जब पहली बार गिराया गया बाबरी मस्जिद का गुंबद!

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एक ऐसा समय जब बाबरी मस्जिद का गुंबद गिराया गया था! बालक प्रभु रामलला की परीक्षा लेने की तैयारी में माता पार्वती कर रही थीं। इसी प्रयोजन से वह भगवान शिव के पास आईं। भगवान शिव उस समय भगवान राम का ध्यान कर रहे थे। अनायास ही उनके मुंह से यह दोहा निकला। दरअसल, शिव जानते थे कि माता सती नहीं बल्कि स्वयं प्रभु रामलला उनकी परीक्षा लेनेा चाह रहे थे। इस दोहे के पहले अंश का अर्थ है कि राम जो चाहते हैं, वही होगा। आप सोच रहे होंगे कि आज मैं इस कहानी की शुरुआत एक कविता से क्यों कर रही हूं। दरअसल, अयोध्या की घटनाओं को भी इस दोहे से जोड़कर खूब देखा जाता रहा है। 6 दिसंबर 1992 को जो कुछ हुआ, उसको लेकर भी कुछ लोगों का कहना है कि यह सब राम ने पहले ही रच रखा था। बालकांड में रचित इस दोहे का एक अलग अर्थ मैंने उस दिन जाना था। रामभक्त कारसेवक उस दिन उग्रता की सभी सीमाओं को पार कर गए थे। एक अंत का आरंभ था। एक नए इतिहास की शुरुआत। रामायण काल में भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध 84 दिनों तक चला था। भगवान श्रीराम ने आठ दिनों की लड़ाई के बाद रावण को परास्त किया था। अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद का ‘लंका कांड’ 30 अक्टूबर 1990 से 6 दिसंबर 1992 तक चला। तकरीबन दो साल 37 दिन। वहीं, बाबरी विध्वंस पहर में पूरा हुआ और आगे चार पहर में पूरे इलाके को समतल बनाया गया। मैं अयोध्या हूं और मै आज आपको उस घटना के पहले चार पहर की कहानी सुनाने जा रही हूं। सभी धर्मों के ग्रंथों को आप पढ़ेंगे तो उसका एक ही सार है, अंत ही सत्य है। 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीरबाकी ने जुल्म मेरे प्रभु रामलला की नगरी में किया था। यह उस आरंभ के अंत की शुरुआत थी। श्रीमद् भागवत गीता में श्रीकृष्ण एक स्थान पर अर्जुन को कहते हैं कि तुम निमित्त मात्र हो। इस चराचर जगत का स्वामी मैं हूं। मैं ही सब कुछ संचालित करता हूं। जो कुछ इस हस्तिनापुर की युद्धभूमि में हो रहा है, वह सब मैंने ही रचा है। जो कुछ हो रहा है या जो कुछ होने वाला है, वह सब मैंने ही निर्धारित किया है। इसलिए, पार्थ तुम अपना कर्तव्य करो। पाप और पुण्य को तय करने की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दो। अयोध्या में 6 दिसंबर को कारसेवक भी कुछ इसी मंशा से विवादित स्थल तक पहुंचे थे। यहां सवाल यह उठता है कि क्या भगवान ने सबकुछ रचा था। या फिर वह कुछ ओर ही था।

पीवी नरसिंह राव सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में 26 जुलाई 1992 को अयोध्या में चल रही कारसेवा को रोकने की घोषणा करने वाली विश्व हिंदू परिषद खुद को ठगा महसूस कर रही थी। राव सरकार लगातार बैठकों में अपने स्टैंड बदल रही है। ऐसे में सितंबर- अक्टूबर में वीएचपी ने 6 दिसंबर 1992 को कारसेवा का ऐलान कर दिया। इस कारसेवा को गोरखपुर मठ, शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का समर्थन मिला। राम मंदिर आंदोलन को लेकर यह पहला मौका था जब आरएसएस खुलकर अयोध्या में उतरी थी। कारसेवा की घोषणा होने के बाद 5 दिसंबर 1992 तक इसे रोकने या इसकी दिशा बदलने के प्रयास चलते रहे। लेकिन, हासिल कुछ नहीं हुआ। भाजपा, आरएसएस, वीएचपी के तमाम सीनियर नेता अयोध्या पहुंच चुके थे। हजारों कारसेवकों का हुजूम तीन दिसंबर से ही अयोध्या पहुंचने लगी थी।

6 दिसंबर तक यह अयोध्या में एक लाख से अधिक कारसेवक पहुंच चुके थे। कारसेवा को लेकर वीएचपी और भाजपा की ओर से घोषणा की गई थी कि यह सांकेतिक होगी। मुलायम सरकार ने 1990 में जिस प्रकार से कारसेवकों को रोकने के लिए रोड और रेल सेवा को बंद कराया था, वैसा कुछ भी इस बार नहीं था। 5 दिसंबर को भी केंद्र सरकार कर ओर स यूपी के सीएम कल्याण सिंह से बातचीत की गई। उन्हें अप्रिय स्थिति से निपटने को कहा गया। सीएम कल्याण सिंह ने भरोसा दिलाया कि कारसेवा शांतिपूर्ण होगी। विधि व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कारसेवकों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलेगी। सीएम कल्याण ने अधिकारियों को अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। साथ ही, यह भी निर्देश दे दिया कि था कि गोली नहीं चलेगी, किसी भी स्थिति में नहीं चलेगी।

