जब 21 साल पहले अतीक अहमद ने की थी मौत की भविष्यवाणी!

0
146

अतीक अहमद ने अपनी मौत की भविष्यवाणी 21 साल पहले ही कर दी थी! सुनो मुन्ना! जब हम इहां आउब त हमार खोपड़ी जरा आराम से खोलिहौ। छैनी-हथौड़ी चलावै में थोड़ा रहम करिहौ। यानी जब हम यहां आएंगे तो हमारी खोपड़ी जरा आराम से खोलना। छैनी, हथौड़ा चलाने में थोड़ा रहम दिखाना। ‘ ये शब्द अतीक अहमद के हैं। भोजपुरी भाषा में ये इंस्ट्रक्शन अतीक अहमद ने पोस्टमार्टम रूम के स्टाफ को 21 साल पहले दी थी। तो क्या अपनी मौत से 21 साल पहले ही अतीक को अपनी मौत का अंदेशा था। आखिर क्यों अपने सुनहरे दौर में उत्तर प्रदेश के माफिया ने अपने पोस्टमार्टम की बात की थी। ये बात है साल 2002 की। अतीक के एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी अस्पताल लाया गया। उस वक्त पोस्टमार्टम रूम की जिम्मेदारी मुन्ना पाल नाम के एक कर्मचारी की थी। अतीक ने मुन्ना को अपने पास बुलाया, उसके हाथ में कुछ पैसे रखे और फिर उससे कहा कि उसके करीबी का पोस्टमार्टम ठीक से करे। इसके बाद अचानक अतीक अहमद के दिमाग में पता नहीं क्या आया। उसने मुन्ना से कहा कि मेरी डेड बॉडी को भी एक दिन इसी अस्पताल में लाया जाएगा। तब पोस्टमार्टम के वक्त मेरी खोपड़ी में छैनी-हथौड़ी जरा ध्यान से चलाना।

उस वक्त अतीक ने ये शब्द बेहद लाइट मोड में कहे थे, लेकिन कहते हैं न कभी-कभी जुबां पर सरस्वती रहती है। अतीक के ये शब्द 21 साल बाद सच होंगे ये कोई सोच भी नहीं सकता। जब अतीक ने ये बात कही थी उस वक्त उत्तर प्रदेश में अतीक की तूती बोलती थी। उसका गुंडाराज अपने चरम पर था, लेकिन बावजूद इसके उसने अंजाने में ही सही, लेकिन वो शब्द कहे जो शायद वो खुद भी कभी नहीं सुनना चाहता होगा। 15 अप्रैल को जब अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या की गई तो अगले दिन उनकी डेड बॉडी इसी अस्पताल में लाई गई। हालांकि मुन्ना पाल जिसको 21 साल पहले अतीक ने पोस्टमार्टम की हिदायते दी थी उसकी मौत हो चुकी है, लेकिन अतीक की ये बातें अस्पताल में चर्चा का विषय थीं।

जब अतीक और अशरफ की डेड बॉडी को लाया गया तो अस्पताल में चार डॉक्टर्स के पैनल ने ये पोस्टमार्टम किए,अतीक के एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी अस्पताल लाया गया। उस वक्त पोस्टमार्टम रूम की जिम्मेदारी मुन्ना पाल नाम के एक कर्मचारी की थी। अतीक ने मुन्ना को अपने पास बुलाया, उसके हाथ में कुछ पैसे रखे और फिर उससे कहा कि उसके करीबी का पोस्टमार्टम ठीक से करे। इसके बाद अचानक अतीक अहमद के दिमाग में पता नहीं क्या आया। उसने मुन्ना से कहा कि मेरी डेड बॉडी को भी एक दिन इसी अस्पताल में लाया जाएगा। तब पोस्टमार्टम के वक्त मेरी खोपड़ी में छैनी-हथौड़ी जरा ध्यान से चलाना। जबकि दो कर्मचारी अनिल और बच्चा भी शामिल थे।

अतीक अहमद और अशरफ की हत्या शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे हुई।अतीक के एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी अस्पताल लाया गया। उस वक्त पोस्टमार्टम रूम की जिम्मेदारी मुन्ना पाल नाम के एक कर्मचारी की थी। अतीक ने मुन्ना को अपने पास बुलाया, उसके हाथ में कुछ पैसे रखे और फिर उससे कहा कि उसके करीबी का पोस्टमार्टम ठीक से करे। इसके बाद अचानक अतीक अहमद के दिमाग में पता नहीं क्या आया। उसने मुन्ना से कहा कि मेरी डेड बॉडी को भी एक दिन इसी अस्पताल में लाया जाएगा। तब पोस्टमार्टम के वक्त मेरी खोपड़ी में छैनी-हथौड़ी जरा ध्यान से चलाना। दोनों धूमनगंज थाना पुलिस कस्टडी में मेडिकल कराने काल्विन अस्पताल पहुंचे थे।

इमरजेंसी के बाहर वो पत्रकारों से बात कर रहे थे, तभी तीन हमलावरों ने उन्हें गोलियों से भून डाला था। मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। अगले दिन रविवार को दोनों का पोस्टमार्टम हुआ था। सोमवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई थी जिसमें पता चला था कि अतीक को 8 गोलियां,अतीक के एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी अस्पताल लाया गया। उस वक्त पोस्टमार्टम रूम की जिम्मेदारी मुन्ना पाल नाम के एक कर्मचारी की थी। अतीक ने मुन्ना को अपने पास बुलाया, उसके हाथ में कुछ पैसे रखे और फिर उससे कहा कि उसके करीबी का पोस्टमार्टम ठीक से करे। इसके बाद अचानक अतीक अहमद के दिमाग में पता नहीं क्या आया। उसने मुन्ना से कहा कि मेरी डेड बॉडी को भी एक दिन इसी अस्पताल में लाया जाएगा। तब पोस्टमार्टम के वक्त मेरी खोपड़ी में छैनी-हथौड़ी जरा ध्यान से चलाना। जबकि अशरफ को 6 गोलियां लगी थी। रविवार के दिन ही दोनों के शवों को कसारी-मसारी के कब्रिस्तान में दफना भी दिया गया था। इसके दो दिन पहले ही इसी कब्रिस्तान में अतीक अहमद के बेटे असद को दफनाया गया था। अतीक के माता-पिता को भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया था।