एक ऐसा समय जो 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का शिलापूजन हुआ था! राम सरकार फिर से अपने भव्य महल में विराजमान होने जा रहे हैं। वह राम जो चराचर जगत के हर कण- कण में विद्यमान हैं। वह राम जो सनातन धर्म में आस्था रखने वाले हरेक व्यक्ति के जीवन से मृत्यु तक में साथ होते हैं। जब भी परिवार में पुत्र का आगमन होता है, लोग राम- सा बेटे की अभिलाषा रखते हैं। लक्ष्मण से भाई की कामना करते हैं। महिलाओं में सीता से धैर्य और संघर्ष की कामना की जाती है। उस प्रभु श्रीराम का अपने धाम में एक स्थायी निवास तक नहीं था। मुगल आक्रांता ने सोलहवीं शताब्दी में जिस मंदिर को ध्वस्त करवाया। वहां मस्जिद का निर्माण करा दिया। वहां 21वीं सदी के लगभग उसी कालखंड में मेरे प्रभु श्रीराम का भव्य महल बनकर तैयार है। भगवान श्रीराम जब इस महल में विराजमान होंगे। उनकी प्राण प्रतिष्ठा होगी। मेरे हिसाब से यह उनके 500 वर्षों के वनवास से वापसी का एक मौका होगा। यह मौका आज की पीढ़ी देख रही है। यह उनका सौभाग्य है। वरना, मैं तो अपनी इसी धरती पर अपने आराध्य के लिए संघर्ष करते, मरते, खपते कई पीढ़ियों को देखा है। आज उन तमाम लोगों को याद करने का मौका है, जो मंदिर के लिए आंदोलन के संघर्ष की आवाज बुलंद करते रहे। 1528 में मंदिर बचाने के लिए संघर्ष करने वाले और क्रूर मुगलों के तलवार का शिकार बनने वाले साधु- संत और सनातन धर्मावलंबियों की शहादत को याद करती हूं। मंदिर के लिए 1853 में पहले संघर्ष से लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संघर्ष करने वाले तमाम लोगों को याद करती हूं। जो खप गए, आज बैकुंठ धाम से जब इस मंदिर को देख रहे होंगे, निश्चित तौर पर उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी। मैं अयोध्या मंदिर के पुनर्निर्माण की कहानी आज सुनाने जा रही हूं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को आज के ऐतिहासिक दिन देखने का मौका हमें दिया है। लेकिन, क्या यह सब इतना आसान था। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। हिंदुओं ने हाई कोर्ट के आदेश को बेमन से स्वीकार तो कर लिया था। लेकिन, सुन्नी वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट का फैसला रास नहीं आया। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू करने का निर्णय लिया। अब यहां पर दिक्कत फंसी दस्तावेतों की। सुप्रीम कोर्ट में सारे दस्तावेज अंग्रेजी में अनुवाद होकर जमा होने थे। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करती। यूपी की पहले मायावती और वर्ष 2012 में बनी अखिलेश यादव सरकार ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार इस विवाद में उलझने के मूड में नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट में बस तारीखें आगे बढ़ रही थी। इसी बीच देश की राजनीति में वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की एंट्री हुई। लोकसभा चुनाव 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला। भगवान राम के प्रदेश यूपी की 80 में से 73 सीटों पर एनडीए को जीत मिली। भाजपा 71 सीटों पर जीती थी। इसके बाद राम मंदिर का मुद्दा गरमाना शुरू हुआ। लेकिन, प्रदेश में तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। दस्तावेजों के ट्रांसलेशन का मुद्दा हल नहीं हो रहा था। वर्ष 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनी। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हुए। राम मंदिर मुददे ने कोर्ट में इसके बाद जोर पकड़ा। कोर्ट ने जिन कागजातों की मांग की, उसे उपलब्ध कराया गया। जनवरी 2019 में 30 हजार पन्नों के ट्रांसलेशन का मामला उठा।
दरअसल, कोर्ट में कुल 13,886 पेज के दस्तावेज पेश किए गए। इसके अलावा 257 रिलेटेड डॉक्यूमेंट और वीडियो टेप पेश किए गए। साथ ही, हाईकोर्ट के फैसले के 4304 प्रिंटेड और 8533 टाइप किए पन्ने भी सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए जाने थे। सुप्रीम कोर्ट ने तब 29 जनवरी 2019 तक ट्रांसलेशन की प्रक्रिया को पूरा कराने का आदेश दिया था। अयोध्या राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े मूल दस्तावेज अरबी, फारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरमुखी में लिखे हुए हैं। योगी सरकार ने इसका ट्रांसलेशन कराकर कोर्ट के सामने मुद्दे को पेश कर दिया। तमाम दस्तावेजों के अध्ययन और 40 दिनों की नियमित सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय सामने आया। कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ का पूरा भूखंड रामलला विराजमान को सौंपा। केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण के आदेश दिए गए।
अयोध्या में भगवान श्रीरामलला के मंदिर के निर्माण के साथ तीर्थ क्षेत्र की सूरत बदलने का भी प्रयास किया गया है। आज अयोध्या की सड़कों पर चलते हुए आपको त्रेता युग काल सा अहसास होगा। आधुनिक सुविधाओं से इस शहर को लैस किया गया, लेकिन पौराणिकता के साथ कोई समझौता नहीं किया गया। 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के साथ ही योगी आदित्यनाथ अयोध्या की योजना पर जुटे। सीएम योगी ने अब तक 80 माह की सरकार में 47 अहम फैसले लिए। अयोध्या के विकास की योजना पर 31 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। बजट की कमी रामनगरी को नहीं होने दी गई। इसका परिणाम है कि अयोध्या में आज वर्ल्ड क्लास इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनकर तैयार है। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की आभा देखते ही बनती है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को जोड़ने वाले चार रास्तों को शानदार बनाया गया।
सीएम योगी ने अयोध्या को फंड देने के साथ- साथ समय भी दिया। अब तक वे 64 बार अयोध्या की यात्रा कर चुके हैं। सीएम योगी रविवार की शाम भी अयोध्या पहुंचे हैं। वे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने आए हैं। लगातार योजनाओं के स्थल निरीक्षण के कारण इसकी गति कभी कम नहीं हो पाई। सीएम योगी ने सरकार बनने के बाद दिवाली पर दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन शुरू किया। आज अयोध्या दीपोत्सव ग्लोबल ब्रांड बन चुका है।