रविवार 6 दिसंबर की सुबह सबसे अलग थी। अयोध्या का माहौल भक्तिमय हो चुका था। सड़कें कारसेवकों से अटी पड़ी थीं। हर ओर जय श्री राम के नारे लग रहे थे। सुबह के 7 बजे थे। सांसद विनय कटियार के घर हिंदू धाम का फोन बजा। सांसद ने फोन उठाया। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव थे। पीएम चिंतित थे। सांसद ने भरोसा दिलाया कि शनिवार यानी 5 दिसंबर को जो तय हुआ था, उसी के अनुरूप सांकेतिक कारसेवा होगी। उन्हें निश्चिंत किया। अयोध्या में भाजपा के सीनियर नेता मौजूद थे तो सांसद कटियार ने सबको नाश्ते पर बुलाया था। सुबह 8 बजे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी हिंदू धाम पहुंचे। अशोक सिंघल तब तक वहां पहुंच चुके थे। तमाम नेताओं ने कारसेवकों की भारी संख्या पर चिंता जताई। उन्हें काबू में करने की रणनीति बनाने लगे। इसी बीच सुबह साढ़े बजे कटियार के घर सीएम कल्याण सिंह का फोन आया। उन्होंने भी सांसद से स्थिति संभालने का अनुरोध किया। वे भी अनहोनी की आशंका से चिंतित थे।

कारसेवा के लिए सुबह 9:30 बजे एक्शन शुरू हो गया। तमाम सीनियर नेता, साधु- संत विवादित स्थल पर पहुंचने लगे थे। कारसेवकों ने तो पहले से वहां डेरा जमा लिया था। राम चबूतरा के चारों तरफ बैरिकेडिंग बनाई गई थी। सुबह 10 बजे करीब 150 साधु- संत पूजन सामग्री के साथ राम चबूतरा पर विराजमान हो गए थे। लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल और मुरली मनोहर जोशी को लेकर एएसपी अंजू गुप्ता विवादित स्थल पर पहुंचीं। आडवाणी को देखते ही कारसेवकों का पारा हाई हो गया। उन्हें लगा कि आडवाणी कारसेवा स्थगित कराने आए हैं। उग्र कारसेवकों ने बैरिकेडिंग तोड़कर चबूतरा तक पहुंचने की कोशिश की। कारसेवकों को उग्र होता देख पुलिस ने बल प्रयोग किया। उन्हें पीछे खदेड़ने की कोशिश की गई। इस पर कारसेवकों का गुस्सा और भड़क गया। कुछ कारसेवकों ने बैरिकेडिंग तोड़ी। राम चबूतरा तक पहुंच गए। वहां मौजूद लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ धक्का- मुक्की शुरू कर दी। अशोक सिंघल बीच- बचाव करते रह गए।

रामलला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कारसेवकों के मस्जिद के गुंबद पर लगातार बढ़ते हमलों को देखते हुए रामलला को लेकर बाहर निकले। रामलला को मस्जिद से बाहर आता देख कारसेवकों की भीड़ हर्षित हो गई। चारों तरफ जय श्रीराम के नारे लग रहे थे। बाबरी मस्जिद की गुंबद पर कारसेवक चढ़े थे। वे लगातार मस्जिद पर हमला कर रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ कारसेवा रोकने की कवायद जारी थी। रामलला के बाहर आते ही प्रहार तेज हो गया। वहीं, डीएम के निर्देश पर केंद्रीय सुरक्षा बलों को लाने के लिए एक सीओ और एक मजिस्ट्रेट फैजाबाद डोगरा रेजिमेंट सेंटर पहुंचे। आईटीबीपी के डीजी ने ढांचा के तीनों गुंबदों को नुकसान पहुंचाए जाने की रिपोर्ट दी। यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए। सीओ और मजिस्ट्रेट के पहुंचने के बाद दोपहर 1:50 बजे आईटीबीपी की तीन बटालियन अयोध्या की तरफ रवाना हो गई।

केंद्रीय बलों को रास्ते में रोक दिया गया। पथराव होने लगा। भारी संख्या में जुटे कारसेवकों ने केंद्रीय बलों को किसी भी स्थिति में विवादित परिसर की तरफ न जाने देने की कोशिश की। इस पर मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय बलों को वापस लौटने को लिखित में दिया। आईटीबीपी ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना दी। लगातार आदेश- निर्देश जमीन पर उतरते नहीं दिख रहे थे। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय को दोपहर 2:50 बजे आईबी की सूचना आई, ढांचे का पहला गुंबद गिर गया है। केंद्रीय बल मौके पर जाने में असमर्थ हैं। दंगा भड़क सकता है। यूपी सरकार बिना फायरिंग स्थिति काबू में करने को कह रही है, जो संभव नहीं है।