Friday, March 14, 2025
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वायुसेना के बेड़े से कब विदा लेगा ये MIG-21 विमान?

राजस्थान की बाड़मेर में हुआ हादसा भुलाए नहीं भूल रहा! ये पहली बार नहीं है जब इस विमान से दुर्घटना हुई हो मगर न जाने क्या वजहें हैं कि इस विमान को भारतीय सेना से बाहर नहीं किया जा रहा। साल 2021 में इस विमान से पांच हादसे हुए थे। इसके बावजूद इस विमान को भारतीय एयरफोर्स के बेड़े से नहीं हटाया गया। एक आंकड़े के मुताबिक पिछले छह दशकों में मिग-21 से जुड़ी हुई 400 से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 200 से अधिक पायलटों की जान गई है।2021 में सबसे ज्यादा हादसों का शिकार बना मिग-21 बाइसन, जो पांच दुर्घटनाओं में शामिल था। इन हादसों में तीन पायलटों की जान गई। इस विमान को भारतीय सेना के खेमे में 1960 दशक में शामिल किया गया था। 1971 के युद्ध में भारतीय वायु सेना में तीन साल पहले ही शामिल हुए पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर जमकर कहर बरपाया था। मिग-21 की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना के 13 लड़ाकू विमानों को मार गिराया था, जबकि उसे सिर्फ एक को खोना पड़ा था। इतना ही नहीं बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान पाकिस्तान के आधुनिक F-16 लड़ाकू विमान को भी मिग-21 ने खदेड़ा था। उस वक्त उसको विंग कमांडर अभिनंदन ही उड़ा रहे थे।

2021 में कितने हादसे हुए?

25 दिसंबर 2021- मिग-21 बाइसन राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस साल बाइसन से जुड़ी यह पांचवीं दुर्घटना थी। वायु सेना ने बताया है कि दुर्घटना में पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की मौत हो गई है। वायुसेना के मुताबिक यह विमान शाम करीब 8 बजे के आसपास पश्चिमी सेक्टर में हादसे का शिकार हो गया।

25 अगस्त 2021- भारतीय वायुसेना का एक फाइटर विमान मिग-21 बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। ये वही जगह है जहां पर अभी विमान हादसा हुआ। यह विमान हादसा पाकिस्तान सीमा से लगे इलाके में हुआ। विमान क्रैश होने के दौरान पायलट खुद को सुरक्षित बचाने में सफल रहा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक उनका विमान ट्रेनिंग शॉर्टी पर था। सैन्य प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि भारतीय वायुसेना का मिग-21 हादसे के बाद पायलट ने खुद को सुरक्षित तरीके से विमान से ‘इजेक्ट’ कर लिया।

20 मई 2021- पंजाब के मोगा में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पायलट अभिनव चौधरी ने गुरुवार को राजस्थान के सूरतगढ़ एयर बेस से पंजाब के जगरांव के पास पड़ते सिद्धवां खुर्द रेंज के लिए उड़ान भरी थी। इसके बाद शाम को प्रैक्टिस के लिए गए पायलट चौधरी ने सिद्धवां खुर्द रेंज से वापस सूरतगढ़ के लिए उड़ान भरी। मोगा के गांव लंगियाना खुर्द के पास आकर उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ है। उन्हें अंदेशा होने लगा कि शायद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा। इसके बाद पायलट चौधरी ने उड़ते विमान से छलांग लगा दी। कुछ ही देर बाद उनका विमान खेतों में जाकर गिरा और उसमें आग लग गई। हादसे की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने रेस्क्यू शुरू किया तो पायलट का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा था। इसके बाद पुलिस ने अलग अलग टीमें बनाकर पायलट चौधरी की तलाश शुरू की। करीब चार घंटे बाद हादसास्थल से लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर पायलट चौधरी का शव मिला।

5 जनवरी, 2021- 2021 में पहली दुर्घटना 5 जनवरी को राजस्थान के सूरतगढ़ में हुई थी जिसमें मिग-21 बाइसन गिरा। हालांकि, पायलट सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहा।

संसद के बजट सत्र में रक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी। ये रिपोर्ट डराने वाली है क्योंकि इसमें नुकसान की दर काफी ज्यादा है। इन हादसों में वायुसेना के 29, सेना के 12 और नौसेना के 4 शामिल है। हादसों में शहीद जवानों में 34 वायुसेना के, 7 सेना के और 1 नौसेना के हैं। इन हादसों में नागरिकों की मौत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए विमानों को सैन्य बलों को सौंपने की प्रक्रिया में देरी के कारण सेना को जर्जर चीता, चेतक और मिग-21 जैसे विमानों को उड़ाना पड़ रहा है। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में 13 जवान ऐसे हादसों में शहीद हुए हैं। 8 दिसंबर 2021 को हुए एक हेलिकॉप्टर क्रैश में 13 जवान शहीद हो गए थे।

साल 1964 में मिग-12 लड़ाकू विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआत में ये जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 1967 से लाइसेंस के तहत मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी। मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है। जिससे अगले 3 से 4 साल तक इसका उपयोग किया जा सकता है। इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है। बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं। सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21 विमान थे।

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