एक ऐसी घटना जिसमें उत्तराखंड में ठग कंपनियों ने भोले भाले लोगों को लूट लिया! मासूम सा चेहरा, खुद को बेहद पढी लिखी, एक अच्छी कंपनी के डायरेक्टर बताती थी वो। उसका काम था लोगों को अपने विश्वास में लेना और फिर उनसे वो पैसा छीन लेना जो उनकी मेहनत की कमाई है। जिस पैसे को लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए इकट्ठा किया उस पैसे पर इस शातिर महिला ने डाका डाल दिया। उत्तराखंड में ठग कंपनी की इस मालकिन ने एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों लोगों से लूट लिए करोड़ों रुपये। इस शातिर महिला का नाम है मोनिका कपूर जो दिल्ली के पंजाबी बाग की रहने वाली है। पेशे से एक ठग। करीब 8 साल पहले साल 2015 मोनिका ने एक ठग कंपनी बनाई। दिल्ली के नांगलोई में इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ। कंपनी का नाम रखा गया जनशक्ति मल्टी स्टेट मल्टी परपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड। मोनिका कपूर इस कंपनी की डायरेक्टर थीं। मोनिका ने कई और लोगों को अपने गैंग में जोड़ा। अब ये ठग कंपनी तैयार ही चुकी थी लोगों को लूटने के लिए।
इस लेडी नटवरलाल ने उत्तराखंड को चूना ठगी के लिए। ये कोऑपरेटिव सोसाइटी चिट फंड का करती थी। गांव और छोटे कस्बों के लोगों को ये अपने जाल में फंसाते थे। इस शातिर महिला के निशाने पर बेरोजगार, गांव के लोग और युवा ज्यादा होते थे। मोनिका उत्तराखंड के कई युवाओं को अपनी कंपनी के प्रचार के लिए साथ में जोड़ लिया। लोकल एजेंट होने की वजह से गांव-कस्बों के लोग इस कंपनी पर विश्वास करने लगे। लोगों को लगा कि अगर वो अपनी मेहनत की कमाई को इन्वेस्ट करते हैं तो उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा।
करीब 2 साल तक ये उत्तराखंड के 7 जिलों में अलग-अलग लोगों से पैसा ऐंठ चुकी थी। किसी ने 10 हजार दिए, किसी ने 20 तो किसी ने 50 हजार। इस तरह से ये सैकड़ों लोगों से उन्हें अच्छा रिटर्न देने के नाम पैसे लेती रही। मोनिका कपूर की कंपनी लोगों का फिक्स डिपॉजिट यानी एफडी और आरडी करवाती थी। कंपनी के साथ उत्तराखंड के लोकल लोग भी जुड़े हुए थे तो कंपनी पर लोगों का विश्वास बढ़ने लगा था। कुछ समय ऐसा ही चलता रहा, उसके बाद अचानक मोनिका कपूर सारा पैसा लेकर फरार हो गई।
उत्तराखंड के चार अलग-अलग जिलों में मोनिका के खिलाफ गैंगस्टर्स समेत एक दर्जन से ज्यादा दर्ज हुए। कुछ समय पहले इस कंपनी के 3 लोग गिरफ्तार भी हुए, लेकिन मोनिका कोई पता नहीं था। इस शातिर महिला के ऊपर 61 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था। चार जिलों की पुलिस इसे तलाश कर रही थी। अब उत्तराखंड एसटीएफ ने करीब 2 साल बाद मोनिका को ऑपरेशन प्रहार के तहत गिरफ्तार कर लिया है। देखना ये है कि अब उत्तराखंड के लोगों का पैसा कैसे वापस मिलता है। इस कंपनी में सेविंग, एफडी और आरडी के नाम से गांव वालों की पूंजी जमा है। मोनिका की गिरफ्तार से लोगों को उनका पैसा वापस मिलने की आस जरूर बंध गई है।
आपको बता दें कि प्रदेशमें16 कंपनियां लोगों को मोटा मुनाफा देने का झांसा देकर ठगी कर रही है। कंपनी रजिस्ट्रार ने इनकी पूरी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर डाली है और लोगों को सलाह दी है कि इनमें निवेश नहीं करें। रजिस्ट्रार को जब इनके द्वारा लगातार ठगी करने की शिकायतें मिली तो रजिस्ट्रार ने इनकी वित्तीय रिटर्न की जानकारी खंगाली। तब खुलासा हुआ कि इन्होंने वित्तीय रिटर्न भेजा ही नहीं। तब कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय पर पत्र भेजा वो भी लौट आया। जांच के बाद कंपनी रजिस्ट्रार ने माना कि ये कंपनियां लोगों से ठगी कर रही है। इसके बाद इनके खिलाफ जांच के लिए एसओजी को लिखा है।
कंपनी रजिस्ट्रार संजय कुमार गुप्ता का कहना है कि शहर में 16 कंपनियों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही है। इनमें से अधिकतर ने वित्तीय रिटर्न भी फाइल नहीं किया है। ये कंपनियां ग्रामीण इलाकों में भोले भाले लोगों को ठगी का शिकार बना रही है। ऐसे में लोग इन कंपनियों में निवेश करने से बचे। ये कंपनियां कंपनी अधिनियम 2013 प्रावधानों के अनुसार जमाऐं स्वीकार करने की योग्यता नहीं रखती। क्यों कि ये कंपनियां निर्धारित प्रावधानों के अनुसार नेटवर्थ तथा टर्नओवर के मानदंडों को पूरा नहीं करती। साथ ही पॉजी स्कीम्स में निवेश नहीं करें । कंपनीरजिस्ट्रार ने बताया कि कई कंपनियां ऑनलाइन भुगतान करवा रही है। इसमें सदस्य बनने के बाद कंपनियों की ओर से दी गई वेबसाइट पर क्लिक करने पर प्रत्येक क्लिक पर एक निश्चित राशि देने की बात कही जाती है। इनमें माई रिचार्ज प्रा. लि., पेनट डिजिटल प्रा. लि., स्टेवेल इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड यंग एटीट्यूड प्रोपकॉन प्रा. लि. के खिलाफ शिकायतें मिली है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि ये कंपनियां मेमोरेण्डम ऑफ एसाेसिएशन के अनुसार भी जमाऐं स्वीकार करने में अधिकृत नहीं है। इस प्रकार की गतिविधियां पॉजी स्कीम्स है।