एक ऐसा समय जब चांद से थोड़ी ही दूर चंद्रयान – 2 था! आधी रात बीच चुकी थी। लेकिन हिंदुस्तान में सांसें थामकर करोड़ों आंखें टीवी या फिर मोबाइल स्क्रीन से चिपकी हुई थीं। पूरा देश कामयाबी के लिए दुआएं कर रहा था। टीवी चैनल लाइव दिखा रहे थे। न्यूज वेबसाइट्स पल-पल का अपडेट दे रही थीं। सोशल मीडिया पर भी गजब का माहौल था। ये कोई हिंदुस्तान-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच नहीं था, न ही किसी वर्ल्ड कप का फाइनल था। भारत इतिहास रचने वाला था। पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर किसी देश का लैंडर कदम रखने वाला था। 47 दिनों में 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके अपना चंद्रयान चांद को बस चूमने वाला था। लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग होने जा रही थी और उसी के भीतर था रोवर प्रज्ञान। तारीख थी 6 सितंबर 2019 की। बेंगलुरु में इसरो का मिशन कंट्रोल रूम। वैज्ञानिक अपने-अपने कंप्यूटर में लैंडर विक्रम की चाल पर नजरें गड़ाए हुए थे। सामने विशाल स्क्रीन पर विक्रम की ट्रैजेक्टरी के ग्राफ और जरूरी डेटा दिख रहे हैं। कितनी रफ्तार है लैंडर विक्रम की? चांद की सतह से कितना दूर है? लैंडिंग में कितना वक्त लगेगा? इन रियल टाइम डेटा को टीवी चैनल लाइव दिखा रहे थे, कॉमेंट्री के साथ। रात के 1 बजकर 38 मिनट हो चुके थे। इसरो के मिशन कंट्रोल रूम में वैज्ञानिकों के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था। अचानक कंट्रोल रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहां मौजूद सभी के चेहरे चमक उठे। विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। इसी के साथ शुरू हो चुका था दहशत के उन 15 मिनट का काउंटडाउन, जिसके बारे में इसरो के तत्कालीन चीफ के. सिवन पहले ही आगाह कर चुके थे। वो नाजुक 15 मिनट जो विक्रम के चांद की सतह पर उतरने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण थे।
लैंडर विक्रम का जब रफ ब्रेकिंग फेज शुरू हुआ तब उसकी रफ्तार 1680 मीटर प्रति सेकंड थी। इसे लगातार कम किया जाना था। 3 मिनट के भीतर ही रफ्तार घटकर 360 मीटर प्रति सेकंड हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी टकटकी लगाए स्क्रीन पर नजरें गड़ाए हुए थे। बीच-बीच में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक उन्हें ब्रीफ कर रहे थे। एक-एक पल महत्वपूर्ण था। तभी माइक पर आवाज गूंजती है, ‘लैंडर की रफ्तार अब 50 प्रतिशत तक कम हो चुकी है।…सब कुछ वैसे ही चल रहा है जैसा तय था।’ एक बजकर 48 मिनट पर कंट्रोल रूम फिर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पहले से भी ज्यादा उत्साह। रफ ब्रेकिंग फेज पूरा हो चुका था और अपना विक्रम चांद की सतह से महज 7.4 किलोमीटर दूर था।
रफ ब्रेकिंग फेज के बाद शुरू हुआ दूसरा चरण यानी फाइन ब्रेकिंग फेज। अब लैंडर की रफ्तार घटकर 96 मीटर प्रति सेकंड हो चुकी थी। समय हुआ था 1 बजकर 51 मिनट का। लैंडर चांद की सतह के एकदम करीब था। 