Friday, November 22, 2024
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जब कुदरत ने ही सिखा दिया इंसान को उसकी करतूतों का सबक!

हाल ही में कुदरत ने ही इंसान को उसकी करतूतों का सबक सिखा दिया! चप्पलें, प्लास्टिक की खाली बोतलें, पन्नी, खाने-पीने के सामान के खाली पैकेट, कपड़े, लकड़ी के टुकड़े और भी बहुत कुछ… नदी ने हमें हमारा सामान वापस कर दिया है। जी हां, आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान ने एक वीडियो शेयर किया है जो हिमाचल प्रदेश बाढ़ का माना जा रहा है। वीडियो एक पुल का है जो कूड़े-कचरे से भरा दिखता है। 29 सेकेंड का वीडियो देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे नाराज उफनाई नदी ने पुल के ऊपर तक हिलोरें मारकर हम इंसानों का फैलाया कचरा हमें वापस कर दिया है। लाखों लोग इस वीडियो को देख चुके हैं। कुछ कचरा तो घर के अवशेष लगते हैं। इस वीडियो को जिसने रिकॉर्ड किया, वह कहता है, ‘ओह भाई साहब, मौत अगर देखनी हो तो यहां देखो।’ पुल के नीचे नदी के पानी का शोर डराने वाला होता है। आजकल पहाड़ी राज्यों में ट्रेंड्स बनता जा रहा है कि आसपास के मैदानी इलाकों के लोग टूरिज्म के नाम पर बेरोकटोक गंदगी फैलाते हैं। दरअसल पहाड़ हो या जंगल, वहां के स्थानीय निवासियों को उसकी अहमियत ज्यादा पता होती है। शहर से गए लोग सिर्फ आनंद के लिए वहां पहुंचते हैं। पर्यटन अपनी जगह है लेकिन इसके नाम पर संसाधनों के साथ खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती है। यह वीडियो यही संदेश दे रहा है।

कई लोगों ने इस वीडियो को देखने के बाद लिखा, प्रकृति-1 और इंसान- 0 ही रिजल्ट आखिर में होता है। भीम ने लिखा, ‘तेरा तुझको अर्पण.कई लोगों ने इस वीडियो को देखने के बाद लिखा, प्रकृति-1 और इंसान- 0 ही रिजल्ट आखिर में होता है। भीम ने लिखा, ‘तेरा तुझको अर्पण… वाले अंदाज में गंदगी वापस लौटा दी।’ अजय सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुझे हैरानी हो रही है कि नदी अपने साथ कितना कूड़ा लेकर चलने को मजबूर होती है। एक यूजर ने लिखा कि ये कई किलो है। मंजूनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि हर बार बाढ़ के बाद ऐसा नजारा देखने को मिलता है फिर भी कुछ नहीं बदलता है। हम कूड़े का ठीक तरह से निपटारा नहीं करते। लिज मैथ्यू ने कहा कि सबक सीखने के लिए हमें और कितनी आपदा की जरूरत है?. वाले अंदाज में गंदगी वापस लौटा दी।’ अजय सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुझे हैरानी हो रही है कि नदी अपने साथ कितना कूड़ा लेकर चलने को मजबूर होती है। एक यूजर ने लिखा कि ये कई किलो है। मंजूनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि हर बार बाढ़ के बाद ऐसा नजारा देखने को मिलता है फिर भी कुछ नहीं बदलता है। हम कूड़े का ठीक तरह से निपटारा नहीं करते। लिज मैथ्यू ने कहा कि सबक सीखने के लिए हमें और कितनी आपदा की जरूरत है?

हिमाचल में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते अलग-अलग राज्यों के सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। वहां दुर्घटनाओं में 31 लोगों की मौत हुई है। 1300 सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ है और 40 बड़े पुलों को नुकसान पहुंचा है। कुल्लू के सैंज इलाके में ही 40 दुकानें और 30 मकान बह गए। सरकारी स्कूलों को 15 जुलाई तक बंद रखा गया है।

बता दे कि जिस प्रकार से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है उससे लगता है कि आने वाले समय में तापमान ज्यादा बढ़ेगा तथा मौसम चक्र भी बदल जाएगा। प्रकृति ने मानव को तमाम ऐसी वस्तुएं प्रदान की हैं जिनका उपयोग वह अपने लाभ के लिए करता है। तमाम पेड़-पौधे, जीव-जंतु ऐसे हैं को जो किसी न किसी रूप में मानव जीवन को फायदा पहुंचाते हैं। बता दें कि बुधवार को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर लोगों को प्राकृतिक स्त्रोतों को बचाने की संकल्प लेना चाहिए। वर्तमान में इंसान ने अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए आधुनिक उपकरणों का प्रयोग शुरू कर दिया है। जिससे जीवन शैली तो सरल हुई है परंतु कहीं न कहीं वह मानव जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आबादी भी तेजी के साथ बढ़ रही है। जिससे नए शहर व कस्बों का क्षेत्रफल बढ़ रहा है तथा जंगल घट रहे हैं। पेड़ों का कटान होने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है तथा ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है। यही कारण है कि तमाम जीव-जंतु व वनस्पति विलुप्त हो रही हैं। और यही से इंसानों का पतन शुरू हो चुका है!

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