एक समय ऐसा था जब भारत और ब्रिटेन की महारानी के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था! ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की अवस्था में निधन हो गया है। महारानी ने ब्रिटेन में 70 साल तक शासन किया और अब उनकी जगह पर पूर्व राजकुमार चार्ल्स अब देश के नए सम्राट बन गए हैं। महारानी एलिजाबेथ ने अपने शासन काल के दौरान साल 1997 में भारत और पाकिस्तान की यात्रा की थी। महारानी ने पहले पाकिस्तान की यात्रा की जहां कश्मीर को लेकर एक बड़ा विवाद मच गया था। कश्मीर के मुद्दे पर ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री रॉबिन कुक ने ऐसा विवादित बयान दिया कि भारत आगबबूला हो गया। दोनों देशों के बीच तनाव इतना ज्यादा हो गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने ब्रिटेन को एक ‘तीसरे दर्जे’ की ताकत बता दिया था जो अपने औपनिवेशिक अतीत की भव्यता के भ्रम को पाल रहा है। इसके बाद ब्रिटेन को भारत को सफाई देनी पड़ी।
अक्टूबर 1997 की बात है। ब्रिटेन की राजकुमारी डायना की कार हादसे में मौत के कुछ सप्ताह बाद पहली बार महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सार्वजनिक दौरे के लिए भारत और पाकिस्तान को चुना। दरअसल, साल 1997 में भारत और पाकिस्तान की आजादी के 50 साल पूरे हो गए थे। यह महारानी की भारत की तीसरी यात्रा थी। ब्रिटेन में उस समय लेबर पार्टी की नई-नई सरकार बनी थी और उसकी कोशिश थी कि ब्रिटेन के उपनिवेश रहे देशों के साथ रिश्तों को बेहतर किया जाए। यही वजह थी कि इस दौरे में महारानी की यात्रा में जलियावाला बाग को भी जोड़ा गया। यह वही जगह थी जहां ब्रिटिश सेना ने अप्रैल 1919 में नरसंहार किया था। भारत सरकार ने जब ब्रिटेन की महारानी को देश में आने के लिए आमंत्रित किया था, उस समय ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी। जब महारानी का भारत दौरा होने वाला था, उस समय लेबर पार्टी ने खुद को यह दिखाना शुरू कर दिया कि वह जनता की पार्टी है। लेबर पार्टी की यही नीति उसकी कश्मीर को लेकर बनी पॉलिसी का कारक बनी।
दरअसल, लेबर पार्टी पाकिस्तान के उस मांग का समर्थन कर रही थी जिसमें कश्मीरियों को ‘आत्मनिर्णय’ करने के अधिकार को मान्यता देने की बात कही जा रही थी। उसने कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थन किया। लेबर पार्टी की यह नीति भारत सरकार की आधिकारिक नीतियों के पूरी तरह से खिलाफ थी। ऐसे में कश्मीर को लेकर उस समय तनाव बना हुआ था। इस बीच महारानी ने पाकिस्तान से अपनी यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान रॉबिन कुक ने ऐतिहासिक गलती कर दी जो लेबर पार्टी की ओर से ब्रिटेन के विदेश मंत्री बनाए गए थे। रॉबिन कुक ने कथित रूप से पाकिस्तानी पत्रकारों से अनौपचारिक रूप से कह दिया कि ब्रिटेन कश्मीर के मुद्दे को भारत के साथ उठाएगा और इस विवाद में मध्यस्थता में मदद करेगा। ब्रितानी विदेश मंत्री के इस बयान से भारत आगबबूला हो गया। इसकी वजह यह थी कि भारत का मानना है कि कश्मीर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे देश के मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री के बयान के समय तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री और विदेश नीति के मर्मज्ञ कहे जाने वाले इंद्र कुमार गुजराल गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने काहिरा में एक बैठक में ब्रिटेन को ‘तीसरे दर्जे’ की ताकत करार दे दिया। गुजराल ने इस दौरान ब्रिटेन के ही तत्कालीन वायसराय रहे लॉर्ड कर्जन के बयान का हवाला दिया। लॉर्ड कर्जन ने साल 1901 में कहा था कि जब ब्रिटेन भारत पर शासन करता रहेगा, तब तक हम दुनिया की सबसे महान ताकत बने रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर हम भारत को खो देते हैं तो सीधे तीसरे दर्जे की ताकत बन जाएंगे।’ पीएम गुजराल के इस बेहद सख्त बयान के बाद ब्रिटेन के हाथ पांव फूल गए और शाही खेमा तुरंत डैमेज कंट्रोल करने में जुट गया। इसके बाद ब्रिटिश विदेश मंत्री ने बयान दिया कि उन्होंने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया था। इसके जवाब में गुजराल ने भी पलटवार किया और कहा कि उन्होंने ब्रिटेन के बारे में ऐसा कुछ कहा था।
महारानी जब भारत के दौरे पर आईं तो भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। सिख प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में जमकर प्रदर्शन किया और ब्रिटिश सेना में पगड़ी पहनने पर रोक लगाने का कड़ा विरोध किया। महारानी ने जलियावाला बाग हत्याकांड को लेकर भी ठीक से माफी नहीं मांगी जिससे लोग काफी नाराज हो गए। इससे पहले उसी साल प्रधानमंत्री गुजराल ने यह भी कह दिया था कि शाही परिवार को अमृतसर भी जाने की जरूरत नहीं है। इस पूरे वाकये से ब्रिटेन को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा। यही वजह थी कि ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट ने 13 अक्टूबर 1997 को लिखा, ‘महारानी हर वह चीज कर रही हैं जो भारत को पसंद आए लेकिन अभी तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है।’
पीएम गुजराल ने उस समय यह भी कहा था कि आतंकियों की घुसपैठ के बाद भी कश्मीर में लोकतांत्रिक शासन स्थापित किया जा सकता है। मिस्र के लोग यह जानकर हैरान रह गए थे कि गैर कश्मीरी आतंकी कश्मीर घाटी में मौजूद हैं और हमले कर रहे हैं। उन्हें विदेश में प्रशिक्षण मिल रहा है। इस पूरे मामले में महारानी ने हस्तक्षेप किया और कहा कि उनका कार्यालय दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर अलग- अलग राय के विवाद को सुलझाने में मदद कर सकता है। कुक से पहले ब्रिटेन के तत्कालीन उप विदेश मंत्री ने भी कश्मीर को लेकर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था। उसे भारत ने अनदेखा कर दिया था लेकिन कुक के बयान के बाद पीएम गुजराल ने ब्रिटेन की बोलती बंद कर दी।