Sunday, September 8, 2024
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जब एक बच्चे के खातिर रोक लिया गया तलाक!

एक ऐसी घटना जिसमें एक बच्चे के खातिर तलाक रोक लिया गया! बतौर पति-पत्नी अलग होने की अर्जी लगा चुके थे। आपसी तनाव ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। लेकिन पत्नी की एक तमन्ना के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। यही नहीं, शीर्ष अदालत ने महिला की तमन्ना के लिए तलाक की कार्यवाही पर ही रोक लगा दी। दरअसल, ने ‘इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन’ प्रक्रिया के जरिए से गर्भधारण करने के लिए अपने पति से सहयोग मांगा है। इसके लिए वह पति का स्पर्म चाहती है। महिला ने अपने पति द्वारा भोपाल में दाखिल तलाक के लंबित मामले को लखनऊ स्थानांतरित करने का आग्रह करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है, जहां वह वर्तमान में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। तलाक के मामले को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के आग्रह वाली याचिका पर जस्टिस पंकज मित्तल सुनवाई के लिए सहमत हो गए। पीठ ने एक दिसंबर के अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों के बीच तलाक की याचिका परिवार अदालत, भोपाल में लंबित है। याचिकाकर्ता पत्नी लखनऊ में रहती है और चाहती है कि मामले को लखनऊ स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने इसका बाद पति को नोटिस जारी करते हुए इस मसले पर उससे 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

पीठ ने कहा कि इस बीच भोपाल में चल रहे तलाक के मामले पर रोक रहेगी। कोर्ट ने कहा कि परिवार अदालत के प्रमुख न्यायाधीश की कोर्ट में इस मामले पर अगले आदेश तक रोक रहेगी। याचिका में 44 वर्षीय महिला ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2017 में शादी की थी और बार-बार अनुरोध के बावजूद, उसके पति ने पिता बनने में देरी के लिए अपनी बेरोजगारी का बहाना बनाया था। महिला ने कहा कि लगातार अनुरोध के बाद, इस साल मार्च में उसके IVF के जरिए बच्चा पैदा करने के लिए उसका पति सहमत हो गया। इसके बाद दंपति ने विभिन्न चिकित्सा परीक्षण कराए और एक डॉक्टर की देखरेख में आवश्यक दवाएं लेनी शुरू कर दीं। वकील ऐश्वर्य पाठक के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि हालांकि, याचिकाकर्ता को तब झटका लगा जब पति ने अचानक तलाक के लिए मामला दाखिल कर दिया…जबकि आईवीएफ की प्रक्रिया जारी थी। उसने याचिकाकर्ता के साथ सभी संपर्क तोड़ दिए, उसकी कॉल ब्लॉक कर दीं और उसे भावनात्मक रूप से परेशान कर दिया।

लंबित तलाक के मामले को लखनऊ स्थानांतरित करने का आग्रह करते हुए याचिका में कहा गया है कि महिला को उसके ससुराल के घर से निकाल दिया गया तथा उसे भोपाल में अपनी पैरवी करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह उत्तर प्रदेश की राजधानी में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। याचिका के साथ, उसने एक आवेदन भी दायर किया है जिसमें उसने अपने पति को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है कि वह IVF प्रक्रिया में याचिकाकर्ता और चिकित्सकों के साथ सहयोग करे तथा जब भी जरूरत हो या IVF चिकित्सकों द्वारा सलाह दी जाए तो स्पर्म और अन्य सहयोग प्रदान करे।

याचिका में कहा गया है कि शादी के बाद पुरुष ने अपनी बेरोजगारी का खुलासा किया और महिला से अस्थायी रूप से अपने माता-पिता के साथ रहने का अनुरोध किया। महिला ने याचिका में कहा है कि उसने मुझे आश्वासन दिया कि जब उसे स्थायी रोजगार मिलेगा तो वह अपने बच्चे का पिता बनेगा। याचिकाकर्ता ने कहा कि बाद में उसे रोजगार मिल गया। याचिका में कहा गया है कि बड़े अनुनय-विनय के बाद पति, पत्नी द्वारा अपने बच्चे के जन्म देने पर सहमत हो गया।उसने एक आवेदन भी दायर किया है जिसमें उसने अपने पति को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है कि वह IVF प्रक्रिया में याचिकाकर्ता और चिकित्सकों के साथ सहयोग करे तथा जब भी जरूरत हो या IVF चिकित्सकों द्वारा सलाह दी जाए तो स्पर्म और अन्य सहयोग प्रदान करे। पक्षों के बीच तलाक की याचिका परिवार अदालत, भोपाल में लंबित है। याचिकाकर्ता पत्नी लखनऊ में रहती है और चाहती है कि मामले को लखनऊ स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने इसका बाद पति को नोटिस जारी करते हुए इस मसले पर उससे 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।क्योंकि याचिकाकर्ता की उम्र लगभग 44 वर्ष है और वह रजोनिवृत्ति के कगार पर है, चिकित्सक ने उन्हें 45/46 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले आईवीएफ प्रक्रिया द्वारा बच्चा पैदा करने की सलाह दी। दोनों इस पर सहमत हो गए और IVF प्रक्रिया से गुजरने के लिए इलाज कराना शुरू कर दिया।

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