Wednesday, January 15, 2025
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जब विधानसभा में बिहार के मुख्यमंत्री को दिखाया था नीचा!

एक समय ऐसा भी था जो विधानसभा में बिहार के मुख्यमंत्री को नीचा दिखाया गया था! बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर और उनके समाजवादी अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। कर्पूरी ठाकुर का जीवन उनकी सरलता, सैद्धांतिक प्रतिबद्धता और उत्तरदायित्वों के प्रति उनकी ईमानदारी जैसे पहलुओं को आज भी याद करने की जरूरत है। उनकी जयंती से ठीक पहले एनबीटी ऑनलाइन उनके राजनीतिक जीवन के कालखंडों की पड़ताल कर रहा है। उसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने, तो बिहार के अंदर क्या स्थिति थी। अपराध अचानक बढ़ गये। अवैध हथियारों का जखीरा जमा हो गया। एक खास वर्ग उन्हें कुर्सी पर देखना कतई पसंद नहीं करने लगा। उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। विधानसभा की बहस में सबसे ज्यादा प्रश्नों के जवाब वे खुद देते रहे। विधानसभा में उन्हें नीचा दिखाने और कई मुद्दों पर घेरने की कई बार कोशिश की गई। वे ईमानदारी से सबके सवालों का जवाब देते गए। बिहार विधान परिषद की ओर से 2014 में कर्पूरी ठाकुर को समर्पित ‘साक्ष्य’ पत्रिका का प्रकाशन हुआ। जिसमें उनके जीवन से जुड़े अनसुने संस्मरण बताये गए हैं। उन्हीं संस्मरणों में से हम कर्पूरी से जुड़ी कुछ चुनिंदा यादों को आपके सामने सिलसिलेवार रख रहे हैं।

साक्ष्य’ के अंक में ‘नए बिहार का निर्माण’ वाले भाग में दिनांक 5 जुलाई 1977 को हुई विधानसभा कार्यवाही का पूरा विवरण दिया हुआ है। इस दिन की कार्यवाही में विधानसभा सदस्य वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को घेरा। वे बिहार में हो रही लगातार हत्या की घटनाओं से जुड़ा सवाल करते हैं। मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए वे कहते हैं कि जो व्यक्ति आपसे मिलने के लिए आया था, लेकिन नहीं मिल सका और उसकी हत्या कर दी गई, उसकी भी जांच करायी जाए। उसके बाद वशिष्ठ नारायण के प्रश्न का उत्तर देने के लिए मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री सदन को बताते हैं कि जब सबकी जांच होगी तो उसकी जांच क्यों नहीं होगी? अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने इधर के और उधर के अपराध के संबंध में कहा है कि अपराध तेजी से बढ़ रहा है। डकैतियां बढ़ रही हैं। मैं खुद चिंतित हूं कि यहां की विधि-व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। कर्पूरी ठाकुर कहते हैं कि मुझे चिंता है कि जो डकैतियां हो रही हैं, अपराध हो रहे हैं, वे कम से कम जल्द कम हो जाएं। लेकिन मैं कुछ आंकड़े आपके सामने रखना चाहता हूं, जो हमारे जमाने की बात नहीं है, आपके जमाने, कांग्रेस के जमाने का है।

मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर वशिष्ठ नारायण के सवाल के जवाब में कांग्रेस के जमाने का आंकड़ा गिनाते हुए कहते हैं कि ये आंकड़ा क्या बतलाता है? ये बतलाता है कि 1975 के मई में टोटल कॉग्निजेबल क्राइम बिहार में 8 हजार 664 हुए। 1976 के मई में यानी इमरजेंसी में टोटल कॉग्निजेबल क्राइम 9 हजार तीन हुए। 1977 के मई में राष्ट्रपति शासनकाल में टोटल कॉग्निजेबल क्राइम 8 हजार 391 हुए यानी राष्ट्रपति शासनकाल में कम हुए। कर्पूरी ठाकुर आगे हत्या जैसी घटनाओं पर जवाब देते हुए कहते हैं कि अब मर्डर की बात लीजिए। 1975 के मई में 194 मर्डर्स हुए, 1976 में 200 और 1977 में 199 यानी एक कम हुआ। यों ये संतोष की बात नहीं है, लज्जा की बात है। हम लज्जित हैं कि इतनी हत्याएं हुई हैं। कर्पूरी ठाकुर विधानसभा में कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहते हैं कि लेकिन आपको ये शोर मचाने का कोई हक नहीं है। मेरा इतना ही कहना है। राष्ट्रपति शासनकाल में 199 मर्डर्स हुए और आपकी लोकप्रिय सरकार में 200 मर्डर्स हुए, जब इमरजेंसी थी तब। मैं सिर्फ मई महीने की बात कर रहा हूं और वो साल जो आधा साल गैर-इमरेजेंसी और आधा साल इमरजेंसी का था। 1975 के मई में 225 डकैतियां,1976 के मई में 199 डकैतियां, 1977 के मई में 216 डकैतियां हुईं यानी 76 के मई से ज्यादा है और 1975 से कम। कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि ये जो कुछ भी हो रहा है, वो अत्यंत चिंता का विषय है, और इसके लिए कोई भी सरकार लज्जित होगी। लेकिन आपलोगों को ज्यादा लज्जा होनी चाहिए। फिर भी, आपलोग छाती फुलाकर कहते हैं कि हत्या हो रही है। हमलोग तो दस दिनों से आए हैं।

कर्पूरी ठाकुर वशिष्ठ के सवालों का जवाब देकर बैठने की कोशिश करते हैं कि विपक्ष की ओर से एक और सवाल किया जाता है। इस बार विधानसभा सदस्य चतुरानन मिश्र कर्पूरी ठाकुर पर सवाल दागते हैं। मिश्र उनसे पूछते हैं कि गैर-कानूनी हथियार बड़े पैमाने पर हैं, उनको जब्त करने के लिए आपकी सरकार अभियान चलाना चाहती है? उसके बाद कर्पूरी ठाकुर सदन में जवाब देने के लिए खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि समय कम रहने के कारण मैं डिटेल में नहीं बतला सकता हूं कि कितनी कार्रवाइयां करने का फैसला हमलोगों ने चार दिनों में लिया है। लेकिन सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इस संबंध में कार्रवाई बड़ी तेजी से और बड़े पैमाने पर हमलोग करने जा रहे हैं। वे सदन को बताते हैं कि दंगा न हो, हत्या न हो, लूटमार न हो और इसके लिए गैर-कानूनी हथिया जो हैं उनको जब्त करने के लिए अभियान चलाए जाएंगे। किस तरह अवैध हथियार वापस लिया जाए, इसके लिए हमलोग इनाम की घोषणा करने वाले हैं कि जो हमारे पुलिस अधिकारी को ये सूचना देंगे कि अमुक स्थान में या अमुक व्यक्ति के पास गैर-कानूनी हथियार है, उनको मैं इनाम दूंगा और उन हथियारों को जब्त करूंगा, ये सरकार का फैसला है।

विधानसभा सदस्य मिश्र कर्पूरी ठाकुर की बात से सहमत दिखते हैं लेकिन एक बार फिर उन्हें घेरने का मौका खो देते हैं। उसके बाद मिश्र कर्पूरी ठाकुर से टेढ़ा सवाल करते हैं। चतुरानन मिश्र आसन से सवाल करते हुए कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार पर मुख्यमंत्री जी से जानकारी चाहता हूं कि चुनाव के दरम्यान जो अपने राज्य में बहुत बड़े पैमाने पर बूथ-कैप्चरिंग हो रही है, उसके लिए कोई जांच कमीशन बैठाकर उसका निराकरण करने के संबंध में सरकार कोई कदम उठाना चाहती है, ताकि इसको रोका जा सके? सवाल सुनने के बाद कर्पूरी ठाकुर जवाब देने के लिए खड़े होते हैं। वे कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बात कही है मैं भी समझता हूं कि इसके लिए कोई न कोई निदान निकालना होगा। इसके लिए दो निदान हो सकते हैं। एक तो कानून के जरिये, जो केंद्र सरकार को करना है। मैं आपको सूचना देना चाहता हूं कि केंद्र सरकार इस सवाल पर विचार कर रही है कि चुनाव कानून में संशोधन किया जाये ताकि चुनाव में होने वाले अन्याय और धांधली को बंद किया जा सके। अब हमलोगों को करना ये है कि जैसा कि आपने कहा है , हम अपनी पार्टी में विचार करेंगे कि इस पर कोई कमीशन बैठाया जा सकता या नहीं।

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