एक समय ऐसा था जब संसद में शरद यादव ने विवादित बयान दिया था! वरिष्ठ समाजवादी नेता और JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का पिछले गुरुवार को 75 साल की उम्र में गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शरद यादव की भारतीय राजनीति में एक अलग जगह थी। भारतीय संसद में जब वह बोलते थे तो उनकी बातों को लोग गंभीरता के साथ सुनते थे। ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण पर संसद के भीतर पुरजोर तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार एक वक्त दूसरे कार्यकाल में महिला आरक्षण को वास्तविकता बनाने के करीब पहुंच गई थी लेकिन शरद यादव और कुछ दूसरे दलों के तीखे विरोध के चलते यह हकीकत नहीं बन सका। लोकसभा में बोलते हुए शरद यादव ने तो इतना कह दिया कि बिना दलितों पिछडों के इसे पास किया गया तो जहर खाकर जान दे दूंगा। इससे पहले इसी मुद्दे पर उनका 1997 में दिया गया भाषण भी काफी चर्चित रहा जिसमें उन्होंने कहा था कि परकटी महिलाएं( छोटे बालों वाली महिला)। जिसको लेकर काफी बवाल भी मचा था। इसके कई साल बाद जब दोबारा इस बिल को पास कराने की कोशिश हुई तब शरद यादव का तेवर और भी अधिक आक्रामक था। बात जून 2009 की बात है जब शरद यादव ने लोकसभा में जहर खाने की धमकी दी। तत्कालीन जनता दल यूनाइटेड (JDU)के अध्यक्ष शरद यादव ने महिला आरक्षण बिल को लेकर यह धमकी दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने यूपीए 2 के कार्यकाल के दौरान 100 दिनों के एजेंडे के बारे में कहा था जिसमें महिला आरक्षण बिल पारित कराए जाने की बात थी। लोकसभा में बोलते हुए शरद यादव ने कहा कि सरकार ने सौ दिन के भीतर महिला आरक्षण बिल पास कराने का ऐलान किया है लेकिन मौजूदा स्वरूप उनकी पार्टी को मंजूर नहीं है। शरद यादव ने कहा कि संसद में भले ही उनकी संख्या कम हो लेकिन जिस तरीके से अकेले सुकरात ने झुकने की बजाय जहर खाना स्वीकार किया था उसी प्रकार वह भी सदन में जहर खा लेंगे लेकिन महिला आरक्षण बिल को कभी पास नहीं होने देंगे।
शरद यादव ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि जब तक कोटे के भीतर कोटा सिस्टम लागू नहीं किया जाता तब तक अपना इसे वह समर्थन नहीं देंगे। कांग्रेस इस बिल को पास कराने के बेहद करीब पहुंच गई थी लेकिन संसद में यादव तिकड़ी लालू, मुलायम और शरद यादव के विरोध के चलते कदम पीछे खींचने को मजबूर हुई। तीनों ही नेताओं ने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों के लिए कोटा के भीतर कोटा की मांग की।
यह पहली बार नहीं था जब शरद यादव महिला आरक्षण पर ऐसे तेवर दिखा रहे थे। केंद्र में जब एचडी देवेगौड़ा की सरकार थी और उनके नेतृत्व वाली सरकार ने पहली बार इसे 1996 में इसे पेश किया। इस प्रस्ताव को कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की नेता गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाले संसदीय पैनल के पास भेजा गया। एक साल बाद इस विधेयक पर शरद यादव का विरोध सामने आया। उस वक्त वह बिहार के मधेपुरा से लोकसभा सांसद थे। इस विधेयक को लोकसभा में चर्चा के लिए रखा गया था। 16 मई 1997 का वह दिन जब शरद यादव ने लोकसभा में कहा, कौन महिला है, कौन नहीं है, केवल बाल कटी महिला भर नहीं रहने देंगे। उनका यह तंज था कि छोटे बालों वाली महिलाएं को विशेषाधिकार मिल जाएगा।
विधेयक पारित होने पर ऐसी महिलाएं विधायिका पर हावी हो जाएंगी। बिल के संदर्भ में उनका परकटी महिलाएं (छोटे बालों वाली महिलाएं) वाला तंज उस वक्त सदन में काफी सुर्खियों में रहा।इस प्रस्ताव को कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की नेता गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाले संसदीय पैनल के पास भेजा गया। एक साल बाद इस विधेयक पर शरद यादव का विरोध सामने आया। उस वक्त वह बिहार के मधेपुरा से लोकसभा सांसद थे। इस विधेयक को लोकसभा में चर्चा के लिए रखा गया था। 16 मई 1997 का वह दिन जब शरद यादव ने लोकसभा में कहा, कौन महिला है, कौन नहीं है, केवल बाल कटी महिला भर नहीं रहने देंगे। उनका यह तंज था कि छोटे बालों वाली महिलाएं को विशेषाधिकार मिल जाएगा। महिला आरक्षण विधेयक का संसद में विरोध करते हुए शरद यादव ने कहा था कि इस विधेयक के जरिए क्या परकटी महिलाओं को सदन में लाना चाहते हैं। परकटी महिलाएं हमारी ग्रामीण महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी। हालांकि उनके इस बयान का काफी विरोध भी हुआ। कई महिला संगठनों ने तीखे स्वर में उनके भाषण पर आपत्ति जताई जिसके बाद शरद यादव को माफी भी मांगनी पड़ी।