एक ऐसी घटना जिसमें चंद सेकंड में सर धड़ से अलग कर दिया गया! गुजरात में एक पति-पत्नी ने तंत्र साधना को पूरा करने के लिए अपनी जान दे दी। दोनों ने अपने घर के पास ही एक मंदिर में जाकर अपने सिर को हवनकुंड में भेंट कर दिया। इस घटना ने पूरे गुजरात को हिलाकर रख दिया, लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात थी सुसाइड का वो तरीका जो इस पति-पत्नी ने अपनाया। ये तरीका था गिलोटिन उपकरण से खुद की जान लेने का। सबसे पहले जान लीजिए ये गिलोटिन उपकरण होता क्या है। ये एक तरह का यंत्र होता है जो सिर को धड़ से अलग करने के लिए इस्तेमाल होता आया है। इस यंत्र में एक रस्सी बंधी हुई होती है। इस रस्सी के सिरे में शार्प ब्लेड बंधी हुई होती हैं। जबकि दूसरा सिरा ऊपर स्टैंड की तरफ बांधकर नीचे की तरफ गिरा दिया जाता है। उस दूसरे सिरे को नीचे खिंचकर रखा जाता है और नीचे किसी चीज से बांध दिया जाता है। जैसे ही रस्सी इस सिरे को खोला जाता है रस्सी का दूसरा सिरा जिसमें ब्लेड लगी होती है वो तेजी से नीचे आ जाता है।
गिलोटिन नाम का ये यंत्र फ्रांस में तैयार किया गया था। उन्नीसवीं सदी में ये युरोप में काफी प्रचलित था। गिलोटिन उपकरण से खुद की जान लेने का। सबसे पहले जान लीजिए ये गिलोटिन उपकरण होता क्या है। ये एक तरह का यंत्र होता है जो सिर को धड़ से अलग करने के लिए इस्तेमाल होता आया है। इस यंत्र में एक रस्सी बंधी हुई होती है। इस रस्सी के सिरे में शार्प ब्लेड बंधी हुई होती हैं। जबकि दूसरा सिरा ऊपर स्टैंड की तरफ बांधकर नीचे की तरफ गिरा दिया जाता है। उस दूसरे सिरे को नीचे खिंचकर रखा जाता है और नीचे किसी चीज से बांध दिया जाता है। जैसे ही रस्सी इस सिरे को खोला जाता है रस्सी का दूसरा सिरा जिसमें ब्लेड लगी होती है वो तेजी से नीचे आ जाता है।युरोप के देशों में कई सालों तक इस पारंपरिक तरीका का इस्तेमाल अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए किया जाता था। फ्रांस में तो अभी करीब 40 साल पहले तक इसी तरीके से मृत्युदंड यानी कैपिटल पनिशमेंट दी जाती थी। आखिरी बार फ्रांस में 10 सितंबर 1977 में इस पारंपरिक तरीके से डेथ पनिशेंट दी गई। साल 1981 के बाद फ्रांस में मृत्युदंड ही बंद हो गया था। इसलिए ये तरीका भी हमेशा के लिए खत्म हो गया। युरोप के दूसरे देश तो सालों पहले ही इस तरीके को हटा चुके थे।
दरअसल उस जमाने में इसे मृत्युंदंड का सबसे बेहतर तरीका माना जाता था। ये कहा जाता था कि इस तरीके से मृत्युदंड देने से सबसे कम दर्द होता है और बहुत जल्दी अपराधी की मौत हो जाती है।गिलोटिन उपकरण से खुद की जान लेने का। सबसे पहले जान लीजिए ये गिलोटिन उपकरण होता क्या है। ये एक तरह का यंत्र होता है जो सिर को धड़ से अलग करने के लिए इस्तेमाल होता आया है। इस यंत्र में एक रस्सी बंधी हुई होती है। इस रस्सी के सिरे में शार्प ब्लेड बंधी हुई होती हैं। जबकि दूसरा सिरा ऊपर स्टैंड की तरफ बांधकर नीचे की तरफ गिरा दिया जाता है। उस दूसरे सिरे को नीचे खिंचकर रखा जाता है और नीचे किसी चीज से बांध दिया जाता है। जैसे ही रस्सी इस सिरे को खोला जाता है रस्सी का दूसरा सिरा जिसमें ब्लेड लगी होती है वो तेजी से नीचे आ जाता है। इस तरीके से सिर धड़ से अलग होने में 4 से 6 सेकेंड का वक्त लगता है। भारत में मृत्युदंड के लिए कभी भी इस तरीके का इस्तेमाल नहीं हुआ। अब जबकि गुजरात में एक कपल ने सुसाइड के लिए इस तरीके को अपनाया तो हर कोई बेहद हैरान था।
गुजरात के इस कपल हेमूभाई मकवाना और उनकी पत्नी हंसाबेन ने राजकोट के विंछिया गांव में अपने खेत में ही एक झोपड़ी में इस उपकरण को तैयार किया। इस पति-पत्नी ने इसी झोपड़ी के अंदर एक अग्निकुंड तैयार किया। इस योजना के तहत रस्सी से बंधे गिलोटिन जैसे यंत्र के नीचे इस पति पत्नी से अपना सिर इस तरह रखा कि जैसे ही गिलोटिन ब्लेड से सिर कटेगा वो सीधा लुढ़ककर हवनकुंड में जाएगा और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही।
सिर धड़ से अलग करने का ये तरीका काफी टेकनिकल है। सुसाइड की घटनाएं वैसे तो अक्सर सामने आती रहती है, लेकिन इस उपकण की मदद से सुसाइड की घटना पहली बार सामने आई तो पुलिस भी हैरान रह गई।