1 बजकर 53 मिनट हो चुके थे और लैंडर के चांद से महज 600 से 700 मीटर दूर रहने का अनुमान था। अगले एक मिनट में स्क्रीन पर दिख रहा था कि विक्रम चांद की सतह से महज 300 मीटर दूर है। इसरो के मिशन कंट्रोल रूम में एकदम सन्नाटा था। चेहरों पर तनाव बढ़ रहा था। कोई नाखून चबा रहा था कोई हाथों को मल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तनाव में थे। गाल एक हथेली पर टिका हुआ था और निगाह टिकी थी स्क्रीन पर। दूसरी तरफ देशभर में टीवी और मोबाइल स्क्रीन से चिपके लोगों में उत्सुकता बढ़ रही थी। अब कोई ऐलान होगा, आज तो मुट्ठी में आसमान होगा। कैमरा दिखा रहा है कि एक वैज्ञानिक पीएम मोदी को कुछ ब्रीफ करते दिख रहे हैं। तनाव चरम पर था। कुछ वैज्ञानिक कुर्सी पर बैठे-बैठे चेहरे को दोनों हाथों से ढके हुए दिखने लगे।
एक बजकर 57 मिनट हो चुके थे। तभी इसरो चीफ के सिवन अपनी सीट से उठते हैं। आगे बढ़कर वह कुछ वैज्ञानिकों से कुछ चर्चा करने लगते हैं। दहशत के 15 मिनट के ये आखिरी कुछ क्षण थे। तभी सिवन धीरे-धीरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ बढ़ते हैं। चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। वह पीएम मोदी को कुछ बताते हैं और फिर से अपनी सीट की तरफ लौट जाते हैं। कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिर हुआ क्या है? तनाव और सन्नाटा के वे क्षण किसी अनहोनी की आशंका की तरफ इशारा कर रहे थे। तभी माइक पर सिवन की आवाज गूंजती है। शायद ये उनका सबसे मुश्किल अनाउंसमेंट था। घोषणा ये कि लैंडर विक्रम जब चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था तब ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया। डेटा को एनाइलाइज किया जा रहा है।
इसके साथ ही करोड़ों दिल बैठ गए। चांद को छूने की हसरत अधूरी रह गई। इतने पास जाकर भी हम चांद को नहीं छू पाए। तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों के बीच पहुंचते हैं। उनका हौसला बढ़ाते हैं कि ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है जो आपने हासिल किया है। देश आप पर गर्व करता है। उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा,’मेरी तरफ से आप लोगों को बहुत बधाई। आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी। मैं पूरी तरह आपके साथ हूं, हिम्मत के साथ चलें। और आपके ही पुरुषार्थ से फिर से देश खुशी मनाने लगेगा।’ चंद्रयान-2 के लैंडर की क्रैश लैंडिंग से इसरो चीफ के सिवन सदमे में थे। वर्षों की मेहनत पूरी तरह कामयाब होते-होते रह गई। सुबह पीएम मोदी दोबारा इसरो के कंट्रोल रूम पहुंचते हैं और निराश हो चुके वैज्ञानिकों में जोश भरते हैं कि रुकावटों से हमारा हौसला और मजबूत हुआ है। जब प्रधानमंत्री जाने लगे तो उन्हें छोड़ने के लिए के सिवन उनकी कार तक पहुंचे लेकिन अचानक वह फूट-फूटकर रोने लगे। प्रधानमंत्री ने अपने इस वैज्ञानिक को सीने से लगा लिया। वो मंजर बहुत भावुक था।
तब प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा था कि उनके पुरुषार्थ से देश फिर खुशी मनाने लगेगा। अब 4 साल बाद फिर वो मौका आने वाला है। पिछली असफलता को पीछे छोड़ बुलंद हौसले के साथ भारत चांद को छूने को बेताब है। अपना चंद्रयान-3 चांद को चूमने के लिए तैयार है। 14 जुलाई को लॉन्च होने जा रहा चंद्रयान 3 ‘दहशत के उन 15 मिनट’ को जरूर मात देगा। इसरो की महान उपलब्धियों के मुकुट में एक और रत्न जुड़ने वाला है। के सिवन की वो सिसकियों चांद को फतह करने की जिद बन गई और उस लड़खड़ाहट के बाद इसरो फिर चांद को मुट्ठी में करने को तैयार है।