सब तरह के आरोप लगने शुरू हो चुके थे। कभी देश की इज्जत बढ़ाने वाले पान सिंह तोमर अब डकैत बन चुके थे। कई सालों तक ये सिलसिला जारी रहा। साल 1981 में पान सिंह तोमर ने मुखबिरी करने के आरोप में एक मुखिया और उसके परिवार के 6 लोगों को एक साथ मौत की नींद सुला दिया। इस घटना के बाद मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने पान सिंह तोमर को जल्द से जल्द जिंदा का मुर्दा पकड़ने के आदेश दिए।

इसी साल पान सिंह तोमर अपने गैंग के 18 लोगों के साथ एक गांव में गया हुआ था। गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को इस बात की जानकारी दे दी। बस पुलिस ने पान सिंह को चारों तरफ से घेर लिया। इसी पुलिस एनकाउंटर में आखिरकार पान सिंह तोमर की मौत हुई। पान सिंह तोमर ने बेशक आर्मी से रिटायर होने के बाद बीहड़ को चुन लिया हो, लेकिन उनके बेटे फौज में शामिल हुए। पान सिंह तोमर के एक बेटे ने सूबेदार पद से रिटायरमेंट ली और आज भी उनका परिवार झांसी में रहता है। पान सिंह तोमर पर एक फिल्म भी बनी है जिसमें पान सिंह तोमर की भूमिका इरफान खान ने निभाई थी।

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