आज हम आपको बताएंगे कि अजीत पवार गुट का फैसला आखिर कब होगा! सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए स्पीकर को 15 फरवरी तक का वक्त दिया है। शरद पवार गुट की तरफ से अजित पवार के साथ गए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान स्पीकर नारवेकर की तरफ से सॉलिसिटर जनरल वकील तुषार मेहता ने कोर्ट से 3 सप्ताह का समय मांगा था, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 15 दिन का समय दिया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर आदेश पारित करने के लिए 15 फरवरी तक का समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि अयोग्यता पर फैसले के लिए 15 दिनों का समय दिया है। नार्वेकर ने पिछले दिनों शिवसेना के विधायकों पर अपना फैसला दिया था। जिसे उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को इस मामले में फैसला करने के लिए 31 जनवरी तक का समय दिया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि स्पीकर राहुल नार्वेकर शिवसेना के मतभेद पर दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले लेने में व्यस्त थे, ऐसे में कोर्ट द्वारा दी गई 31 तारीख पर आदेश का पालन करना संभव नहीं हैं। ऐसे में अतरिक्त समय दिया जाए। शरद गुट के नेता और महाराष्ट्र एनसीपी के प्रमुख जयंत पाटिल ने यह याचिका दाखिल की है। पिछले साल अजित पवार बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। अजित गुट के विधायकों की अयोग्यता का मामला जहां स्पीकर के सामने विचाराधीन है तो वहीं एनसीपी किसकी है। यह मामला चुनाव आयोग में फैसले के लिए लंबित है।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। एनसीपी में टूट के बाद काफी विधायक अजित पवार के साथ चले गए थे। अभी अजित पवार के साथ पार्टी 41 विधायक हैं, जबकि शरद पवार के साथ सिर्फ 12 विधायक है। महाराष्ट्र की सरकार को कुल 185 विधायकों का समर्थन है, जबकि विपक्ष में सिर्फ 77 विधायक हैं। बता दें कि शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर के फैसले के बाद अब सभी की नजरें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायकों की अपात्रता के मामले में टिकी हैं। अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी गुट के मुख्य मुख्य सचेतक अनिल पाटिल ने शरद पवार के अध्यक्ष बनने को गैरकानूनी कहा है। पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष एक हलफनामा प्रस्तुत किया है। इसमें कहा गया है कि शरद पवार का एनसीपी के रूप में चुनाव अध्यक्ष अवैध था। यह पार्टी संविधान के अनुरूप नहीं था। नार्वेकर इन दिनों एनसीपी के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। राहुल नार्वेकर ने अगली सुनवाई के लिए 23 जनवरी की तारीख तय की है।
जलगांव से राकांपा विधायक अनिल पाटिल एकनाथ शिंदे सरकार में राहत एवं पुनर्वास मंत्री हैं। पाटिल ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए शरद पवार गुट के 10 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर के समक्ष अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, जबकि शरद पवार गुट के राज्य राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल ने विरोधी गतिविधियों के लिए अजीत पवार के नेतृत्व वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए 40 याचिकाएं दायर की हैं। अजित गुट के मुख्य सचेतक पाटिल ने हलफनामे में कहा है कि पार्टी को शरद पवार द्वारा चलाया और प्रशासित किया जा रहा था। यह पार्टी के संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है। हलफनामें में कहा गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए शरद पवार का दावा भी एक कथित चुनाव पर आधारित है, जो कभी आयोजित नहीं किया गया था, तो वहीं दूसरी तरफ शरद पवार समूह का आरोप है कि चुनाव हुआ था।
पाटिल ने आरोप लगाया कि पार्टी संगठन को तानाशाही तरीके से चलाया जा रहा है, जहां शरद पवार पार्टी के मामलों को अपनी सनक और इच्छा के अनुसार चलाते हैं और पार्टी में किसी अन्य नेता को पार्टी के मामलों में कुछ भी कहने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, पाटिल ने कहा कि राज्य अध्यक्षों और राष्ट्रीय समिति और कार्यसमिति सहित सभी समितियों का चुनाव होना था, लेकिन शरद पवार ने वास्तव में अपनी कथित क्षमता में सभी राज्य अध्यक्षों को अध्यक्ष के रूप में नामित किया है। अनिल पाटिल ने दावा किया है रेकॉर्ड के अनुसार पिछले साल 30 जून को अजित पवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। इस सबंध में चुनाव आयोग को भी सूचित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट शिवसेना के मामले की तरफ इस मामले में भी स्पीकर से अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला लेने को कहा है।