हाल ही में चंद्रयान -3 के लिए पूरे देश ने दुआएं की है! अपनी पीठ पर बिठाकर जब इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट LVM-तीन 14 जुलाई को रवाना होगा तो वह अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों की पोटली भी साथ ले जाएगा। चांद को चूमने पर ये उम्मीदें ही हर भारतीय के सीने में खुशी बनकर फूटेंगी। पूरा देश दुआएं कर रहा है। पिछली बार जो कसक रह गई थी, इस बार सब मंगल ही होगा। जी हां, आसमान की तरह मुंह करके बुलंद इरादों के साथ खड़ा भारत का चंद्रयान मिशन पर रवाना होने को तैयार है। पूरे देश को बेसब्री से चंद्रयान की श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग का इंतजार है। सांप और साधुओं का देश कहा जाने वाला भारत आज स्पेस टेक्नोलॉजी में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ खड़ा है। चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। पिछली बार क्रैश लैंडिंग हुई थी। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बनने के लिए तैयार है। मंत्री ने कहा, ‘स्पेस के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। चांद को चूमने में अब भारत को ज्यादा इंतजार नहीं करना है।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चांद पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 का छह पहिए वाला रोवर लैंडर से बाहर आएगा और चांद की सतह पर इसके 14 दिनों तक काम करने की उम्मीद है। सिंह ने बताया कि रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से हम तस्वीरें हासिल कर सकेंगे।
स्पेस सेक्टर में पहले के टैबू को तोड़ने का श्रेय पीएम मोदी को देते हुए सिंह ने कहा कि पीएम के हालिया अमेरिका दौरे के समय स्पेस क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। यह दिखाता है कि जिस देश ने भारत से काफी पहले स्पेस जर्नी शुरू कर दी थी,स्पेस सेक्टर में पहले के टैबू को तोड़ने का श्रेय पीएम मोदी को देते हुए सिंह ने कहा कि पीएम के हालिया अमेरिका दौरे के समय स्पेस क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। यह दिखाता है कि जिस देश ने भारत से काफी पहले स्पेस जर्नी शुरू कर दी थी, वह भी आज भारत के साथ बराबरी में जुड़ना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से ग्रोथ हो रही है उससे भारत का स्पेस सेक्टर आने वाले वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है। 2020 में दुनिया की स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.1 प्रतिशत थी। चंद्रयान-3 मिशन का पूरा बजट 615 करोड़ रुपये है। वह भी आज भारत के साथ बराबरी में जुड़ना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से ग्रोथ हो रही है उससे भारत का स्पेस सेक्टर आने वाले वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है। 2020 में दुनिया की स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.1 प्रतिशत थी। चंद्रयान-3 मिशन का पूरा बजट 615 करोड़ रुपये है।
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का रोवर चांद की सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर के अंदर बैठकर जा रहा है। दिलचस्प यह है कि यान के सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए तारीख इस आधार पर तय की जाती है कि चंद्रमा पर सूर्योदय कब होता है। वह भी आज भारत के साथ बराबरी में जुड़ना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से ग्रोथ हो रही है उससे भारत का स्पेस सेक्टर आने वाले वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है। 2020 में दुनिया की स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.1 प्रतिशत थी। चंद्रयान-3 मिशन का पूरा बजट 615 करोड़ रुपये है।लैंडिंग करते समय, सूरज की रोशनी होनी चाहिए। चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी होती है और अगले 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं रहती है। ने बताया है कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से होगी। चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा। लैंडर के मिशन की पूरी अवधि एक चंद्र दिवस की रहने वाली है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है।
दिलचस्प यह है कि यान के सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए तारीख इस आधार पर तय की जाती है कि चंद्रमा पर सूर्योदय कब होता है। लैंडिंग करते समय, सूरज की रोशनी होनी चाहिए। चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी होती है और अगले 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं रहती है।