Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsजब चीनी मीडिया ने भारत की तारीफ की, तो क्यों आग बबूला...

जब चीनी मीडिया ने भारत की तारीफ की, तो क्यों आग बबूला हुई कांग्रेस?

हाल ही में चीनी मीडिया ने भारत की तारीफ की थी जिसके बाद कांग्रेस आग बबूला हो गई है! सीमा विवाद के चलते भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कई मंचों से यह बात कुबूल चुके हैं। लेकिन नए साल में पहली बार पड़ोसी मुल्क के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत के आर्थिक और विदेश नीति की तारीफ की है। लेकिन, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया। चीनी मीडिया में मोदी सरकार की तारीफ से कांग्रेस आग-बबूला है। उसने अपनी इस नाराजगी के 5 कारण भी गिनाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा कि मोदी सरकार को तय कर लेना चाहिए कि उनकी चीनी नीति क्या है? ‘न कोई हमारी सीमा में घुसा’ वाली मोदी जी की चीन को क्लीन चिट है या उन्हीं के MEA वाली ‘सामान्य नहीं’ है, जिसमें उन्होंने ऐप बैन के अलावा कुछ नहीं किया। लद्दाख समेत, पूरा देश स्पष्ट रूप से जानना चाहता है।  प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून 2020 ने एक बयान दिया था। पीएम ने कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुसा आया है, न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में हैं। इस बयान ने चीनियों को क्लीन चिट दे दी थी। यह बयान हमारे सैनिकों के लिए एक भारी अपमान के अलावा, इस झूठ ने 18 राउंड की कोर कमांडर स्तर की वार्ताओं में हमारे रुख को काफी नुकसान पहुंचाया है और मई 2020 से 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन के नियंत्रण को जारी रखने मे भी मदद की है। प्रधानमंत्री के बयान के विपरीत, लेह के पुलिस अधीक्षक ने एक पेपर प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि भारत अब 2020 से पहले गश्त लगाने वाले 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट तक नहीं पहुंच सकता। देपसांग और देमचोक जैसे प्रमुख क्षेत्र अभी भी भारतीय सैनिकों के लिए बंद हैं। गोरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग्स, वहां भारत ने आक्रामकता के लाभ के लिए बफर जोन छोड़ दिए हैं। यही नहीं भारत की अब परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के स्मारक तक पहुंच भी उपलब्ध नहीं है। कोई आश्चर्य नहीं कि चीनी प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं।

कांग्रेस ने दूसरा कारण गिनाते हुए कहा कि चौंकाने वाली बात ये है कि सरकार ने लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा जमाए बैठे चीनी सैनिकों के साथ भी रूस में संयुक्त सैन्य अभ्यास करवाने की मंजूरी दे दी। 1-7 दिसंबर को, 7/8 गोरखा राइफल्स के भारतीय जवानों ने रूस के वोस्तोक 2022 अभ्यास में भाग लिया, जिसमें चीन भी शामिल था। क्या हमारे 20 बहादुर सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान इतनी आसानी से भुला दिया गया? कांग्रेस ने लिखा कि सरकार पर आरोप है कि उन्होंने चीन को भारत के आसपास के देशों मालदीव, भूटान और श्रीलंका में अपना पैर जमाने का मौका दिया है। मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ु ने सीधे तौर पर भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग की है, जो सीमा सुरक्षा के लिए बड़ा झटका है। 2017 में जीत का दावा करने के बावजूद डोकलाम इलाके में चीन का सैन्य बिल्डअप जारी है, जो भारत के रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर को ही चुनौती दे रहा है। भूटान के प्रधानमंत्री कहते हैं कि वहां कोई घुसपैठ नहीं हुई, लेकिन भारत को चीन की गतिविधियों पर चिंता है। श्रीलंका में भी, जहाँ हाल के सरकार का ज्यादा ध्यान सिर्फ अपने खास लोगों को ठेके दिलवाना है, वहाँ चीन ने रणनीतिक हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल के लिए लीज पर ले लिया है, जो एक बड़ा झटका है। यहाँ चीनी जासूसी के जहाज भी आते-जाते रहते हैं। ये सब देखकर चीन तो खुश होगा ही, पर भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

कांग्रेस ने चौथा कारण बताते हुए कहा कि सरकार पर आरोप है कि ‘मेक इन इंडिया’ के बड़े-बड़े वादों के बावजूद चीन से आयात तेजी से बढ़ा है, जिसने 2022 और 2023 में $200 बिलियन से अधिक का रिकॉर्ड ट्रेड डेफिसिट व्यापार घाटा पैदा किया है। हालत यह है कि सरकार मोबाइल फोन के कलपुर्जे जैसे छोटे-मोटे सामानों को चीन से आयात कर, उस पर थोड़ा सा काम कर ‘आत्मनिर्भर भारत’ का ढोल पीट रही है। वही सरकार अब चीन के मजदूरों के लिए वीजा पाने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने की कोशिश कर रही है। जाहिर है, मोदी सरकार के राज में चीन के आर्थिक हित अच्छे से सुरक्षित हैं।

कांग्रेस के पांचवे कराण में निशाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर था। कांग्रेस का कहना है कि 2018 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया था कि चीन से लड़ने के लिए तीन दिन में आरएसएस फौज खड़ी कर देगा, जबकि सेना को इसके लिए 6-7 महीने लगेंगे। 4 साल बाद भी सीमा पर किसी लामबंदी का कोई आसार नहीं हैं। उल्टा दिसंबर 2023 में आरएसएस ने अपने नागपुर मुख्यालय में चीनी राजनयिकों को मेहमान बनाया। क्यों गए ? किस लिए गए? क्या बातचीत हुई ?

कांग्रेस ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने चीन की घुसपैठ के जवाब में अपनी गर्दन रेत में दबा ली, उसकी सेना के साथ सहयोग किया, उसे भारत के पड़ोस में प्रभाव हासिल करने दिया, चीन पर भारत की आर्थिक निर्भरता बढ़ाई और आरएसएस को अपने राजनयिकों को सम्मानित करने की अनुमति दी। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हैं। लेकिन जो बात वास्तव में असामान्य है, वह है प्रधानमंत्री की ओर से चीनी हितों को स्वीकार करना। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीनी राज्य मीडिया के पास उनके लिए केवल प्रशंसा के शब्द हैं।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments