जब 8 से 10 दोनों तक फंसे हुए हैं मजदूर!

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वर्तमान में उत्तरकाशी टनल में 8 से 10 मजदूर फंसे हुए हैं! इंसान बनाम मशीन बनाम पहाड़, उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल के बाहर यही कहानी चल रही है। पिछले रविवार को सुरंग ढहने के बाद भीतर 41 मजदूर फंसे हैं। प्लान ए, प्लान बी, प्‍लान सी, तमाम जुगत लगाई जा चुकी है, मगर अभी तक एक का भी रेस्‍क्‍यू नहीं हो पाया है। भूवैज्ञानिकों, इंजीनियरों, सुरंग निर्माण विशेषज्ञों और भू-तकनीकी विशेषज्ञों समेत रेस्‍क्‍यूअर्स की एक पूरी टीम लगी हुई है। शनिवार दोपहर तक, आगे की राह एक दिन पहले साइट पर सुनी गई तेज़ आवाज के बाद और अधिक मुश्किल हो गई थी। ड्रिलिंग पहले ही रुकी हुई है। अधिकारियों ने शनिवार को पहाड़ी की चोटी से लंबवत वर्टिकल छेद करने की तैयारी शुरू कर दी। उन्‍होंने उम्मीद जताई कि निर्माणाधीन सुरंग के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन की सड़क रविवार दोपहर तक तैयार हो जाएगी। टनल साइट पर रेस्‍क्‍यू वर्कर्स मुख्य रूप से तीन-तरफा लड़ाई लड़ रहे हैं! ढही हुई सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को ऑक्सीजन, भोजन, बिजली और पानी की निरंतर आपूर्ति के माध्यम से जीवित रहने को सुनिश्चित करना, उनकी सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करना, भारी उपकरणों के उपयोग के दौरान निर्माणाधीन सुरंग के किसी अन्य हिस्से के ढहने की किसी भी आशंका से बचें, फंसे हुए मजदूरों को पाइप की मदद से कम्प्रेस्ड हवा के साथ ऑक्सीजन के अलावा छोटे भोजन के पैकेट और पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है। मजदूर ढही सुरंग के अंदर अपने साथ ले गए वॉकी-टॉकी के जरिए भी बचावकर्मियों के साथ लगातार संपर्क में हैं। एक्सपर्ट्स की बात मानते हुए, बचावकर्मियों ने फंसे हुए मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए एक रास्ता बनाने की सोची। अर्थ ऑगर ड्रिलिंग मशीनों की मदद से 900 मिमी व्यास का माइल्ड स्टील पाइप डालने का प्‍लान बना। हालांकि, पहली बरमा ड्रिलिंग मशीन, जिसकी क्षमता तुलनात्मक रूप से कम थी, मनमुताबिक नतीजे नहीं दे सकी।

फिर भारतीय वायु सेना की मदद ली गई। उसने बुधवार दोपहर को उत्तराखंड के चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर एक अडवांस्‍ड और हाई कैपेसिटी वाली अमेरिकी ऑगर ड्रिलिंग मशीन को एयरलिफ्ट किया। मशीन के अलग-अलग हिस्सों को तीन खेप में पैक किया गया था। इसलिए, बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात को पार्ट्स को जोड़ने के बाद नई ऑगर मशीन को चालू करने में समय लग गया। इसके अलावा नई मशीन लगाने के लिए प्लेटफॉर्म की भी जरूरत थी। शुक्रवार की सुबह के अंत तक, बचावकर्मियों ने नई बरमा मशीन के साथ ड्रिलिंग करके मलबे के अंदर 22 मीटर पाइप डालने का काम पूरा कर लिया। हालांकि, नई मशीन की बेयरिंग क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद ड्रिलिंग प्रक्रिया रुक गई।

बचाव अभियान में शामिल टीम को मशीन माउंटिंग प्लेटफॉर्म को मॉडिफाई करने के दौरान एक नई चुनौती का भी सामना करना पड़ा। क्षतिग्रस्त बेयरिंग की मरम्मत के लिए, उन्हें मशीन माउंटिंग प्लेटफॉर्म के नीचे अतिरिक्त प्लेटें लगाकर उसे मॉडिफाई करने की जरूरत थी।

शुक्रवार दोपहर करीब 2.45 बजे, जब बचाव दल मशीन माउंटिंग प्लेटफॉर्म को मॉडिफाई कर रहे थे, तब उन्होंने एक तेज आवाज सुनी। इससे सुरंग ढहने वाली जगह पर दहशत फैल गई। कोई और विकल्प न होने और सुरंग के पास और ढहने की किसी भी संभावना से बचने के लिए, बचावकर्मियों के पास पाइप धकेलने को अस्थायी रूप से रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। शनिवार सुबह भी टॉप अधिकारी और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ नई स्थिति से निपटने के लिए चर्चा करते रहे। चूंकि ड्रिलिंग प्रक्रिया के कारण सुरंग के अंदर लगातार कंपन होता रहता है, इससे बचाव कैंप में चिंता पैदा हो गई है। एक अतिरिक्त अर्थ ऑगर मशीन, जिसे शुक्रवार को इंदौर से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर ले जाया गया था, शनिवार तड़के सड़क मार्ग से दुर्घटनास्थल पर लाई गई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर बचाव प्रयासों में सहायता के लिए शनिवार को सुरंग ढहने वाली जगह पर पहुंच गए। बचावकर्मियों ने फंसे हुए मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए एक रास्ता बनाने की सोची। अर्थ ऑगर ड्रिलिंग मशीनों की मदद से 900 मिमी व्यास का माइल्ड स्टील पाइप डालने का प्‍लान बना। हालांकि, पहली बरमा ड्रिलिंग मशीन, जिसकी क्षमता तुलनात्मक रूप से कम थी, मनमुताबिक नतीजे नहीं दे सकी।ऑस्ट्रेलिया के एक चार्टर्ड इंजीनियर, क्रिस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुनियादी ढांचे, मेट्रो सुरंगों, रेलवे और खनन परियोजनाओं में सिविल इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं। नॉर्वे और थाईलैंड जैसे देशों के सुरंग निर्माण विशेषज्ञों से भी सलाह ली गई है।​