जब राम मंदिर का न्योता ठुकराने पर कांग्रेस में पड़ी रार!

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वर्तमान में कांग्रेस में रार पड़ चुकी है क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने राम मंदिर का न्यौता ठुकरा दिया है! कांग्रेस ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता काफी निराश है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के इस फैसले से कांग्रेस के अंदर टकराव की स्थिति पैदा होती दिख रही है, जो आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ठीक नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है कि इससे करोड़ों कांग्रेसियों का दिल टूटा है। आचार्य कृष्णम ने कहा, ‘राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं। राम मंदिर को बीजेपी का मानना दुर्भाग्यपूर्ण है। राम मंदिर को आरएसएस, हिंदू परिषद, बजरंग दल का मान लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है।’ कृष्णम ने कहा, ‘कांग्रेस राम विरोधी नहीं है। ये कुछ लोग हैं, जिन्होंने इस तरह का फैसला कराने में भूमिका अदा की है। ये बड़ा गंभीर विषय है। आज मेरा दिल टूट गया है। और इस फैसले से करोड़ों कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है उन कार्यकर्ताओं का, उन नेताओं का जिनकी आस्था भगवान राम में है।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस वो पार्टी है, जो महात्मा गांधी के रास्ते पर चलती है। कांग्रेस के ही नेता राजीव गांधी ने ही मंदिर के ताले खुलवाने का काम किया। भगवान श्रीराम के मंदिर के निमंत्रण को स्वीकार ना करना दुखद है, यह पीड़ादायक है, यह कष्टदायक है।’

गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने भी अयोध्या नहीं जाने के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने पार्टी को ऐसे फैसले नहीं लेने की सलाह दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, ‘भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय से दूर रहना चाहिए था।’ साथ ही उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान की एक कॉपी भी साझा की है।

राम मंदिर उद्घाटन के न्योता को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पार्टी की संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक समारोह में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘भगवान राम हमारे देश में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं और धर्म एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आरएसएस/भाजपा ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का एक राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है। भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा ‘अधूरे मंदिर’ का उद्घाटन स्पष्ट रूप से ‘चुनावी लाभ के लिए’ आगे लाया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से आरएसएस/भाजपा कार्यक्रम के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है।’

भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस के तीन शीर्ष नेताओं को भेजे गए निमंत्रण को अस्वीकार करने के विपक्षी पार्टी के फैसले की गुरुवार को आलोचना की और दावा किया कि इससे भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति पार्टी का स्वाभाविक विरोध उजागर हो गया है। जिन्होंने इस तरह का फैसला कराने में भूमिका अदा की है। ये बड़ा गंभीर विषय है। आज मेरा दिल टूट गया है। और इस फैसले से करोड़ों कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है उन कार्यकर्ताओं का, उन नेताओं का जिनकी आस्था भगवान राम में है।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस वो पार्टी है, जो महात्मा गांधी के रास्ते पर चलती है।भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपनी ‘ईर्ष्या, द्वेष और हीन भावना’ के कारण कांग्रेस देश का विरोध करने की हद तक चली गई है और अब भगवान का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर भारतीय परंपराओं और संस्कृति के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है लेकिन कांग्रेस और समान मानसिकता वाले अन्य विपक्षी दलों के लिए कट्टरपंथी राजनीति अधिक महत्वपूर्ण है। त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े भूमि विवाद मामले में मुस्लिम वादी इकबाल अंसारी को भी न्योता दिया गया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह कांग्रेस है जिसने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि देश के लिए ऐतिहासिक क्षणों में बाधा उत्पन्न करना मुख्य विपक्षी दल की प्रवृत्ति रही है।